पुतिन के सामने मेमने की तरह कांपे एर्दोगन, रूसी वैक्सीन को पहले किया खारिज फिर दबाव में बदला स्टैन्ड


तुर्की में रूस की Sputnik V वैक्सीन को approval देने को लेकर अब एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। इस संबंध में तुर्की के स्वास्थ्य मंत्री Fahrettin Koca ने बीते बुधवार को दो विरोधाभासी बयान दिये। दरअसल, Koca ने पहले Haberturk न्यूज़ पोर्टल को दिये एक बयान में यह कह दिया कि उनके देश में Sputnik V के इस्तेमाल की इजाज़त नहीं दी जाएगी, क्योंकि यह किसी भी लैब में प्रमाणिकता के पैमाने पर खरी नहीं उतरती है। हालांकि, शाम होते-होते तुर्की के स्वास्थ्य मंत्री अपने इस बयान से मुकर गए और उन्होंने U-Turn मारते हुए कहा कि अगर रूस की वैक्सीन सुरक्षा के पैमाने पर खरी उतरती है, तो इसे तुर्की में ज़रूर इस्तेमाल किया जाएगा।

बता दें कि तुर्की और रूस के बीच दक्षिण Caucasus क्षेत्र में Nagorno-Karabakh क्षेत्र विवाद को लेकर तनाव देखने को मिल चुका है। इस विवाद के दौरान तुर्की ने अपने साथी अज़रबैजान के साथ मिलकर अर्मेनिया के अंतर्गत आने वाले Nagrorno-Karabakh क्षेत्र पर धावा बोल दिया था। हालांकि, उसके बाद भी वैक्सीन के मुद्दे पर तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने रूसी वैक्सीन Sputnik V को खरीदने की बात कही थी। 27 नवंबर को ही एर्दोगन ने यह दावा किया था कि अंकारा और मॉस्को के बीच Sputnik V की खरीद को लेकर बातचीत चल रही है। ऐसे में बुधवार को तुर्की के स्वास्थ्य मंत्री द्वारा Sputnik V को खारिज किए जाने वाले बयान के बाद मॉस्को से भी प्रतिक्रिया देखने को मिली।

वैक्सीन बनाने वाली कंपनी Russian Direct Investment Fund के सूत्रों ने इस खबर का खंडन करते हुए कहा कि रूस और तुर्की के बीच बातचीत अभी जारी है, और जिसने भी इस खबर को छापा है, यह शत प्रतिशत झूठी खबर है। इसके बाद तुर्की के मंत्री Koca का एक और बयान देखने को मिला जिसमें उन्होंने ठीक 180 डिग्री का यू-टर्न मार लिया। Koca ने कहा “अगर यह वैक्सीन सफ़ल रहती है, तो हमें यह वैक्सीन खरीदने में कोई एतराज नहीं होगा।” इसके साथ ही Koca ने उन पुरानी मीडिया रिपोर्ट्स को भी नकार दिया जिसमें उन्होंने Sputnik V को खारिज करने की बात कही थी।

यहाँ सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर वह क्या कारण था कि तुर्की के स्वास्थ्य मंत्री को एक दिन के अंदर ही अपना बयान बदलना पड़ गया। दरअसल, रूस के लिए Sputnik V वैक्सीन सिर्फ एक वैक्सीन नहीं है, बल्कि इसके जरिये रूस दोबारा विश्व पर अपना प्रभुत्व बढ़ाना चाहता है। रूस पहले ही अपनी वैक्सीन को लेकर भारत, उज्बेकिस्तान, नेपाल, Mexico जैसे देशों के साथ समझौते पक्के कर चुका है। इसके साथ ही रूस भारत में Sputnik V वैक्सीन की 100 मिलियन यूनिट्स बनाने के लिए भी एक करार कर चुका है। ऐसे में अगर तुर्की Sputnik V वैक्सीन को मान्यता प्रदान करने से मना कर देता है, तो तुर्की पर इसके नकारात्मक भू-राजनीतिक प्रभाव भी देखने को मिल सकते हैं।

Sputnik V को लेकर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में इतना खास उत्साह देखने को नहीं मिला है। पश्चिमी देशों के साथ-साथ खुद WHO इसे नकार चुका है। WHO के मुताबिक इसे प्रमाणिक और सुरक्षित सिद्ध करने के लिए उपयुक्त डेटा उपलब्ध ही नहीं है। ऐसे में रूस अपनी वैक्सीन के सहारे अब पश्चिमी एशिया, मध्य एशिया और दक्षिणपूर्व एशिया के देशों को टार्गेट करना चाहता है। ऐसे में रूस कभी नहीं चाहेगा कि तुर्की सार्वजनिक तौर पर इस वैक्सीन को नकारकर इस वैक्सीन के खिलाफ़ किए जा रहे दुष्प्रचार का हिस्सा बने। यह बात तुर्की और उसके राष्ट्रपति एर्दोगन को भी भलि-भांति पता है। इसीलिए, तुर्की के स्वास्थ्य मंत्री को 12 घंटे के अंदर-अंदर ही अपना बयान बदलना पड़ा है।

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