‘आदिपुरुष में सीता हरण किया जाएगा जस्टिफाइड’, फिल्म में रावण की भूमिका पर सैफ अली खान


लगता है, अभिनेता सैफ अली खान को विवादों में रहने का काफ़ी शौक है। तभी एक बार फिर से सैफ अली खान ने अपने बड़बोलेपन से विवाद खड़ा किया है, जहां उन्होंने देवी सीता के हरण को उचित ठहराने का प्रयास किया।

अब आप भी सोच रहे होंगे, भला ये कैसे संभव है? दरअसल सैफ अली खान प्रसिद्ध निर्देशक ओम राउत की आगामी फिल्म ‘आदिपुरुष’ से संबंधित है, जहां वे लंकाधिपति रावण की भूमिका निभाते हुए दिखाई देंगे। ये फिल्म रामायण पर आधारित है, जिसमें प्रभु श्री राम की भूमिका प्रसिद्ध तेलुगु अभिनेता प्रभास राजू निभाएंगे।

तो फिर समस्या क्या है? दरअसल मुंबई मिरर से साक्षात्कार के दौरान सैफ अली खान ने कहा, “ये बहुत ही अच्छी बात कि मुझे ऐसे राक्षस राज की भूमिका निभाने का अवसर मिला है। मेरा रावण अधिक मानवीय होगा, और उसके हर काम के पीछे एक वजह होगी। यहाँ सीता के हरण को भी उचित ठहराया होगा, कि कैसे शूर्पणखा के साथ हुए अपमान का प्रतिशोध लेने के लिए कोई श्रीराम से भी भिड़ गया!”

इसी को कहते हैं, रस्सी जल गई पर बल नहीं गया। रावण भले ही एक विद्वान था और उनमें ज्ञान की कोई कमी नहीं थी, परंतु देवी सीता का हरण किसी भी स्थिति में उचित ठहराने योग्य न था और न कभी होगा। जिस काम का समर्थन न उनकी पत्नी मंदोदरी ने किया, न उनके अनुज कुंभकरण ने और न ही उनके पुत्र मेघनाद ने, उस काम को उचित ठहराने का अधिकार आखिर सैफ अली खान को किसने दिया है?

अपने इस विवादित बयान से सैफ अली खान ने न केवल अपनी फजीहत कराई है, बल्कि ‘आदिपुरुष’ जैसी फिल्म की विश्वसनीयता को ही संदेह के घेरे में डालने का प्रबंध किया है। परंतु ये ऐसा पहला अवसर नहीं है, जब सैफ अली खान के बड़बोलेपन के कारण कोई फिल्म विवादों के घेरे में आई हो।

जब ओम राउत की ही सुप्रसिद्ध फिल्म ‘तान्हाजी – द अनसंग वॉरियर’ सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई, और उसे दर्शकों का भरपूर प्रेम मिला, तो कुछ तथाकथित क्रिटिक ऐसे भी थे, जिन्हें इस बात से जलन हो रही थी कि आखिर भारतीय इतिहास को किसी ने बिना तोड़े-मरोड़े इतने सटीक तरह से, बिना मुगलों का महिममंडन किये कैसे दिखाया।

ऐसे ही एक क्रिटिक अनुपम चोपड़ा से बातचीत करते वक्त सैफ अली खान ने कहा, “मैं नहीं मानता कि जो तान्हाजी में दिखाया गया है, वो वास्तविक इतिहास है। मैं नहीं मानता कि अंग्रेज़ों से पहले  इंडिया जैसे देश का कोई अस्तित्व नहीं हुआ करता था।”

परंतु सैफ अली खान की हिपोक्रेसी को एक्सपोज़ होने में अधिक समय नहीं लगा, क्योंकि उनकी आलोचना करने वाले कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने उन्हीं का कुछ हफ्तों पुराना वीडियो पोस्ट किया, जहां वे अभिनेता अजय देवगन की बातों में हाँ में हाँ मिलाते हुए नजर आ रहे थे।

‘तान्हाजी’ के प्रदर्शन से पहले जब अजय देवगन और सैफ अली खान का इंटरव्यू राजीव मसन्द ले रहे थे, तो उस समय जब अजय देवगन बता रहे थे कि कैसे हमारे इतिहास को अंग्रेज़ों ने मिटाने और कुचलने की कोशिश की थी, तब सैफ अली खान अजय की हाँ में हाँ मिलाई थी। पर फिल्म रिलीज़ होने के बाद ही सैफ ने तुरंत सुर बदल दिए।

अब सैफ अली खान ने एक बार फिर वही बचकानी हरकत की है, वो भी तब जब ‘आदिपुरुष’ की शूटिंग न प्रारंभ हुई है, और न ही बाकी कलाकारों पर अंतिम निर्णय लिया गया, जिसमें माँ सीता का किरदार भी अभी अघोषित है।

ऐसे में यदि ओम राउत चाहते हैं कि उनके फिल्म को रिलीज से पहले कोई नकारात्मकता का सामना न करना पड़े, तो या तो उन्हें सैफ के बड़बोलेपन को नियंत्रण में रखना होगा, और यदि ऐसा न हो सके, तो अभी भी कुछ बिगड़ा नहीं है, वे शूटिंग से पहले रावण के लिए एक बेहतर विकल्प चुन सकते हैं।

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