‘दिल्ली की मुसीबतें बढ़ने वाली हैं’,किसान आंदोलन हाईजैक करने वाले हिंसक तत्वों की मदद कर रहे केजरीवाल


किसान आंदोलन में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अपना भविष्य दिख रहा है। भले ही ये आंदोलन राजनीतिक दलों ने ही अंदरखाने आयोजित करवाया है लेकिन किसी भी सीएम ने खुलकर किसानों के भारत बंद का समर्थन नहीं किया है। इसके इतर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने किसानों के भारत बंद को भी खुलकर समर्थन दे दिया सै। उन्हें अब इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि भारत बंद से दिल्ली वासियों को ही परेशानी होगी, जो साबित करता है कि केजरीवाल अपने राजनीतिक एजेंडे के तहत निचले स्तर की पराकाष्ठा तक को भी पार कर चुके हैं।

कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब हरियाणा के किसानों के आंदोलन के 12 वें दिन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सिंघु बॉर्डर पहुंच गए। उन्होंने इस दौरान खुद को किसानों का सेवादार बताया है। उनके डिप्टी मनीष सिसोदिया ने इस दौरान पूरे सिंघु बार्डर पर डटे किसानों से मुलाकात की और कहा कि वे किसानों को हर संभव मदद देंगे। केजरीवाल ने किसानों के 8 दिसंबर को प्रस्तावित भारत बंद का  पूर्ण समर्थन किया है। उन्होंने कहा, “हमारे ऊपर दबाव बनाया गया, लेकिन हमने कोई परमिशन नहीं दी। हमारी सरकार, पार्टी लगातार सेवादार की तरह किसानों की सेवा करने में लगे हुए हैं। मैं सेवादार के तौर पर आया हूं और किसानों की सेवा करने आया हूं। किसान लगातार मेहनत करके अन्न उगाता है, ऐसे में हमारा फर्ज है कि हम किसानों की सेवा करें।

अरविंद केजरीवाल का ये कहना दिल्ली की आम जनता लिए ही भारी पड़ने वाला है क्योंकि दिल्ली को हरियाणा से होने वाली सभी तरह की आपूर्ति बाधित हो जाएगी। इसको लेकर तथाकथित किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा, “8 तारीख को सुबह से शाम तक भारत बंद रहेगा। चक्का जाम शाम तीन बजे तक रहेगा। दूध-फल-सब्ज़ी पर रोक रहेगी। शादियों और इमरजेंसी सर्विसेज़ पर किसी तरह की रोक नहीं होगी।” इस फर्जी किसान आंदोलन के नाम पर हो रहे भारत बंद से किसानों के साथ-साथ आम जनता का भी नुक्सान होगा। यात्री सेवाओं से लेकर खाद्य आपूर्ति दिल्लीवासियों के लिए मुश्किलों से भरी होगी।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता हैं कि दिल्ली में आम जनता को किसानों के अराजक आंदोलन या भारत बंद से कितनी मुश्किलें हो रहीं हैं। वो तो बस इस आंदोलन के जरिए पंजाब की राजनीति में अपना कोप भवन में जा चुका राजनीतिक भविष्य तलाश रहे हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री होने के बावजूद केजरीवाल को दिल्ली वासियों से ज्यादा चिंता पंजाब के किसानों की है, क्योंकि वहां से केजरीवाल को वोटों की लालसा और दिल्ली में चुनाव को तो चार साल हैं।

केजरीवाल शुरु से ही पंजाब  को राजनीतिक अड्डा बनाना चाहते हैं। वो दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं लेकिन उनके पास यहां केंद्रशासित प्रदेश होने के चलते ज्यादा अधिकार नहीं हैं। इसलिए केजरीवाल 2017 से ही पंजाब में अपना राजनीतिक भविष्य तलाश रहे हैं। ये बात अलग है कि केजरीवाल को पंजाब में कभी जनसमर्थन मिला ही नहीं है। इसीलिए अब आम आदमी पार्टी पंजाब के इस किसान आंदोलन के चलते अपना राजनीतिक भविष्य तलाश रही है। केजरीवाल के मन राजनीतिक आतुरता इतनी ज्यादा है कि इस मसले पर केजरीवाल ने देश के अन्य किसी सीएम की अपेक्षा पहले ही बोल दिया है कि वो किसानों के भारत बंद का समर्थन कर रहे हैं। जबकि पंजाब के ही सीएम अमरिंदर सिंह भी अभी इस मसले पर सीधे मुंह कुछ भी बोलने से बच रहे हैं, लेकिन केजरीवाल सुपरफास्ट है।

दिल्ली में पंजाब के किसानों के आंदोलन और भारत बंद को समर्थन देकर केजरीवाल ने साबित कर दिया है कि उन्हें दिल्ली वासियों की कोई चिंता नहीं है। वो तो बस इस फिराक में हैं कि उनके हाथ पंजाब की सत्ता लग जाए जिससे वो एक पूर्ण राज्य के सीएम हो जाएं।

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