हिंदू और ईसाई लड़कियों को ‘मजबूर दुल्हन’ बनाकर चीन में बेच रहा है पाकिस्तान

 


पाकिस्तान कर्ज में कितना डूबा हुआ है, इसका अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि पाकिस्तान मानव तस्करी को बढ़ावा देने लगा है, ताकि चीन का बकाया कर्ज चुका सके। लेकिन ये मानव तस्करी भी कोई ऐसी वैसी नहीं है, बल्कि इससे सिद्ध होता है कि कैसे अल्पसंख्यकों के लिए पाकिस्तान में कोई अधिकार नहीं होते।

पाकिस्तान द्वारा चीन का कर्जा निपटने के लिए अपने देश की लड़कियों का चीनियों से जबरदस्ती ब्याह कराने की रीति से आप सभी परिचित होंगे ही। लेकिन इन लड़कियों में भी पाकिस्तान की मुस्लिम लड़कियां कम ही होती है। असल में पाकिस्तान की हिन्दू और ईसाई लड़कियों को प्रमुख तौर पर अगवा कर उनकी तस्करी चीन में की जाति है, जहां उन्हें चीनियों के लिए ‘रखैल’ के रूप में भेजा जाता है।

WION न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, “चीन में दुल्हनों की तस्करी व्याप्त है, जिसका एक प्रमुख सोर्स है पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय, विशेषकर हिन्दू और ईसाई लड़कियां। उन्हें चीन में इसलिए धकेल जा रहा है, क्योंकि उनके पीछे कोई नहीं है, और उनके देश में उनके विरुद्ध बेहिसाब अत्याचार ढाया जा रहा है।”

शायद इसलिए अब इस मामले पर अमेरिका भी ध्यान दे रहा है। अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के अमेरिकी दूत सैमुएल ब्राउनबैक ने इस स्थिति को न सिर्फ स्वीकारा है, बल्कि अपनी चिंता भी जताई है। उनके अनुसार, “जितने भी लोग ईश निन्दा के लिए जेल में है, उनमें से आधे से अधिक पाकिस्तानी जेलों में बंद है।”

परंतु सैमुएल ब्राउनबैक वहीं पर नहीं रुके। उन्होंने आगे कहा, “पाकिस्तान में, कई काम [जिनमें धार्मिक स्वतंत्रता का हनन हो ] सरकार द्वारा किए जाते है। उसके बाद जो होता है, उससे हम ये पता लगाने का प्रयास करते हैं कि क्या वहाँ पर नया साक्ष्य मिला, क्या पुलिस की तैनाती सही से हुई थी, और क्या धार्मिक हिंसा के बाद न्यायिक प्रक्रिया का पालन किया गया था?”

यूं ही नहीं विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने पाकिस्तान और चीन के विरुद्ध धार्मिक स्वतंत्रता के हनन हेतु जांच पड़ताल करने का निर्णय लिया है। अभी कुछ ही दिन पहले पाकिस्तान, चीन, ईरान समेत कई देशों को माइक पॉम्पियो और सैमुएल ब्राउनबैक के सुझाव पर उन देशों की सूची में शामिल गया है, जहां धार्मिक स्वतंत्रता खतरे में है।

आम तौर पर पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार पर कोई ध्यान नहीं देता, लेकिन जाते जाते संभवत ट्रम्प सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि अल्पसंख्यकों की आवाज बाइडन सरकार द्वारा नजरअंदाज न की जाए। ये न केवल एक सराहनीय प्रयास है, अपितु पाकिस्तान के लिए भी स्पष्ट संदेश है कि अब कट्टरपंथियों की खैर नहीं।

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