“इनकी औरतें टके-टके के भाव बिकती थीं”, युवराज सिंह का बाप समाज में सिख-प्रधानता के बीज बो रहा है

 


विडियो में दिख रहा आदमी और कोई नहीं बल्कि भारतीय क्रिकेटर युवराज सिंह के पिता योगराज सिंह है, जो दिल्ली में हो रहे किसान आंदोलन में शामिल हो, अपनी तुच्छ मानसिकता का जग प्रदर्शन कर रहे हैं l जिन्हें पंजाबी समझ नहीं आती उन्हें बता दें कि जनाब कह रहे हैं “हिंदुओं ने 1000 वर्षों तक मुग़लों की गुलामी की l इनकी औरतें टके – टके के भाव बिकती थी l हमने उन्हें बचाया l ये हिंदू गद्दार है l”

योगराज सिंह की ये विडियो, सभी सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर फैलने के बाद उन्हें हर तरफ़ से आलोचनाओं का सामना करना पड़ा रहा है l ऐसे में जब दिल्ली में नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन जारी है और कृषि अंदोंलन में पाकिस्तान, खालिस्तान और इमरान खान तक के समर्थन में नारे लग चुके हैं तो योगराज सिंह का ये विवादित बयान प्रदर्शन की मंशा पर और भी ज्यादा संदेह पैदा कर देता है कि कहीं किसानो के नाम पर खालिस्तान और सिख प्रधानता के बीज तो नहीं बोए जा रहे हैं!

बहराल सोशल मीडिया पर इस वीडियो के वायरल होने के बाद से ही युवराज के पिता योगराज सिंह को हर ओर से आलोचनाओं का सामना करना पड़ा रहा है l #ArrestYograjSingh ने सोशल मीडिया पर ट्रेंड करना शुरू कर दिया है। कई यूजर्स ने योगराज के भाषण को निंदनीय, भड़काऊ, अपमानजनक और घृणास्पद करार दिया है।

उदाहरण के लिए एक यूज़र ने कहा कि, “योगराज सिंह को ये नहीं पता कि सवाई जय सिंह ने गुरु तेगबहादुर को औरंगज़ेब से बचाया था। लक्ष्मण सिंह जिन्हें बंदा वैरागी के नाम से जाना जाता है उन्होंने गुरु गोविंद सिंह का प्रतिशोध लिया था। ज्यादातर सिख पंजाब के राजपूत ही है।”

वैसे ये कोई पहला मामला नहीं है जब योगराज सिंह को अपने घटिया शब्दों के लिए आलोचना झेलनी पड़ रही हो l विवादों से गहरा रिश्ता रखने वाला ये व्यक्ति पूर्व भारतीय कप्तान एमएस धोनी को भिखारी तक कह चुका है। और अब फिर से, योगराज ने गलत कारणों से सुर्खियों में आने का एक रास्ता खोज लिया हैl

योगराज अपनी इस विडियो में पंजाबी में भाषण देते हुए, केवल सरकार के ही विरोध पर नहीं रुके बल्कि हिंदुओं के लिए ‘गद्दार’ शब्द का इस्तेमाल करते हुए भी नजर आ रहे हैं। इसके बाद उन्होंने हिंदू धर्म को लेकर एक के बाद एक उन्मादी बयान दिए l आगे युवराज के पिता ने कहा कि,“ये वो लोग हैं जो अपनी माँ-बहनों की कसमें खाकर मुकर जाते हैं। वो हमारे सिख पूर्वज़ ही थे, जिन्होंने मुगल दरबारों में कौड़ियों दाम में बिकती इनकी महिलाओं की इज़्ज़त बचाई। वो दौर भी था जब दिल्ली के दरबार में औरतों की बोली लगती थी। ये लोग हमारे पूर्वजों का अहसान भूल चुके हैं, ये पूरी तरह से अहसान फ़रामोश लोग हैं” और ये टिपणी उनकी संकरी सोच को दर्शाने के लिए काफ़ी है l

ऐसे में ये पता लगाना कोई मुश्किल बात नहीं है कि किसान प्रदर्शन के नाम पर हिंदुओं के खिलाफ़ घृणा और अराजकता फैलने का भरपूर प्रयास किया जा रहा है l

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