खालिस्तान आंदोलन को पुनर्जीवित करने और हिंदुत्ववादी नेता को मारने की बड़ी साजिश का खुलासा


 जैसे-जैसे दिन बढ़ते जा रहे हैं, वैसे वैसे ‘किसान आंदोलन’ के भारत विरोधी प्रवृत्ति का पर्दाफाश हो रहा है। इस आंदोलन के जरिए भारत को फिर से हिंसा की आग में झोंके जाने का प्रयास उजागर हुआ है। पाकिस्तानी इंटेलिजेंस एजेंसी और आतंकियों का पालनहार माने जाने वाली आईएसआई के एक नापाक प्लान का भारतीय इंटेलिजेंस एजेंसियों ने पर्दाफाश किया है। 

भारतीय इंटेलिजेंस एजेंसियों की माने तो ‘किसान आंदोलन’ की आड़ में पाकिस्तान अपना अलग खेल  खेल रहा है। वह न सिर्फ इसके जरिए खालिस्तान के अभियान को पुनः बढ़ावा देना चाहता है, अपितु हिन्दू नेताओं को निशाना बनाने की भी तैयारी कर रहा था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आईएसआई मृत खालिस्तानी सरगना जरनैल सिंह भिंडरावाले के भतीजे के जरिए पंजाब में एक बार फिर खालिस्तानी अभियान को बढ़ावा देना चाहता है। 

जी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, “भारतीय इंटेलिजेंस एजेंसियों के अनुसार, आईएसआई खालिस्तान समर्थक गोपाल सिंह चावल, भिंडरावाले के भतीजे लखबीर सिंह रोड़े, दुर्दांत खालिस्तानी आतंकी गुरजीत सिंह चीमा जैसे लोगों के जरिए पंजाब में पुनः खालिस्तानी मूवमेंट को हवा देना चाहता है”।

पर ऐसा क्यों है? ऐसा इसलिए क्योंकि पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित खालिस्तानी रिफ्रेन्डम 2020 भारतीय एजेंसियों की मुस्तैदी और वुहान वायरस के कारण पूरी तरह असफल रहा। इसके अलावा जम्मू कश्मीर के जरिए आतंकी भेजने के द्वार लगभग बंद हो चुके हैं। इससे बौखलाई आईएसआई अब भिंडरावाले के भतीजे के जरिए अपने नापाक इरादों को अंजाम देना चाहती है, और साथ ही साथ पंजाब से हिन्दू समर्थक नेताओं का सफाया भी करना चाहती है। 

लेकिन पाकिस्तान केवल यहीं तक सीमित नहीं है। उसके प्लान का एक और भाग है – पंजाब से हिन्दुत्व का सम्पूर्ण सफाया। ज़ी न्यूज की रिपोर्ट में ही आगे बताया गया, “पाकिस्तान के आईएसआई अफसरों ने एक षड्यन्त्र रचा है, जिसके अंतर्गत खालिस्तानी आतंकियों का इस्तेमाल कर हिन्दू समर्थक नेताओं का सफाया किया जाए और राज्य में पुनः आतंकवाद को बढ़ावा दिया जाए। आईएसआई इस नापाक इरादे को लखबीर सिंह रोड़े और दुबई का सुख बिक्रीवाल नामक गैंगस्टर का इस्तेमाल कर रहा है। 

आईएसआई के इशारे पर ही बिक्रीवाल ने अभी हाल ही में शिवसेना के नेता हनी महाजन और उसके पड़ोसी पर अपने विशेष शूटर्स के जरिए हमला करवाया था। जहां हनी महाजन के पड़ोसी की मौके पर ही मौत हो गई, तो वहीं हनी महाजन गंभीर रूप से घायल होने के बाद भी किसी प्रकार बच गए।

अब इन रिपोर्ट्स के सामने आने से एक बात तो स्पष्ट है – ‘किसान आन्दोलन’ में खालिस्तानियों का सामने आना महज संयोग नहीं है। यह पाकिस्तान की एक सोची समझी साजिश है, जिसके अंतर्गत वह पंजाब पर अपना कब्जा जमाना चाहता है, और वह खालिस्तानियों के कंधों पर बंदूक रखकर यह काम करना चाहता है। 

इस बात के लक्षण तभी दिखने शुरू हो गए थे, जब हाल ही में दिल्ली के शकरपुर क्षेत्र में हुए एक पुलिस एनकाउन्टर के पश्चात हिरासत में लिए गए पाँच आतंकियों में से दो खालिस्तानी निकले, जिनमें से एक पर शौर्य चक्र विजेता सैनिक, बलविंदर सिंह की हत्या का भी आरोप लगा है। हालांकि, यह कोई नई बात तो नहीं है, पर इस योजना से स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान अपने इरादों को अंजाम तक पहुंचाने के लिए किस हद तक जा सकता है। ऐसे में केंद्र सरकार को तनिक भी विलंब नहीं करना चाहिए और इस पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। 

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