ठंडा मतलब, कोका-कोला!
विज्ञापन की दुनिया में इस टैग लाइन ने लोगों को बहुत प्रभावित किया. जिसने ठंडे पेय पदार्थ के मायने ही बदल दिए. गर्मी की उमस हो या किसी पार्टी का जश्न कोका कोला तो बनता है यार.
मगर, क्या आप जानते हैं कि एक समय ऐसा था जब कोका कोला को दवा के तौर पर बेचा जाता था. यही नहीं इसको बनाने वाले अमेरिकी को अपने पदार्थ को ब्रांड बनते देखना भी नसीब नहीं हुआ.
शुरुआत में इसमें कोकीन नामक ड्रग्स को भी मिलाया जाता था. अपने पहले साल यह प्रतिदिन महज 9 गिलास की औसत से बिका. इसके बावजूद आज कोका कोला पेय पदार्थ बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है.
ऐसे में हमारे लिए कोका-कोला से जुड़े किस्सों के बारे में जानना दिलचस्प होगा.
तो आइये जानते है कोका-कोला रोचक सफ़र के बारे में…
जब पहली बार लोगों ने लिया इसका लुत्फ़
मई 1886 को दोपहर में अमेरिका के डाक्टर जॉन पेम्बर्टन ने एक तरल पदार्थ बनाया. ये अटलांटा के एक फार्मिस्ट थे. वे इस पदार्थ को स्थानीय जैकब फार्मेसी लेकर गए.
इसमें उन्होंने सोडे वाला पानी मिलाया. इसके बाद उन्होंने वहां खड़े कुछ लोगों को इसे चखाया. उनके द्वारा वो पेय पदार्थ बहुत पसंद किया गया.
जॉन पेम्बर्टन के बही खाता देखने वाले फ्रैंक रॉबिन्सन ने इस मिश्रण को कोका-कोला नाम दिया. तब से लेकर आज तक यह इसी नाम से जाना जाता है. उन्होंने कोरा अखरोट से कोका पत्ती निकालने और उसमें मिलाये गए कैफीन वाले सीरप के नुस्खे को कोका कोला के नाम से जोड़ा था.
फ्रैंक के अनुसार ब्रांड का नाम डबल C होने से फायदा होगा. उन्होंने विज्ञापन के लिए भी इस नाम को बेहतर समझा.
बहरहाल, कोका कोला को बेचने के लिए प्रति गिलास 5 सेंट का मूल्य तय किया गया. 8 मई 1886 को जैकब फार्मेसी से ही पहली बार कोका कोला को बेचा गया था. पहले वर्ष में जॉन पेम्बर्टन ने दिन में केवल 9 गिलास के हिसाब से कोका कोला बेचा था.
वहीं आज दुनिया भर में करीब दो अरब से अधिक इसकी बोतलें रोज बिक जाती हैं. पहले साल का 25 गैलन की खपत हुई थी. वहीं एक शताब्दी के बाद कोका-कोला कंपनी ने दस अरब गैलन से अधिक सीरप का उत्पादन किया था.
पहले वर्ष की बिक्री लगभग 50 डॉलर के करीब हुई थी, मगर इसको बनाने में पेम्बर्टन ने 70 डॉलर से अधिक खर्चा किया था. इस तरह उनको शुरुआत में नुकसान हुआ था
अमेरिका का बना सबसे लोकप्रिय पेय पदार्थ
1887 में एक अन्य अटलांटा के व्यवसायी व फार्मासिस्ट आसा ग्रिग्स कैंडलर ने पेम्बर्टन से लगभग $ 2300 में इसको बनाने के फार्मूले ख़रीदे. वे व्यापार के अधिकार हासिल कर चुके थे.
दुर्भाग्य से 1888 में कोका कोला के जन्मदाता पेम्बर्टन की मृत्यु हो जाती है.
कैंडलर कोका कोला के एक मात्र मालिक बन चुके थे. उन्होंने यात्रियों को मुफ्त कोक पीने का कूपन पास किया. उनका मकसद लोगों द्वारा ज्यादा से ज्यादा कोक पिया जाना था. जब इसकी आदत लोगों को लगी तो वो इस कोक से दूर नहीं रह पाए और खरीद कर इसका लुत्फ़ उठाया.
उन्होंने ग्राहकों तक पहुँचने के लिए कैलेंडर, पोस्टर, नोटबुक व बुकमार्क्स इत्यादि के जरिए विज्ञापन भी किए. कैंडलर अपने क्षेत्रीय ब्रांड को राष्ट्रीय बनाना चाहते थे, जिसमें वे सफल भी हुए.
1890 तक कोका कोला अमेरिका के सबसे लोकप्रिय पेय पदार्थों में से एक बन चुका था. जो कैंडलर की बदौलत मुमकिन हो पाया था. तभी इन्हें कोका कोला का व्यापार बेहतर करने और उसको ब्रांड के तौर पर बदलने का भी श्रेय दिया जाता है.
दिलचस्प यह था कि आगे कोका कोला के सेवन से सिर दर्द व थकान जैसी बिमारियों से निजात दिलाने की एक दवा के रूप में दावा किया गया . इसको लेकर बहुत विवाद भी हुआ था. जिसके बाद में इस दावे को सिरे से नकार दिया गया था.
जब इसको कहीं ले जाना हुआ आसान
साल 1894 में जोसेफ बिएडेनहॉर्न नामक मिसीसिपी व्यवसायी ने कोका कोला को बोतल में डालने वाला पहला इंसान बन गया. उन्होंने उनमें से 12 बोतलें कैंडलर को भी भेजी. कैंडलर ने उनके इस कार्य व सुझाव की सराहना की. उनको जरा भी इस बात का ख्याल नहीं आया था.
अब कोका कोला के ग्राहक आसानी से बोतल बंद कोक को कहीं भी ले जा सकते थे. 1903 के बाद से कंपनी ने कोकीन (ड्रग्स) की मात्रा कम करते-करते लगभग समाप्त ही कर दिया. बाद में कोकीन की पत्ती का ही इस्तेमाल किया जाने लगा.
जैसे-जैसे कोका-कोला की लोकप्रियता बढ़ने लगी. वैसे-वैसे तमाम पूंजीपतियों ने इसके व्यापार में उत्सुकता दिखाई. इस लिहाज से नकली प्रोडक्ट्स का भी खतरा कंपनी ने महसूस किया.
वो अपने उत्पाद व ब्रांड को सुरक्षित करना चाहती थी. ऐसे में उसने विज्ञापन के जरिए ग्राहकों को ‘वास्तविक मांग की मांग’ और 'कोई विकल्प स्वीकार नहीं’ टैग लाईन के द्वारा आग्रह किया.
कंपनी उपभोक्ताओं को आश्वस्त करने के लिए एक अलग प्रकार की बोतल बनाना चाहती थी. जिससे उन्हें असली कोक की पहचान हो सके. तब रूट ग्लास नामक कंपनी ने एक बोतल तैयार करते हुए प्रतियोगिता जीती. जिसे अँधेरे में कोई भी पहचान सकता था. 1916 में कंपनी ने उस बोतल का निर्माण शुरू किया.
कंपनी को विज्ञापनों के साथ युद्ध से मिला फायदा
कोका कोला कंपनी तेजी से समय के साथ आसमान की बुलंदियों को छूते जा रही थी. अमेरिका के साथ ही कनाडा, पनामा, क्यूबा, फ़्रांस जैसे अन्य देशों व यू एस क्षेत्रों में कोका-कोला की खपत बड़े पैमाने पर होने लगी.
1923 में रॉबर्ट वुड्रफ ने कैंडलर से कंपनी को खरीद लिया. वे उसके अध्यक्ष बने. उन्होंने दुनिया भर में कोका कोला को मशहूर करने की ठानी. रॉबर्ट ने विदेशी विस्तार का बखूबी नेतृत्व किया.
1928 में पहली बार ओलंपिक में पेय पदार्थ को खिलाड़ियों ने इस्तेमाल किया. तब से लेकर आज तक कोक कंपनी ओलंपिक को स्पॉन्सर्ड कर रहीं हैं. उन्होंने विज्ञापन के माध्यमों से कोका कोला को सिर्फ एक बड़ी सफलता ही नहीं दिलाई बल्कि उसको लोगों के जीवन का एक बड़ा हिस्सा बना दिया.
आगे, द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हो चुका था. 1941 में अमेरिका भी इस युद्ध में शामिल हो गया. हजारों अमेरिकी नागरिक सैन्य बल के साथ दूसरे देशों में भेजे गए.
ऐसे में बहादुर सिपाहियों का समर्थन हासिल करने के लिए कोका कोला के अध्यक्ष रॉबर्ट वुड्रफ ने कहा कि “हर व्यक्ति को कोका कोला की बोतल पांच सेंट में मिलती हैं, मगर जहां भी सिपाही है उन पर कंपनी खर्च करेगी.
युद्ध के दौरान कई लोगों ने कोका कोला का आनंद उठाया. कोक को देशभक्ति से भी जोड़ा जाने लगा था. रिपोर्टों की मानें तो युद्ध के दौरान सैनिकों द्वारा लगभग 5 अरब बोतलें पी गई थीं.
जब युद्ध समाप्त हुआ तो कंपनी ने विदेशों में भी दूसरे ब्रांचों की नींव रखी. इसके बाद इसके विज्ञापनों की टैग लाइनों ने लोगों को बहुत प्रभावित किया. हमेशा से ही कोका कोला के विज्ञापनों ने उसके व्यापार में अहम किरदार निभाया था.
इस बार कोक की अन्तराष्ट्रीय अपील की गई, जो 1971 में इटली से किया गया था. जहां विश्व के युवकों का एक बड़ा समूह पहाड़ की चोटी पर इकठ्ठा हुआ था. तब उनके द्वारा दी गई 'आई लाइक टू द वर्ल्ड ए कोक' पंच ने धमाल मचा दिया था.
कई देशों में इसका विरोध भी हुआ
समय के साथ कंपनी पूरी दुनिया में अपना पैर पसार रही थी. 1990 में जर्मनी में भी कोका कोला बेचने के नए ब्रांच खोले गए थे. 1993 में पहली बार कंपनी ने भारत की ओर अपना रुख किया.
अब तक कंपनी कई प्रोडक्ट बनाने लगी थी. 1997 में कोका कोला उत्पादों को अरब में भी बेचा जाने लगा था. आज कंपनी लगभग 400 से अधिक ब्रांडो के साथ विश्व भर में अपने हजारों प्रोडक्ट्स बेचती है. जिसको पेय पदार्थ की सभी कंपनियों में अव्वल दर्जा प्राप्त है.
दिलचस्प यह है कि आज नार्थ कोरिया और क्यूबा में इसको बैन किया गया. बाकि लगभग सभी देशों में कोक अपना बाज़ार बनाये हुए है.
हालांकि, कंपनी को कई बार विरोधों का भी सामना करना पड़ा. साल 1950 में फ्रांस में इसका विरोध किया गया. प्रदर्शनकारियों ने कोका कोला की ट्रक पलट दी थीं. वहीं शुरुआत में सोवियत संघ भी कम्युनिस्ट के लाभ के डर से इसका समर्थन नहीं किया था.
जबकि चुप्पे-चोरी जर्मनी में भी इसको बेचा जाता था. तब वहां पेप्सी सबसे ज्यादा पी जाने वाली कोल्ड ड्रिंक थी. इराक पर हमले की वजह से लोगों ने सड़कों पर कोक को बहा दिए थे. इजराइल में बेचने की वजह से अरब ने भी इसका विरोध किया था.
इसके बावजूद आज हर कोई यही कहता है कि ठंडा मतलब…...कोका कोला.
तो ये थी सबकी पसंदीदा कोल्ड्रिंक्स कोका-कोला का रोचक इतिहास, जिसके बिना हर पार्टी अधूरी सी लगती है. आपको कोका कोला के इस दिलचस्प सफर के बारे में जानकर कैसा लगा कमेन्ट बॉक्स में ज़रूर बताएं.
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