“हमने ही पाकिस्तान को दो टुकड़ों में बांटा था”, राष्ट्रवाद का कार्ड खेलकर अब कांग्रेस कैसे भी सत्ता में वापस आना चाहती है

 


देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस की राष्ट्रवाद के मुद्दे पर आए दिन फजीहत होती रहती है और यही कारण है कि पार्टी देश की राजनीति में हाशिए पर जा चुकी है। इतनी फजीहतों के बाद अब कांग्रेस को एहसास हो चुका है कि उसे राष्ट्रवाद के मुद्दे पर लौटना पड़ेगा। इसलिए पार्टी ने बांग्लादेश की आजादी को भारत के गर्व के रूप में दिखाने कि तैयारी की है और इसके लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी बनाई गई है, जो काफी आश्चर्यजनक बात है क्योंकि कांग्रेस राष्ट्रवाद के मुद्दे पर अमूमन बगले झांकने लगती है।

हाशिए पर खड़ी कांग्रेस पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा किए गए कार्य को खुद की उपलब्धि बताकर जनता का समर्थन जुटाने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम की 50वीं वर्षगांठ मनाने वाली है। इस मसले पर कांग्रेस ने एक कमेटी भी गठित कर दी है जिसकी अध्यक्षता पूर्व रक्षा मंत्री और कांग्रेस नेता ए के एंटनी कर रहे हैं। इसके अलावा इसमें पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण और पूर्व केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी भी शामिल किए गए हैं।

कांग्रेस बांग्लादेश के उस संग्राम को खुद की उपलब्धि मानती है और इसका सारा श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और अपनी पार्टी के तत्कालीन नेताओं को देती रही है। इस मौके पर कांग्रेस के आधिकारिक बयान में कहा गया, “कांग्रेस अध्यक्ष ने 1971 में जीते गए बांग्लादेश मुक्ति संग्राम, जो हमारे दो देशों के बीच विशेष संबंधों का साक्ष्य है, की 50वीं ऐतिहासिक वर्षगांठ मनाने के लिए पार्टी की गतिविधियों की योजना बनाने एवं समन्वय के वास्ते समिति के गठन को मंजूरी दे दी है।”

बांग्लादेश की आजादी में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की भूमिका थी इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता, लेकिन कांग्रेस… जो कल तक बीजेपी पर सेना के शौर्य का राजनीतिक इस्तेमाल करने आरोप लगाती थी वो आज खुद सेना के शौर्य को अपनी नेता की उपलब्धि बता रही है। खास बात ये है कि कांग्रेस के पास हाल-फिलहाल में कोई राष्ट्रवाद का उदाहरण ही नहीं है, साल 2008 में मुंबई में 26/11 हमले के बाद सेना पाकिस्तान पर हमले को तैयार थी, कांग्रेस समेत पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के पास एक हीरो बनने का मौका था, पर उन्होंने डरपोक बनना मुनासिब समझा। इसीलिए कांग्रेस को राष्ट्रवाद का मुद्दा भुनाने के लिए 50 साल पीछे जाकर 1971 की उपलब्धि तिजोरी में से ढूंढकर निकालनी पड़ती है।

पिछले काफी वक्त से कांग्रेस के नेता राष्ट्रवाद के मुद्दे पर अपनी फजीहत करा रहे हैं। दिग्विजय सिंह से लेकर मणिशंकर अय्यर और सैफुद्दीन सोज समेत संदीप दीक्षित स्तर तक के नेता सेना के शौर्य का सबूत मांगने से लेकर सेना प्रमुख को सड़क का गुंडा बता चुके हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के अनुच्छेद-370 के बयान को तो पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने यूएन को दिए अपने डोजियर में शामिल कर दिया। नतीजा ये कि कांग्रेस पर राष्ट्रवाद के मुद्दे पर प्रश्न चिन्ह लगते चले गए।

अपने ऊपर लगे राष्ट्रवाद के उन्हीं प्रश्न चिन्हों को हटाने और खुद के दाग धुलने के लिए कांग्रेस ने बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम का जश्न मनाने की बात कही है जिससे अपनी राष्ट्रवाद के मुद्दे पर धूमिल हो चुकी छवि को साफ किया जा सके।

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