दिलजीत दोसांझ के पास एक फलता फूलता करियर था, लेकिन कंगना के साथ भिड़ंत ने उसकी लंका लगा दी

 


प्रख्यात पंजाबी कलाकार एवं संगीतकार दिलजीत दोसांझ एक बार फिर सुर्खियों में हैँ, पर इस बार गलत कारणों से। ‘किसान आंदोलन’ में जब शाहीन बाग के प्रदर्शनों का हिस्सा रही वृद्धा बिलकिस बानो की सक्रियता पर अभिनेत्री कंगना रनौत ने सवाल उठाया, तो दिलजीत उनसे ट्विटर पर भिड़ गए। लेकिन जिस प्रकार से दिलजीत ने कंगना का विरोध किया, उससे न सिर्फ उनका असली स्वरूप सबके सामने आया, बल्कि उनके भावी करियर पर भी एक प्रश्न चिन्ह लग चुका है।

हाल ही में कंगना रनौत ने ‘किसान आंदोलन’ में शाहीन बाग के भागीदारों द्वारा हिस्सा लेने पर सवाल उठाया, और ट्वीट किया कि बिलकिस बानो जैसे भाड़े की प्रदर्शनकारी क्या कर रही हैँ। इसपर दिलजीत ने प्रारंभ में ये बताने का प्रयास किया कि वह बिलकिस नहीं, बल्कि एक सिख महिला, महिंदर कौर है –

यहाँ पर स्पष्ट पता चल रहा था कि दिलजीत बिलकिस और महिंदर में कन्फ्यूज हो गए। ऐसे में कंगना ने आक्रामक होते हुए ट्वीट किया, “ओ करण जौहर के पालतू, जो दादी शाहीन बाग में CAA के विरोध में प्रदर्शन कर रही थी, वही बिलकिस बानो दादी जी किसानों के एमएसपी के लिए भी प्रोटेस्ट करते दिखी!” –

इसपे दिलजीत दोसांझ भड़क गए, और उन्होंने कंगना को खरी-खोटी सुनाते हुए कहा, “तूने जितने लोगों के साथ काम किया है, तू उन सब की पालतू है? फिर तो लिस्ट लंबी हो जाएगी तेरे मालिकों की! ये बॉलीवुड नहीं पंजाब है!” –

लेकिन दिलजीत वहीं पे नहीं रुके। उन्होंने कंगना के जवाब में ट्वीट किया, “एक औरत होके दूसरे औरतों को सौ सौ रुपये वाली बोलते हुए शर्म नहीं आती? सारी पंजाब की माँ का आशीर्वाद है, तूने मधुमक्खी के छत्ते में हाथ डाला है!” –

इसके आगे के ट्वीट्स से स्पष्ट पता चलता है कि दिलजीत दोसांझ की वास्तविक मानसिकता क्या है। एक गलत पहचान के पीछे किसी को ऐसी खरी-खोटी सुनाने से स्पष्ट संकेत मिलता है कि इस किसान आंदोलन ने ऐसे व्यक्तियों की असलियत जगजाहिर करने में एक बड़ी भूमिका निभाई है। दिलजीत दोसांझ ने वही गलती की है, जिसके कारण आज स्वरा भास्कर, ऋचा चड्ढा और तापसी पन्नू जैसे सेलेब्रिटी हंसी का पात्र बने हुए हैं।

लेकिन ये मत समझिए कि इससे दिलजीत के करियर पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। लोग अक्सर भूल जाते हैं कि व्यक्ति की छवि बहुत मायने रखती है। कहने को अभी दिलजीत जोड़ी नामक पंजाबी फिल्म और कनेडा नामक हिन्दी फिल्म लाइन में है, लेकिन जिस प्रकार से उन्होंने अप्रत्यक्ष तौर पर एक देशद्रोही विचारधारा [शाहीन बाग के आंदोलनकारी] को बढ़ावा दिया है, उससे स्पष्ट होता है कि आगे उनपर कोई भी अपना पैसा निवेश करने से पहले दस बार सोचेगा।

यूं तो कई उद्योगों के प्रसिद्ध सितारों ने बॉलीवुड में अपनी किस्मत आजमाई, परंतु दिलजीत दोसांझ उन चंद लोगों में शामिल थे, जिन्होंने अपने क्षेत्रीय उद्योग के साथ साथ बॉलीवुड में भी अपनी छाप छोड़ी। पिछली फिल्म गुड न्यूज के लिए उन्हें फिल्मफेयर में नामांकन भी मिल चुका है। लेकिन कंगना रनौत से उनकी ऑनलाइन भिड़ंत ने सिर्फ उनकी घृणित मानसिकता को उजागर किया है, अपितु उनकी साख पर ऐसा बट्टा लगाया है जिसे धोते-धोते उन्हें कई वर्ष लग जाएंगे।

सच कहें तो ‘किसान आंदोलन’ एक मायने में लाभकारी सिद्ध हुआ है – उसने ऐसे लोगों के चेहरे से मुखौटा हटाया है, जो कल तक राष्ट्रहित के लिए अपना सर्वस्व अर्पण करने का दावा करते थे। जिस प्रकार से दिलजीत ने कंगना का विरोध करने के नाम पर अपनी असलियत जगजाहिर की है, उससे उनके करियर की नैया डूबने में अब ज्यादा समय नहीं लगेगा।

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