बबीता फोगाट ने खोली किसान आंदोलन की पोल तो असहिष्णु हो गए अराजकतावादी

 


किसानों के अराजक आंदोलन को समर्थन देने वालों ने अब भारतीय दंगल गर्ल बबीता फोगाट से पंगा ले लिया है, लेकिन आश्चर्यजनक बात ये है कि उनकी चचेरी बहन भी इस मुद्दे पर भ्रमित हैं, और सोशल मीडिया पर अपनी बहन को बिन मांगीं सलाह दे बैठीं हैं। बबीता फोगाट ने जब ट्विटर पर किसानों के सही मुद्दे उठाए तो बुद्धिजीवियों ने उन्हें निशाने पर ले लिया। उनकी बहन विनेश फोगाट भी बबीता की आलोचना करते हुए ये तक कह गईं कि खिलाड़ियों को राजनीति नहीं करनी चाहिए, जो दिखाता है कि समाज में तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग की सोच कितनी संकुचित हो गई है।

भारत को कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक दिलाने वाली पहलवान और बीजेपी नेता बबीता फोगाट ने जब दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों के आंदोलन को विपक्षियों द्वारा हाइजैक किया हुआ बताया, तो एक दूसरा धड़ा बुरी तरह भड़क गया। बबीता ने केवल किसानों से विनती की थी कि वो वापस चले जाएं क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी किसी भी योजना में किसानों के हित से खिलवाड़ नहीं करेंगे।

यही नहीं, उन्होंने इस दौरान अपने ट्वीट में पंजाब और हरियाणा के बीच चल रहे सतलुज-यमुना विवाद को भी उठा दिया और कहा, SYL हरियाणा की जीवन रेखा है। इसलिए पंजाब से अपील करती हूं हरियाणा के किसानों को उनके हिस्से का पानी जरूर दें। हरियाणा के किसान हितों का पंजाब को जरूर सोचना चाहिए। सतलुज का फालतू पानी कहीं भी जाये पर हरियाणा के किसान को नहीं देना ये कौन सी समझदारी है।” बबीता ने असल में हरियाणा के किसानों के हित की बात ही कही है।

बबीता की बात एक दम सच है लेकिन इस मुद्दे पर उनकी ही चचेरी बहन विनेश फोगाट भी उनकी आलोचना कर रही हैं। उन्होंने बबीता को बिना मांगे सलाह दे डाली कि उन्हें एक खिलाड़ी ही रहना चाहिए और वो राजनीति में भले ही हो, लेकिन उन्हें इस तरह की राजनीतिक बयानबाजी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इससे उनकी प्रतिष्ठा पर धब्बा लगता है।

ये बेहद ही अजीब बात है कि देश में सेलिब्रेटी को सामाजिक मुद्दे पर बोलने से रोका जाता है। एक खिलाड़ी जो करोड़ों लोगों का नेतृत्व कर सकता है, जिसे लोग पलकों पर बिठाते हैं अगर वो कोई सही संदेश देता है, जिससे कोई बड़ा मुद्दा हल हो सकता है तो उस पर इस तरह की भद्दी बयानबाजी और विरोध नहीं होना चाहिए। बबीता फोगाट एक खिलाड़ी होने के साथ ही इस देश की एक सम्मानित नागरिक हैं। इसलिए उन्हें देश के किसी भी मुद्दे पर अभिव्यक्ति का अधिकार है, और उन्होंने जो भी मुद्दे उठाए है, वो वाजिब हैं कि किसान आंदोलन सच में हाईजैक हो चुका है। ये लोग अब केवल दिल्ली-एनसीआर में अराजकता फैलाने के अलावा कोई सकारात्मक नीयत नहीं रखते हैं।

एक कहावत है कि सच कहने पर वही लोग सबसे ज्यादा भड़कते हैं जिनके मन में चोर होता है। इस मुद्दे पर भी वही हुआ है। बबीता ने सच बोला और लोग सोशल मीडिया पर उन्हें ट्रोल करने लगे। यही नहीं, ये लोग खाप के जरिए बबीता का महिला विकास निगम के चेयरमैन पद से इस्तीफा भी मांग रहे हैं जो कि एक बेहूदगी की पराकाष्ठा है। अभिव्यक्ति की आजादी का झंडा बुलंद करने वाले ये लोग असल में अपने खिलाफ एक शब्द सुनकर ही आगबबूला हो जाते हैं जो कि इनकी सोच का दोहरापन भी दिखाता है।

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