मनुष्य एक चिंतनशील प्राणी है. मनुष्य ने पत्थर के हथियार बनाने से लेकर आज मंगल ग्रह पर यान तक भेज दिया है. कहने का मतलब है कि बीतते हुए समय के साथ मनुष्य ने तकनीकी रूप से बहुत तरक्की की है, उसने बहुत से अविष्कार किए हैं.
इन अविष्कारों का अर्थ सीधे तौर पर अपनी जिंदगी को और सरल और सुगम बनाना था. इस बीच इनमें से कुछ ऐसे आविष्कार हुए, जिन्होंने एक बहुत छोटी समयावधि में मानव के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव किये.
इस आलेख में हम उन्हीं अविष्कारों के बारे में जानने का प्रयत्न करेंगे…
इन्टरनेट
अगर आधुनिक अविष्कारों की बात की जाए, तो इन्टरनेट शायद उनमें सबसे पहले स्थान पर आएगा. इन्टरनेट, नेटवर्क का एक ऐसा जाल है, जो पूरे विश्व में फैला हुआ है और जिसके सहारे आज कोई भी व्यक्ति किसी भी समय तमाम तरह की जानकारियां हासिल कर सकता है. यही चीज इसे बहुत महत्वपूर्ण और क्रांतिकारी बनाती है.
अमेरिका की डिफेंस एडवांस रिसर्च प्रोजेक्ट एजेंसी ने 1960 में एप्रानेट का निर्माण किया था. यह एक कंप्यूटर से कंप्यूटर का नेटवर्क था और मिलिट्री तथा अकादमिक रिसर्च के लिए प्रयोग में लाया जाता था. 1970 में वैज्ञानिकों ने ‘सिंगल प्रोटोकॉल’ का निर्माण किया. अब एक नेटवर्क वाला कंप्यूटर किसी दूसरे तरह के नेटवर्क वाले कंप्यूटर से संपर्क साध सकता था.
आगे लगभग दस सालों के भीतर सभी प्रकार के नेटवर्कों ने इस इस प्रोटोकॉल को अडॉप्ट कर लिया. यहीं से इन्टरनेट की शुरुआत हुई. आज इन्टरनेट ने सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक-सांस्कृतिक ताने-बाने को बिलकुल बदल कर रख दिया है. हम पल भर में असीमित मात्रा की जानकारी इधर से उधर भेज सकते हैं.
कंप्यूटर
कंप्यूटर एक ऐसी मशीन है, जिसके अंदर जानकारियां जाती हैं, वहां उनमें फेर-बदल होता है, और वे फिर कुछ नई जानकारियां बनकर उससे बाहर निकलती हैं. आधुनिक कंप्यूटर का खोजकर्ता किसी एक को नहीं माना जा सकता है.
इस क्षेत्र में ब्रिटिश गणितज्ञ एलन ट्यूरिंग के विचारों को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. वैसे तो कंप्यूटिंग की शुरुआत उन्नीसवीं शताब्दी की शुरुआत में ही हो गई थी, लेकिन आधुनिक कंप्यूटर की खोज बीसवीं शताब्दी में हुई.
कंप्यूटर में जटिल गणितीय समस्यायों को पल भर में हल करने की क्षमता होती है. जब कंप्यूटर एक पारंगत संयोजक के निर्देशों पर काम करता है, तब उससे बेमिसाल परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं.
आज बिना कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के मिलिट्री के बड़े-बड़े और शक्तिशाली विमान उड़ नहीं सकते हैं. चाहे हमें अंतरिक्ष में कृत्रिम उपग्रह स्थापित करना हो या फिर किसी जटिल बीमारी के कारणों का पता लगाकर उसका इलाज खोजना हो, इन कामों के लिए आज हम पूरी तरह से कंप्यूटर पर निर्भर हैं. सच पूछिए तो कंप्यूटर अब हमारी सामान्य जिंदगी का जरूरी हिस्सा बन चुका है.
आज कंप्यूटर हमें यह सुविधा प्रदान करता है कि हम बहुत सारी जानकारी को एक जगह इकठ्ठा कर उसे कहीं दूसरी जगह आराम से प्राप्त कर सकते हैं. कार से लेकर स्मार्टफोन सब कंप्यूटर प्रोग्रामिंग पर ही चल रहे हैं.
भाप का इंजिन
भाप के इंजिन के आने से पहले सभी चीजें लगभग हाथों से ही बनाई जाती थीं. भाप के इंजिन ने मशीनों को चलाना शुरू किया और औद्योगिक क्रांति को जन्म दिया. इसलिए इतिहास में इसका एक ख़ास महत्व है. भाप के इंजिन ने मशीनों को चालू किया और मशीनों ने कम समय में ज्यादा उत्पाद बनाए. सबसे पहले 1712 में थॉमस न्यूकम ने एक ऐसे ही इंजिन का निर्माण किया.
बाद में 1769 में जेम्स वाट ने इसी इंजिन में एक नया कंडेंसर जोड़कर भाप का इंजिन बनाया. असल में जेम्स वाट द्वारा लगाए गए कंडेंसर ने पुराने इंजिन की ताकत बढ़ा दी और इसे व्यवहारिक रूप से काम करने के लायक बना दिया.
आगे जेम्स ने इंजिन के रोटरी गति को बढ़ाने का भी एक तरीका खोज लिया. इसने इंजिन की शक्ति और ज्यादा बढ़ा दी. हालाँकि, इस समय तक के इंजिन बहुत भारी थे. आगे रिचर्ड ट्रेथविक जैसे लोगों ने नए इंजिन बनाए.
ये नए इंजिन रेल के डिब्बों को खींचने में समर्थ थे. आगे इन्हीं इंजिनों का प्रयोग फैक्टरियों में किया गया. इन्होंने तेज गति से उत्पादन को अंजाम दिया और आगे होने वाली खोजों के लिए प्लेटफॉर्म तैयार किया.
ऑटोमोबाइल
भाप के इंजिन ने जैसे उद्योगों को आगे बढ़ाया, वैसे ही ऑटोमोबाइल ने लोगों को बढ़ाया.
ध्यान से देखा जाए तो पहिए का अविष्कार इस ओर बहुत महत्वपूर्ण था. लेकिन पहिये को मशीनी ताकत देकर उसे और कारगर बनाया गया और इसे नाम ऑटोमोबाइल का दिया गया. व्यक्तिगत वाहनों के विचार लोगों के पास सदियों से थे, लेकिन सबसे पहले 1885 में कार्ल बेंज ने इसका पहला खाका तैयार किया.
उन्होंने एक छोटे से इंजिन के सहारे एक गाड़ी का निर्माण किया. इस गाड़ी का नाम ‘मोटरवैगन’ रखा गया. आगे हेनरी फोर्ड ने इसे और विकसित किया. उनके द्वारा अपनाई गई उन्नत तकनीक ने गाड़ियों की कीमत को बहुत कम कर दिया.
आगे बेहतर मार्केटिंग के जरिये, ये गाड़ियाँ आम लोगों के पास भी पहुँचने लगीं. हिटलर ने ऐसी ही सस्ती गाड़ियाँ जर्मनी के आम लोगों के लिए सरकारी मदद से बनवाई थीं. इस गाड़ियों को वोक्सवैगन कहा गया था. मतलब आम लोगों की गाड़ी.
आज ऑटोमोबाइल ने मनुष्य के जीवन का पूरा खाका ही बदल दिया है. ऑटोमोबाइल की सहायता से आज मनुष्य लंबी-लंबी दूरियां पल भर में तय कर सकता है. आज हमें बहुत दूर स्थित किसी स्थान पर जाने से पहले इतना सोचना नहीं पड़ता है. हमें बस तैयारी करनी होती है.
शहरों के लिए तो ऑटोमोबाइल जीवन-रेखा बन चुके हैं. शहरों में एक तरफ तो उद्योग धंधे स्थापित होते हैं, तो दूसरी तरफ रिहायशी बस्तियां. ऐसे में ऑटोमोबाइल की सहायता से ही लोगों का जीवन सुगमता से चल पाटा है. वे काम करने के लिए सुबह घर से दूर जाते हैं और शाम के समय वापस लौट आते हैं. हालाँकि, सुगमता के साथ ऑटोमोबाइल ने विकराल प्रदूषण को भी जन्म दिया है.
आपको ये पोस्ट कैसी लगी नीचे कमेंट करके अवश्य बताइए। इस पोस्ट को शेयर करें और ऐसी ही जानकारी पड़ते रहने के लिए आप बॉलीकॉर्न.कॉम (bollyycorn.com) के सोशल मीडिया फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम पेज को फॉलो करें।
Post a Comment