‘लद्दाख में पीछे हटो या भयंकर युद्ध के लिए तैयार हो जाओ’, भारत का चीन को सीधा संदेश


भारत और चीन के बीच अप्रैल में शुरू हुआ तनाव अभी समाप्त होता नहीं दिखाई दे रहा है। कई दौर के बातचीत के बाद चीन के रुख से यह लग रहा है कि वह इस स्थिति को ही बनाए रखना चाहता है और भारत से भी इसे स्वीकार करने के संकेत भी दे रहा है, जिसमें उसके सैनिक LAC पर आक्रामक स्थिति में हैं, वहीं भारत चाहता है कि स्थिति अप्रैल से पहले जैसी हो जाए। चीन के न मानने पर अब भारत ने बॉर्डर पर 15 दिनों के भयंकर युद्ध के लिए गोला बारूद जमा करना शुरू कर दिया है।

ANI की रिपोर्ट के अनुसार, चीन के साथ तनाव के बीच में, भारत ने अब 15 दिनों के भयंकर युद्ध के लिए हथियारों और गोला-बारूद की अपनी स्टॉकिंग बढ़ाने के लिए रक्षा बलों को अधिकृत करके एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह सिर्फ चीन से सटे बॉर्डर के लिए नहीं है बल्कि पाकिस्तान और चीन दोनों से युद्ध की स्थिति के लिए है।
पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी संघर्ष में स्टॉकिंग की आवश्यकताओं और आपातकालीन वित्तीय शक्तियों का उपयोग करते हुए, सुरक्षा बलों द्वारा स्थानीय और विदेशी स्रोतों से उपकरण और गोला-बारूद के अधिग्रहण के लिए 50,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च करने की उम्मीद है।
पहले से चल रहे 10-दिवसीय स्टॉकिंग से अब भारत ने स्थिति देखते हुए हथियार और गोला-बारूद के अपने स्टॉक को न्यूनतम 15 दिन के स्तर तक बढ़ाने का फैसला लिया है। इसका मकसद चीन और पाकिस्तान यानि दोनों दो-फ्रंट पर रक्षा बलों को युद्ध के लिए तैयार करना है।

ANI ने एक सरकारी सूत्र के हवाले से बताया है कि, “दुश्मनों के साथ 15-दिवसीय गहन युद्ध लड़ने के लिए अब कई हथियार प्रणालियों और गोला-बारूद का अधिग्रहण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि रक्षा बलों के लिए इस स्टॉकिंग की प्रक्रिया को कुछ समय पहले मंजूरी दे दी गई थी।

उरी हमले के बाद, यह महसूस किया गया कि उन परिस्थितियों में पर्याप्त स्टॉक की कमी थी और तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के नेतृत्व वाले रक्षा मंत्रालय ने सेना, नौसेना और वायु सेना के उपाध्यक्षों की वित्तीय शक्तियों को बढ़ाकर 100 करोड़ रुपये से 500 करोड़ कर दिया था।

तीनों सेवाओं को किसी भी उपकरण को खरीदने के लिए 300 करोड़ के आपातकालीन वित्तीय अधिकार भी दिए गए थे। रक्षा बल दो विपरीत परिस्थितियों में प्रभावी रूप से निपटने के लिए कई मशीन, हथियार, मिसाइल और अन्य रक्षा प्रणालियों को खरीद रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि टैंक और तोपखानों के लिए बड़ी संख्या में मिसाइल और गोला-बारूद थल सेना की चिंताओं को दूर करने के लिए हासिल किया गया है।

भारत पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में चीन के साथ लगा हुआ है, जहां चीनी कई स्थानों पर अपनी हरकत बढ़ाए हुए हैं और LAC पर यथास्थिति को बदलने की कोशिश कर रहे हैं। यही नहीं, अप्रैल के बाद से ही बातचीत के कई दौर निकल गए लेकिन फिर भी चीन पीछे नहीं हट रहा है, उसे ऐसा लग रहा है कि भारत पर दबाव बना कर इसी स्थिति को बरकरार रखेगा, जिससे उसे आगे भारत की भूमि पर अतिक्रमण करने में आसानी हो। परंतु ऐसा कुछ नहीं होने जा रहा है और इसका जवाब भारत ने अपने हथियारों का स्टॉक बढ़ा कर दिया है। सिर्फ चीन से ही नहीं बल्कि अगर चीन और पाकिस्तान दोनों एक साथ भी हमला करते हैं तो भारत दोनों से न सिर्फ निपटेगा बल्कि उन्हें धूल भी चटाएगा।

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