ममता बीजेपी को नफरत से रोकना चाहती थीं, अमित शाह ने प्रेम और सद्भाव से बंगाल का दिल जीत लिया


 ममता भय और आतंक से पश्चिम बंगाल को डराने चली थीं पर अमित शाह ने प्रेम और सद्भाव से पूरे बंगाल का हृदय जीत लिया। भारत के गृह मंत्री अमित शाह का जलवा इस समय ज़ोरों पर है। अपने बंगाल दौरे में उन्होंने जहां-जहां भी दौरा किया, वहां की जनता ने उनका दिल खोल कर स्वागत किया। भारी संख्या में लोग उनके रोड शो और उनकी रैलियों में हिस्सा लेने पहुंचे। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले कई हफ्तों से तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा कार्यकर्ताओं से लेकर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा पर ताबड़तोड़ हमले करवाए, और भाजपा के लिए वोट करने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी तक दी। लेकिन अमित शाह के प्रेम और सद्भाव ने पूरे किए कराए पर पानी फेर दिया।

अमित शाह दो दिवसीय बंगाल दौरे पर हैं । यह दौरा इसलिए भी अहम है क्योंकि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के कोलकाता दौरे पर किए गए हमले से मानो तृणमूल कांग्रेस ने सीधे-सीधे अमित शाह को चुनौती दी थी। पहले तो उन्होंने मेदिनीपुर का दौरा किया, जहां उन्होंने वीर क्रांतिकारी खुदीराम बोस के पैतृक ग्राम का भ्रमण किया और उनके वंशजों से भी मिले। जिस प्रकार से उन्होंने खुदीराम बोस का सम्मान किया, उससे उनके वंशज अभिभूत हुए, क्योंकि इससे पहले किसी भी राजनेता ने उन्हें और उनके पूर्वज को इतना सम्मान नहीं दिया था। इसके अलावा वो दक्षिणेश्वर काली मंदिर भी गए। इसी के साथ उन्होंने पश्चिम बंगाल के उस हिन्दू सभ्यता और संस्कृति को महत्व दिया जो ममता बनर्जी के तानाशाही शासन में कहीं दब से गया था।


इस दौरान उन्होंने TMC के कद्दावर नेता शुवेन्दु अधिकारी सहित 9 विधायक, 1 संसद और 1 पूर्व संसद का भाजपा में स्वागत भी किया। इसके अलावा बोलपुर में भी अमित शाह ने एक सफल दौरा किया, जहां लोग उनके स्वागत में पलक पावड़े बिछा रहे थे। इसी सभा में उन्होंने एक बार फिर ममता सरकार के अत्याचारों पर सवाल उठाते हुए कहा, “मैंने कई प्रकार के जलसों और रोड शो में भाग लिया है, परंतु ऐसा जनसैलाब मैंने कहीं नहीं देखा। यह जनसैलाब ममता सरकार के प्रति लोगों के आक्रोश का प्रतीक है। ये जनसैलाब नरेंद्र मोदी जी के विकास की नीति में लोगों के विश्वास का प्रतीक है। अगर हमारी सरकार को सत्ता मिली, तो भारतीय जनता पार्टी बंगाल को एक बार फिर से ‘सोनार बांग्ला’ के दौर में ले आएगी। जहां भी भाजपा ने सरकार बनाई, वहाँ के लोगों ने विकास के पथ पर अपने आप को अग्रसर किया है”।

सच कहें तो जब से लोक सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने ताबड़तोड़ हिंसा के बावजूद 42 में से 18 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की, तभी से तृणमूल कांग्रेस हाथ धोकर भाजपा और उसके कार्यकर्ताओं के पीछे पड़ी हुई है। आए दिन बंगाल में भाजपा कार्यकर्ताओं की निर्ममता से हत्या की जाती है। यहां तक कि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और राज्य प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय तक को नहीं छोड़ा गया।

इतना ही नहीं, ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस बंगाल में भाजपा के बढ़ते प्रभाव से इतना बौखलाई हुई है कि उनके पार्टी के समर्थकों ने बंगाली जनता को डराने के लिए बड़े बड़े अक्षरों में धमकियाँ भी दीवारों पर पोतनी शुरू कर दी है। इनके जरिए तृणमूल कांग्रेस ये संदेश दे रही है कि यदि बंगाल की जनता ने तृणमूल कांग्रेस के अलावा किसी को भी वोट किया, तो अंजाम अच्छा नहीं होगा। लेकिन अमित शाह के दो दिवसीय बंगाल दौरे ने मानो इस भयतंत्र की धज्जियां उड़ा कर रख दी हैं। जिस प्रकार से आम जनता और विपक्षी पार्टियों, विशेषकर भाजपा के कार्यकर्ताओं पर तृणमूल कांग्रेस अत्याचार कर रही है, उससे अमित शाह भली भांति परिचित है, और वे इस भयतंत्र का जवाब सशक्त जनतंत्र से देना चाहते हैं, जिसमें वे काफी हद तक सफल भी होते दिखाई दे रहे हैं।

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