सिक्के का दूसरा पहलू- देखिये नए कानून के बाद हिमाचल प्रदेश के किसानों का लाभ कितना बढ़ा है

 


पूर्वानुमान कितने घातक साबित हो सकते हैं इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। कुछ ऐसा ही पूर्वानुमान केन्द्र सरकार द्वारा लागू किए गए कृषि कानूनों को लेकर भी लगाया जा रहा है। नतीजा ये कि पंजाब में इसका बेवजह विरोध हो रहा है। जबकि यह कानून अभी जहां भी आंशिक रूप से लागू हुआ है, वहां इसका किसानों को ही फायदा हो रहा है। उन्हें मंडी के विचित्र सिस्टम से राहत मिली है और फसल का उचित दाम भी। इसका उदाहरण हिमाचल प्रदेश के सेब की खेती करने वाले किसान हैं जो इस नए कृषि कानून से बेहद खुश हैं।

केंद्र सरकार द्वारा लागू तीन ने कृषि कानून पूरे देश में एक मुख्य मुद्दा बन गया है। इस बीच हिमाचल प्रदेश के किसान लायक राम ने कहा, “पहले हमें यह सेब बेचने के लिए दिल्ली जाना पड़ता था। हमें बिचौलियों से अपनी फसल बिकवानी पड़ती थीलेकिन अब वह सिस्टम खत्म हो चुका है। अब हम सीधे केंद्र को अपनी फसल बेच सकते हैं।” हिमाचल प्रदेश के इस किसान ने बताया, “पिछले साल मैंने 12000 कैरेट्स और इस बार 10000 कैरेट्स सेब बेचे थे। जिसकी सीधी रकम हमारे बैंक अकाउंट में आई है। जबकि पहले हमें अनेकों मजदूरों बिचौलियों पर बड़ी मात्रा में पैसा खर्च करना पड़ता था।

एक तरफ जहां हिमाचल प्रदेश के किसान आंशिक रूप से लागू इन कृषि कानूनों के लागू होने से काफी खुश हैं तो वहीं दूसरी ओर पंजाब के किसान कुछ खालिस्तानी आतंकवादियों और अकाली दल समेत कांग्रेस की राजनीति के बहकावे में आ गए हैं। वह लगातार इस मुद्दे पर बिना कुछ सोचे समझे विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और अपने विरोध प्रदर्शन के नाम पर उन्होंने दिल्ली एनसीआर के मुख्य राष्ट्रीय राजमार्गों को बंद कर दिया है। जबकि वह नहीं जानते हैं कि इन कानूनों के लागू होने के बाद असल में उनकी आय कितनी अधिक बढ़ेगी।

बिहार के किसान कौशलेंद्र कुमार एक उदाहरण हैं कि उदारीकरण की नीति से कृषि क्षेत्र को कितना अधिक मजबूत किया जा सकता है। कौशलेंद्र सब्जी बेचकर प्रत्येक वर्ष करोड़ों रुपए कमाते हैं। अहमदाबाद आई आई एम जैसे प्रतिष्ठित कॉलेज से मैनेजमेंट की पढ़ाई कर कौशलेंद्र कुमार ने कृषि को अपना पेशा चुना जबकि कृषि को एक अकुशल क्षेत्र माना जाता था। बिहार सरकार ने पहले ही 2016 में एपीएमसी अधिनियम को निरस्त कर दिया है और इसलिए उन्हें उपज को सीधे बाजार में बेचने की अनुमति दी गई थी। कौशलेंद्र ने अपनी उपज को सीधे बाजार में बेचने के लिए किसानों को एक साथ लाना शुरू किया, और आज छह जिलों के 35,000 से अधिक किसान उनके साथ मिलकर काम कर रहे हैं और कृषि के क्षेत्र से करोड़ों रुपए कमा रहे हैं।

कौशलेंद्र कुमार ने बताया, “पूरे देश में कई ऐसे महत्वपूर्ण साधन हैं जिनके जरिए किसानों की मदद की जा रही है। जिसमें सौर ऊर्जा की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। मैंने देखा है कि यह काफी छोटे स्तर पर किए गए हैं लेकिन बहुत अधिक प्रभावशाली साबित हुए हैं।” कौशलेंद्र ने कहा कि उनका एजेंडा केवल किसानों की भलाई और उनकी आय को पारदर्शी तरीके से बढ़ाना है। इसीलिए किसान अपने खेतों से ताजे फल और सब्जियां लाकर सीधे मंडियों में बेचते हैं।

कौशलेंद्र तो मात्र एक उदाहरण है असल में मोदी सरकार जो कर रही है वह देश में आगे चलकर अनेक कौशलेंद्र कुमार जैसे सफल किसानों की कहानी गढ़ेगा। इसके जरिए किसान अपनी फसल मंडी में बिना किसी रोक टोक आसानी से अपने मूल्य के अनुसार बेच सकेंगे। साथ ही इसमें बिचौलियों की कोई भी संभावना नहीं होगी, जिससे किसानों की आय में बढ़त होगी। इन सब बातों से अनजान यह किसान केवल कुछ राजनीतिक पार्टियों के मोहरे बन गए हैं, और इनका इस्तेमाल राजनीतिक पार्टियां अपने स्वार्थ साधने के लिए भ्रम फैलाकर कर रही हैं।

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