बंद हो सकती है चाइनीज मोबाइल कंपनी शाओमी की दुकान, फिलिप्स ने लगाया तकनीक चोरी करने का आरोप


इन दिनों शाओमी कई कारणों से विवादों के घेरे में है। एक तो शाओमी के चीनी कंपनी होने के कारण उसकी नीयत हमेशा संदेह के घेरे में रहती है, उसके ऊपर से कंपनी पर कई बार अपने उत्पादों के जरिए चीनी प्रशासन के लिए जासूसी करने के भी आरोप लगते रहे हैं। परंतु इस बार शायद शाओमी बुरा फंस सकती है, क्योंकि इस बार अदालत में उसका सामना फिलिप्स कंपनी से होगा, जिसने शाओमी के विरुद्ध पेटेंट चोरी का आरोप लगाया है।

दिल्ली हाई कोर्ट में हाल ही में प्रसिद्ध इलेक्ट्रिकल उपकरण एवं आधुनिक गैजेट बनाने वाली प्रसिद्ध कंपनी फिलिप्स ने पेटेंट चोरी को लेकर दो चर्चित स्मार्टफोन निर्माताओं के विरुद्ध मुकदमा दायर किया है, और ये कोई और नहीं, बल्कि शाओमी और वीवो कंपनी है।

लीगल न्यूज वेबसाइट बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, “दिल्ली हाई कोर्ट में दो निरंतर याचिकाओं में फिलिप्स ने आरोप लगाया है कि वीवो और शाओमी ने टेलिकम्युनिकेशन के क्षेत्र में ‘Standard Essential Patents’ के अधिनियमों का उल्लंघन किया है।

फलस्वरूप दो एकल पीठों ने आरोपियों के विरुद्ध मुकदमे को स्वीकृति देते हुए दो अहम निर्णय लिए। जहां शाओमी को अपने भारत में संचालित बैंक अकाउंटों में 1000 करोड़ रुपये रखने को कहा है, तो वहीं वीवो को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वे ग्रेटर नोएडा में स्थित अपने उत्पादन प्लांट में तब तक थर्ड पार्टी राइट्स का मार्ग न प्रशस्त करे जब तक कार्रवाई पूरी न हो जाए।”

यूं तो शाओमी और वीवो जैसे अनेक चीनी कंपनियों के विरुद्ध वैश्विक कंपनियों की बौद्धिक संपत्ति  एवं उनके पेटेंट चोरी करने के आरोप लगते रहते हैं, लेकिन ये पहली बार होगा जब किसी चीनी कंपनी के विरुद्ध इस प्रकार का एक्शन लिया जा रहा हो। इससे पहले केंद्र सरकार ने कई चीनी स्मार्टफोन एप्स को प्रतिबंधित किया है, लेकिन फिलिप्स द्वारा दो चीनी स्मार्टफोन कंपनियों के विरुद्ध पेटेंट चोरी के आरोपों पर मुकदमा चलाने की स्वीकृति देना अपने आप में एक बहुत अहम संदेश देता है।

अब इससे इन दोनों कंपनियों को क्या नुकसान होता है? ऐसे तो इस पर काफी लंबी चर्चा हो सकती है, लेकिन संक्षेप में यह कहना गलत नहीं होगा कि यदि फिलिप्स मुकदमा जीता, तो दोनों कंपनियों के अस्तित्व पर ही प्रश्न चिन्ह लग जाएगा। वुहान वायरस की महामारी और ऊपर से चीन के भारत के प्रति विस्तारवादी रवैये के कारण दोनों कंपनियों को पहले ही काफी नुकसान झेलने पड़ रहे हैं, लेकिन यदि फिलिप्स ने दिल्ली हाई कोर्ट में मुकदमा जीत लिया, तो दोनों को आर्थिक तौर पर ऐसा झटका लगेगा कि आने वाले दस सालों में इन दोनों कंपनियों को दुनिया भर से अपना बोरिया बिस्तर ही समेटना पड़ जाएगा।

सच कहें तो जो फर्जीवाड़ा करते हुए वीवो, शाओमी जैसे चीनी टेक कंपनियों ने अनेकों देशों में अपना वर्चस्व जमाया हुआ था, अब एक एक करके उनके काले करतूतों की पोल खुलती जा रही है। जिस प्रकार से भारत ने आर्थिक मोर्चे पर ऐसे चीनी कंपनियों की हवा टाइट की है, उससे स्पष्ट पता चलता है कि इन कंपनियों का भविष्य क्या हो सकता है। फिलिप्स का मुकदमा इन चीनी कंपनियों के ताबूत में अंतिम कील भी सिद्ध हो सकता है।

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