चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। पहले से ही भयंकर आर्थिक कठिनाइयों से जूझते जिनपिंग प्रशासन को अब चीन में पैदा हो रही सामाजिक अस्थिरता का भी सामना करना पड़ रहा है। SMPC की खबर के अनुसार इसका कारण चीनी प्रशासन द्वारा Peer to Peer ‘P2P’ lending platforms पर की गई कार्रवाई है।
P2P lending platform ऐसे ऑनलाइन प्लेटफार्म हैं, जहाँ लोग अपनी बचत को निवेश करते हैं तथा व्यापारिक प्रतिष्ठान या निजी उद्यमी इन निवेशों को उधार लेकर आगे अपनी व्यापारिक गतिविधियों में इस्तेमाल करते हैं। यह एक प्रकार से उधार लेने और देने वाले लोगों को online मंच मुहैया कराता है। लेकिन अब चीनी बैंकिंग तंत्र ने ऐसे सभी प्लेटफॉर्म बन्द करने का निर्णय लिया है।
बता दें कि चीन में P2P प्लेटफार्म का बड़ा बाजार है। ऐसा पहला ऑनलाइन प्लेटफार्म 14 वर्ष पूर्व शुरू हुआ था। लेकिन 2014 के बाद सरकार द्वारा ऐसी सेवाओं को समर्थन मिलने के कारण इनका तेजी से विकास हुआ। चीनी नागरिकों को इसका बहुत लाभ मिला है। छोटे उद्यमी जिन्हें अपने व्यापार में छोटे निवेश के लिए बैंकों से लोन मिलना मुश्किल होता था वे ऐसे प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करके आसानी से उधार ले सकते थे। वहीं छोटी बचत रखने वाला निम्न एवं निम्न मध्यम आय वर्ग का व्यक्ति भी इनमें निवेश करके लाभ कमा सकता था।
चीनी सरकार के आंकड़ों के अनुसार चीन में ऐसे दस हजार P2P ऑनलाइन प्लेटफार्म काम कर रहे हैं जिनमें सालाना लेन देन 3 ट्रिलियन युआन या 640 बिलियन डॉलर का होता है। यह दिखाता है कि लोग कितनी बड़ी मात्रा में इसपर निर्भर हैं एवं आर्थिक लेन देन के लिए इसे एक भरोसेमंद प्रक्रिया मानते हैं। लेकिन जब जिनपिंग प्रशासन ने चीनी अर्थव्यवस्था में financial risking अर्थात आर्थिक लेनदेन में धोखाधड़ी के खतरे को खत्म करने के लिए 2017 में मुहिम चलाई, तब इसका P2P platforms पर बुरा असर पड़ा।
लेकिन लगातार लाभ के चलते इसमें धोखेबाजी की संभावना को देखते हुए इसपर सरकार ने कार्रवाई की। People’s Bank of China के पार्टी प्रमुख Insurance regulator commission के प्रमुख गुओ शुकिंग ने अपने बयान में कहा ” यदि कोई प्रोडक्ट 6 प्रतिशत का रिटर्न दे रहा है तो प्रश्न उठना चाहिए, यदि 8 प्रतिशत का रिटर्न दे रहा है तो इसका मतलब वह खतरा है और यदि 10 प्रतिशत से अधिक का रिटर्न मिल रहा है तो इसका मतलब आप तैयार रहें कि आपके सभी नैतिक मूल्य खोने वाले हैं।” इस वक्तव्य से उनका इशारा व्यापारिक लाभ के लिए होने वाले अवैध एवं अनैतिक कार्यों की ओर था, गुओ के अनुसार इसके बिना ऐसे उच्च रिटर्न मिलना नामुमकिन है।
किंतु समस्या यह है कि लाखों लोग इन प्लेटफॉर्म में अपना निवेश कर चुके हैं। ऐसे लोग चीनी सरकार के निर्णय से सीधे प्रभावित होने वाले हैं और उन्हें उनके भविष्य को लेकर चिंता सता रही है। लेकिन सरकार उनके प्रदर्शनों, उनके द्वारा किये गए मुकदमों आदि से अप्रभावित बनी हुई है। अब भी लाखों निवेशकों का पैसा फसा हुआ है। एक अनुमान के मुताबिक निवेशकों की 800 बिलियन युआन या 122.7 बिलियन डॉलर की रकम अब भी फंसी है। इनमें कई ऐसे निवेशक हैं जिन्होंने अपनी जीवनभर की बचत का निवेश किया है।
कम्युनिस्ट सरकार ने एकाएक ऐसे सभी प्लेटफार्म बन्द करने का फैसला किया है। निवेशकों के सभी खातों पर सरकार का नियंत्रण हो गया है। निवेशकों को उनके ही खातों से केवल 20 से 30 प्रतिशत धनराशि निकालने की छूट मिली है। महत्वपूर्ण यह है कि यह वह वर्ग है जो अधिकांश निम्न आयवर्ग का है तथा जिसकी संख्या बहुत अधिक है। यह उइगर मुस्लिमों या तिब्बती बौद्धों की बात नहीं जिसे संख्याबल से झुकाया जा सके। अर्थव्यवस्था की हालत वैसे ही नाजुक है। ऐसे में कम्युनिस्ट सरकार का यह कदम चीन में किसी क्रांति को भी जन्म दे सकता है।
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