पैसा वर्ल्ड बैंक का, जासूसी अमेरिका के खिलाफ़ और फायदा हुवावे का, यही है चीन की नई चाल


 जब सभी को ऐसा लग रहा था कि ट्रम्प प्रशासन के कई कड़े कदमों ने चीन को प्रशांत महासागर के द्वीप देशों से बाहर निकाल दिया है, तभी इस पेपर ड्रैगन की एक नई योजना का खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार एक चीनी फर्म कथित रूप से उसी क्षेत्र में समुद्र के अंदर इंटरनेट केबल बिछाने वाली परियोजना के जरीय HANTRU-1 Undersea Cable के साथ शामिल होने का मौका तलाश रही है, जो एक प्रमुख अमेरिकी सैन्य अड्डा गुआम द्वीप पर जाकर समाप्त होता है।

Reuters की रिपोर्ट के अनुसार, विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) द्वारा समर्थित 72.6 मिलियन डॉलर की मदद से क्षेत्र में एक अंतरराष्ट्रीय विकास परियोजना के लिए चीन की हुवावे मरीन ने फिनलैंड के नोकिया और जापान के NEC के साथ बोली लगाई है। रॉयटर्स के अनुसार, दो सूत्रों ने बताया है कि अमेरिका ने प्रशांत महासागर के द्वीप देशों को चीनी कंपनी की मौजूदगी से उत्पन्न सुरक्षा खतरों के बारे में चेतावनी दी है। इस परियोजना में तीन राष्ट्र शामिल हैं Nauru, Federated States of Micronesia (FSM) और Kiribati.

यानि सीधे शब्दों में एक चीनी फर्म गुआम द्वीप से जुड़े प्रशांत द्वीप समूह क्षेत्र में एक Undersea इंटरनेट केबल विकसित करना चाह रही है, और वह भी विश्व बैंक के पैसे से। वर्तमान भू-राजनीतिक समीकरणों को देखते हुए, यह अमेरिकी की सुरक्षा चिंताओं को बढ़ाने के लिए पर्याप्त है। किसी चीनी कंपनी का आना ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को इस प्रस्ताव का विरोध करने के लिए बाध्य करेगा।

ऐसे Undersea Cable में उपग्रहों की तुलना में डेटा क्षमता अधिक होती है। यह प्रशांत महासागर के क्षेत्र में कूटनीति के लिए एक बेहद संवेदनशील क्षेत्र के रूप में जाने जाता है।

बता दें कि हुवावे मरीन और हुवावे टेक्नोलॉजीज कंपनी लिमिटेड एक नहीं है बल्कि अलग-अलग कंपनी है। अब हुवावे मरीन शंघाई-सूचीबद्ध Hengtong Optic-Electric Co Ltd के स्वामित्व में है। फिर भी, वाशिंगटन चिंतित है और महत्वपूर्ण बुनियादी इनफ्रास्ट्रक्चर को बनाने करने के लिए प्रस्तावित Undersea Cable के उपयोग के खिलाफ प्रशांत द्वीप देशों को चेतावनी दे चुका है।

रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से यह भी कहा है कि वाशिंगटन ने जुलाई में FSM को एक राजनयिक नोट भेजा और परियोजना के बारे में चिंता व्यक्त की। कथित तौर पर अमेरिका ने आरोप लगाया है कि हुवावे मरीन और अन्य चीनी कंपनियों को चीनी खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों के साथ किसी भी तरह की जानकारी साझा करना अनिवार्य होता है।

सूत्रों ने यह भी कहा कि इस राजनयिक नोट से पहले Micronesia और Nauru की सरकारी विकास एजेंसियों को परियोजना में हुवावे मरीन की भागीदारी के बारे में चेतावनी दी गई थी।

बता दें कि FSM एक अमेरिकी सहयोगी देश है,जो इस परियोजना के बारे में थोड़ा चिंतित है। रॉयटर्स के अनुसार, FSM सरकार ने खुलासा किया कि वह इस परियोजना में द्विपक्षीय भागीदारों के साथ बात कर रही है, जिनमें से कुछ ने यह सुनिश्चित करने पर चिंता जताई है कि इस केबल के द्वारा क्षेत्रीय सुरक्षा को खतरा न पैदा होता हो।

Nauru भी एक ताइवानी सहयोगी देश है लेकिन Kiribati इस परियोजना के पक्ष में दिखाई देता है और सूत्रों का कहना है कि यह देश हुवावे मरीन की बोली को सबसे अनुकूल रूप से देखता है। पिछले साल, इस द्वीप राष्ट्र ने भी ताइवान के साथ अपने राजनयिक संबंधों को चीन के पक्ष में बदल दिया था। हालांकि, रायटर ने कहा कि किरिबाती सरकार ने उसके भेजे सवालों का जवाब नहीं दिया।

लेकिन एक अमेरिकी दृष्टिकोण से, Guam सैन्य अड्डे के लिए प्रस्तावित इंटरनेट केबल परियोजना संबंध सबसे बड़ी चिंता का विषय है। अमेरिकी सैन्य अड्डा प्रशांत द्वीप समूह क्षेत्र में किसी भी देश के खिलाफ एक ‘गेम चेंजर’ सैन्य बेस है और अमेरिका किसी भी कीमत पर इस सैन्य बेस को चीन के घुसपैठ को स्वीकार नहीं करना चाहेगा। अब देखने वाली यह बात है कि चीन की हुवावे मरीन को Undersea Cable बिछाने का परियोजना मिलता है या अमेरिका तिकड़म लगा कर उसे बाहर करता है।

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