चीन के आम लोग ठंडियों में ठिठुरने को मजबूर हो रहे हैं। इसका कारण चीन की कम्युनिस्ट सरकार की विदेश नीति एवं घरेलू नीति तथा शी जिनपिंग की महत्वकांक्षा है। दरअसल, जिनपिंग सरकार की नाकामियों के चलते पहले वुहान वायरस पूरी दुनिया में फैला और जब ऑस्ट्रेलिया की ओर से मामले की निष्पक्ष जांच की मांग उठी तो चीन ने उसपर आर्थिक प्रतिबंध लगाकर उसे शांत करने की कोशिश की। चीन की सरकार ने ऑस्ट्रेलिया से आयातित सामानों पर अलग-अलग बहानों से प्रतिबंध घोषित कर दिए, इनमें एक मुख्य आयातित वस्तु कोयला भी थी। चीन द्वारा ऑस्ट्रेलियाई कोयले पर लगा प्रतिबंध अब उसके अपने लोगों को ठंड से कापने को मजबूर कर रहा है। अब कोयले की कमी के कारण मेनलैंड चीन में भी भयंकर ऊर्जा संकट पैदा हो गया है और वहाँ के बड़े-बड़े शहरों में घंटों-घंटों तक बिजली की कटौती देखने को मिल रही है।
दरअसल, चीन के कुल थर्मल और Coking कोल का अधिकांश हिस्सा ऑस्ट्रेलिया से आता था। चीन की सरकार ने अचानक खराब गुणवत्ता का आरोप लगाकर आयात बन्द करने का फैसला किया। यह निर्णय पूर्णतः भूराजनैतिक समीकरण साधने के लिए उठाया गया था किंतु इसका खामियाजा आम चीनी नागरिकों को भुगतना पड़ रहा है। अब तक तो शी जिनपिंग की सनक और जिद्द चीन के पड़ोसियों या उसके तिब्बत जैसे स्वायत्त क्षेत्रों को ही मुसीबत में डालती थी, किंतु अब मुख्य चीन की जनता भी परेशान है। सरकारी आदेश के मुताबिक लोगों को हीटर चलाने की अनुमति तभी है जब तापमान 3°C से कम हो तथा हीटर द्वारा कुल अधिकतम तापमान 16℃ से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता। साथ ही Street lights को अब कुछ हफ्तों के लिए बंद कर दिया गया है। सरकारी दफ्तरों में Elevators पर पाबंदी लगा दी गयी है और उन्हें सीढ़ियों का इस्तेमाल करने के लिए कहा जा रहा है। चीन की सरकार का बहाना है कि यह निर्णय कारखानों में आ रही ‘पावर शॉर्टेज’ की स्थिति से बचने के लिए है लेकिन वास्तविकता कुछ और है।
अभी चीन के तीन प्रान्तों हुनान, झेजियांग और जिआंगशी में बड़ी मात्रा में पावर सप्लाई की कमी हो रही है, जिसका असर आम जनता के अलावा सरकारी कार्यालयों, व्यापार और कारखानों पर भी पड़ रहा है। चीनी सोशल मीडिया भी पावर शॉर्टेज की चर्चा से भरा है किंतु स्वाभाविक रूप से कोई खुलकर सरकार की नीतियों का विरोध नहीं कर रहा।
चीन की सरकार ने एक बार पुनः सिद्ध कर दिया है कि एक व्यक्ति की महत्वकांक्षा पूरे देश की कठिनाइयों से बड़ी है। जिनपिंग की जिद्द ने ही दुनिया को समय रहते वुहान वायरस से आगाह नहीं किया। उसकी जिद्द के कारण ही चीन में लाखों लोग मारे गए लेकिन चीनी सरकार और जिनपिंग की छवि को बचाने के लिए यह बात कभी खुलने नहीं दी गई और इसकी चर्चा केवल मीडिया रिपोर्ट्स तक सीमित रह गई। अब जिनपिंग की सनक का यह नया उदाहरण है। उसकी जिद्द का नतीजा है जो लोगों को घंटो घंटो लंबे ‘पावर कट’ का सामना करना पड़ रहा है। वास्तव में जिनपिंग कुछ नया नहीं कर रहे, कम्युनिस्ट शासकों की प्रवृत्ति ही है कि खुद की असफलता को किसी भी हाल में स्वीकार न करना। उनका यह रवैया चीन को दुबारा माओ के अत्याचारों के दिनों में ले जाएगा। सच यह है कि जिनपिंग चीन के दूसरे माओत्से तुंग हैं।
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