बलोच, सिंधी जीते, पाकिस्तानी हारे; चीन को कहना ही पड़ा- गारंटी दो, तभी लोन मिलेगा


पाकिस्तान की मुश्किलें समाप्त होने का नाम नहीं ले रहीं है और उसकी हालत ‘गरीबी में आटा गीला’ जैसी हो चुकी है। आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहे पाकिस्तान को अब चीन भी लोन देने में आनाकानी करने लगा है और इसका कारण कुछ और नहीं बल्कि पाकिस्तान में बलोचों और सिंधियों के हमले हैं। हालांकि, आधिकारिक कारण पाकिस्तान की खराब अर्थव्यवस्था बताई जा रही है लेकिन यह सभी को पता है कि चीन को पाकिस्तान में बलोचों के हमलों के कारण कई गुना नुकसान हो चुका है और अब वह रिस्क लेने के मूड में नहीं है।

दरअसल, रिपोर्ट के अनुसार चीन ने पाकिस्तान को CPEC के Main Line-1 रेलवे प्रोजेक्ट लिए 6 बिलियन डॉलर लोन देने में आनाकानी की है। अगर वह दे भी रहा है तो उसमें उसने पाकिस्तान से अतिरिक्त गारंटी तथा बढ़े हुए ब्याज दर पर देने की बात कही है। इस रेलवे प्रोजेक्ट के लिए पाकिस्तान 1 प्रतिशत के सस्ते दर पर ऋण की उम्मीद कर रहा था लेकिन चीन ने झटका देते हुए वाणिज्यिक और रियायती ऋणों के मिश्रण की पेशकश की है। इस मिश्रण से पाकिस्तान पर 2 प्रतिशत ब्याज दर से अधिक का बोझ पड़ेगा।

बता दें कि ML-1 परियोजना में पेशावर से कराची तक 1,872 किलोमीटर के रेलवे ट्रैक का दोहरीकरण और उन्नयन शामिल है और यह चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के दूसरे चरण के लिए एक प्रमुख मील का पत्थर है। परंतु यहां समस्या यह है कि यह परियोजना बलूचिस्तान और सिंध प्रांत से होकर गुजरता है। बलोचों ने तो चीन की परियोजनाओं और चीनी कैंपो पर हमला कर नाक में दम कर रखा है।

इसी वर्ष पाकिस्तान में बलोच और सिंधी अलगाववादी समूहों ने घोषणा की है कि वे पाकिस्तान में बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव परियोजनाओं और चीनी हितों पर हमला करने के उद्देश्य से गठबंधन कर रहे हैं जिससे चीन की सुरक्षा लागत में वृद्धि हो। इसी वर्ष जुलाई में यह घोषणा की गयी थी। उस दौरान बलोचों ने दावा किया था कि जून में हुए पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज पर हमला सिंधी अलगाववादियों के समर्थन से किया गया था। इसी डर से अब चीन को लगता है कि बलोच और सिंधी गठबंधन के बाद CPEC तथा चीन हितों पर और अधिक घातक हमले शुरू हो सकते हैं। बीते समय में बलोच समूहों ने न केवल अपने हमलों को तेज किया है, बल्कि बलूचिस्तान से अपनी आतंकवादी हिंसा का विस्तार भी किया है।

हालांकि, CPEC को बचाने के लिए पाकिस्तान फेंसिंग प्रोजेक्ट या घेराबंदी परियोजना भी चला रहा है जिससे बलोचों के हमलों को रोका जा सके लेकिन उससे पाकिस्तान के ऊपर ही बोझ बढ़ा है। SCMP की एक रिपोर्ट के अनुसार बलूचिस्तान प्रांत में अलगाववादियों द्वारा किए गए घातक हमलों के कारण 60 अरब डॉलर की लागत से बन रहे इस चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे की सुरक्षा जोखिम और लागत में वृद्धि होने की आशंका भी जताई जा चुकी है।

ऐसी स्थिति में चीन यह नहीं चाहता कि उसे पहले की तरह ही और नुकसान हो। कोरोना के कारण चीन की आर्थिक हालत वैसे भी खस्ता है और वह पाकिस्तान को सस्ते कर्ज देकर अपना बोझ नहीं बढ़ाना चाहता है। अगर फिर भी पाकिस्तान को ऋण देना पड़ा तो वह पाकिस्तान से मिले अतिरिक्त गारंटी को हथिया लेगा।

ऐसा लगता है कि अब बलोचों और सिंधियों के लगातार हमलों का प्रभाव पाकिस्तान और चीन के रिश्तों पर दिखाई देने लगा है। यह एक तरह से बलोचों और सिंधियों के लिए जीत मानी जाएगी और वे इससे प्रोत्साहित हो कर पाकिस्तान में चल रहे CPEC के प्रोजेक्ट्स पर और अधिक हमले कर सकते हैं।

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