भारत और अरब देशों के बीच बढ़ते सम्बन्धों से पाकिस्तान में आग लगी हुई है, पूर्व प्रधानमंत्री से लेकर रक्षा मंत्री और पूर्व डिप्लोमैट सभी पाकिस्तान की विदेश नीति की जमकर आलोचना कर रहे हैं। उन्हें ऐसा लग रहा है कि अब पाकिस्तान का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा। पाकिस्तान के इसी घाव पर भारत के सेना प्रमुख जनरल नरवाने की सऊदी अरब और UAE की यात्रा ने नमक डालने का काम किया है।
जनरल नरवाने की यात्रा के बाद वहां की मीडिया में कहा जा रहा है कि अब सऊदी अरब भी पाकिस्तान के साथ नहीं है। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद ख़ाक़ान अब्बासी ने एक कार्यक्रम में कहा कि, “हम दूसरे मुल्क की विदेश नीति तय नहीं कर सकते। लेकिन हमें अपनी विदेश नीति के बारे में सोचना चाहिए। सच यही है कि सऊदी अरब से हमारे संबंध पटरी पर नहीं हैं। तनाव की स्थिति है। हमें इसे ठीक करना होगा। हमारे सबसे क़रीब के रिश्ते तो सऊदी अरब और यूएई से ही रहे हैं।”
यह विडम्बना ही है कि जिस सऊदी अरब से पाकिस्तान का रक्षा सहयोग है और पाकिस्तान की फ़ौज वहां मक्का मदीना की सुरक्षा में लगी रही है वह अब भारत के सेना प्रमुख का स्वागत कर रहा है।
भारत में पाकिस्तान के राजदूत रहे अब्दुल बासित ने एक वीडियो पोस्ट किया जिसमें उन्होंने जनरल नरवाने के सऊदी दौरे को काफ़ी अहम बताया है। अब्दुल बासित का कहना है कि विदेश मंत्री के बाद भारत के सेना प्रमुख का यूएई और सऊदी अरब जाना बताता है कि खाड़ी के देशों को लेकर भारत की विदेश नीति बहुत आक्रामक है। संभव है कि आने वाले दिनों में सऊदी अरब, यूएई और भारत सैन्य अभ्यास भी करें।
पाकिस्तान के जाने-माने पत्रकार नजम सेठी को भी लगता है कि मध्य-पूर्व और ख़ास करके खाड़ी के देशों में इमरान ख़ान की विदेश नीति औंधे मुँह गिरी है। इमरान ख़ान की नीति के कारण सब कुछ मिट्टी में मिल गया। इमरान ख़ान की सरकार ने गुस्ताख़ी करते हुए इस्लामी देशों के संगठन OIC के समानांतर तुर्की, मलेशिया और ईरान के साथ मिलकर एक संगठन खड़ा करने की कोशिश की।”
सऊदी अरब और अरब के बाकी देश पाकिस्तान को ना सिर्फ आर्थिक सहायता प्रदान करते आए हैं, बल्कि अपने यहां लाखों पाकिस्तानियों को रोजगार भी देते आए हैं। साथ ही साथ पाकिस्तान इकलौता ऐसा इस्लामिक देश है, जिसके पास न्यूक्लियर हथियार है। सऊदी अरब और अरब देश इसलिए भी आज तक पाकिस्तान के साथ दोस्ती निभाने के लिए मजबूर हुए थे, क्योंकि उन्हें लगता था कि ईरान और तुर्की के खिलाफ किसी भी विवाद में वे पाकिस्तान का इस्तेमाल कर सकेंगे।
हालांकि, अब जब यही पाकिस्तान ईरान और तुर्की के साथ रोमांस कर रहा है, तो इसने सऊदी अरब और UAE को चिंता में डाल दिया है। हालांकि, अब इस पूरे विवाद में भारत की एंट्री ने पाकिस्तान के लिए चीज़ें और मुश्किल कर दी हैं। पिछले वर्ष पाक को सऊदी अरब ने 6 बिलियन डॉलर का कर्ज़ दिया था और परंतु अब सऊदी अरब पाकिस्तान को अपने दिये कर्ज को भी लौटाने की मांग कर रहा है, जिसे पाकिस्तान को चीन से भीख लेकर लौटना पड़ रहा है।
ऐसे में सऊदी अरब अब भारत के साथ अपनी साझेदारी को नया आयाम देने में लगा है। अब भारत के सेना प्रमुख की सऊदी यात्रा से पाक की प्रासंगिकता ही समाप्त हो गयी है। कई मुद्दो पर समझौते के बाद अब सैन्य समझौता और डिफेंस एक्सपोर्ट इस रिश्ते को और मजबूत बनाएँगे। यही कारण है कि पाकिस्तान में हलचल मची हुई है और पाकिस्तान के लोगों के साथ वहाँ के नेता भी परेशान दिखाई दे रहे हैं।
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