ऑस्ट्रेलिया पर दबाव बनाने की कोशिश में, अंजाने में चीन ने की भारतीय स्टील उद्योग की सहायता

 


कोरोना महामारी फैलने के बाद जब ऑस्ट्रेलिया ने इस वायरस की उत्पत्ति की जांच की मांग की थी, तो इससे चीन इतना बौखला गया था कि उसने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भीषण ट्रेड वॉर छेड़ दी थी। चीन ने देखते ही देखते ऑस्ट्रेलिया से आयात होने वाले बीफ़, टिंबर, वाइन और कोयले पर प्रतिबंध लगा दिया।

चीन का अनुमान यह था कि ऑस्ट्रेलिया इस तगड़े आर्थिक झटके को सह नहीं पाएगा और जल्दी ही चीन के गीत गाने लगेगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं, और अब यह ट्रेड वॉर ऑस्ट्रेलिया की बजाय खुद चीन को ही नुकसान पहुंचाने लगी है। रिपोर्ट के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया से आयात होने वाले Coking कोयले पर प्रतिबंध लगाने के कारण एक तरफ जहां चीन के स्टील उद्योग को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है, तो वहीं भारत के स्टील उद्योग को इससे बड़ा मुनाफ़ा हो सकता है।

दरअसल, ऑस्ट्रेलिया के Coking कोयले पर चीन के प्रतिबंध के बाद इस कोयले की मांग घट गयी है जिससे इसकी कीमत में बड़ी गिरावट दर्ज की गयी है। पिछले साल 1 टन Coking कोयले का भाव 9100 रुपये था, जबकि आज इसका भाव सिर्फ 7300 रह गया है। इसके बाद माना जा रहा है कि प्रति 1 टन स्टील के उत्पादन में भारतीय स्टील कंपनियो को 1800 रुपये का अतिरिक्त मुनाफ़ा होने की उम्मीद है।

आसान भाषा में कहा जाये तो चीन ने जिस ट्रेड वॉर को ऑस्ट्रेलिया को नुकसान पहुँचाने की मंशा से शुरू किया था, वह अब भारत को फायदा पहुंचा रही है।

चीन दुनिया का सबसे बड़ा Coking कोयला importer है जबकि ऑस्ट्रेलिया इस संसाधन का सबसे बड़ा exporter है। Coking कोयले के कुल exports में 65 प्रतिशत हिस्सा अकेले ऑस्ट्रेलिया का ही है। ऐसे में बिना ऑस्ट्रेलिया के कोयले के चीन का स्टील उद्योग ज़्यादा दिन तक नहीं चल नहीं पाएगा। चीन दुनिया में स्टील का सबसे बड़ा उत्पादक है, जबकि भारत और जापान का क्रमशः दूसरा और तीसरा स्थान आता है।

ऐसे में इस ट्रेड वॉर में चीनी उद्योगपतियों का नुकसान भारत और जापान के उद्योगपतियों के मुनाफे में बदल सकता है। भारत की स्टील उत्पादक कंपनियाँ जैसे Tata Steel और JSW steel आने वाले महीनों में अपने profit में अच्छी-ख़ासी बढ़ोतरी दर्ज कर सकती हैं। 

बता दें कि इस ट्रेड वॉर के कारण चीन का नुकसान सिर्फ स्टील उद्योग तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उसके यहाँ एक भीषण बिजली संकट भी पैदा हो गया है। कोयले की कमी के कारण उसके कई बड़े-बड़े शहरों में बिजली की भारी कटौती की जा रही है। ऑफिसों में heaters और elevators के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी गयी है और स्ट्रीट लाइट्स को भी बंद कर दिया गया है।

कुल मिलाकर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ छेड़े इस व्यापार युद्ध का सबसे बड़ा नुकसान चीन के व्यापारियों और आम जनता को ही उठाना पड़ रहा है, लेकिन इसके बावजूद सीसीपी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस युद्ध पर विराम लगाने की कोशिश नहीं कर रहे हैं, क्योंकि इस लड़ाई को उन्होंने नाक का सवाल बना लिया है।

लेकिन इतना साफ़ है कि जब तक ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ट्रेड वॉर छेड़कर चीन अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारने के काम को बंद नहीं करता है, उतने वक्त तक भारत के उद्योग, हाथ में पॉपकॉर्न का बड़ा सा टब लेकर अपने बढ़े मुनाफ़े का लुत्फ उठाना जारी रख सकते हैं।

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