वन चाइल्ड नीति के करण चीन में लिंगानुपात गड़बड़ाया, अब उसकी कमी पूरी करने के लिए मानव तस्करी का केंद्र बन चुका है चीन

 


जैसे एक झूठ को छिपाने के लिए सौ झूठ बोलने पड़ते हैं, वैसे ही एक पाप को कम करने के लिए कुछ लोग अनेकों पाप करने में विश्वास करते हैं, और ऐसा ही देश है चीन। जिस वन चाइल्ड नीति के कारण एक समय चीन की खूब चर्चा की जाती थी, उसी के कारण अब चीन का लिंग अनुपात काफी खराब हो गया है, जिसे पाटने के लिए अब चीन मानव तस्करी के जरिए महिलाओं को चीन लाने का प्रबंध कर रहा है, और चीन धीरे-धीरे मानव तस्करी के एक प्रमुख केंद्र में परिवर्तित होता जा रहा है।

इन दिनों चीन में महिलाओं के तस्करी के चर्चे बहुत हो रहे हैं। परंतु ऐसा क्यों है? दरअसल, चीन की बढ़ती आबादी को नियंत्रण में रखने के लिए वन चाइल्ड नीति को लागू कराया गया, जिसके अंतर्गत एक से अधिक बच्चे पैदा करने पर न सिर्फ आर्थिक, बल्कि सामाजिक दुष्परिणाम भी झेलना पड़ता था।

ये नीति प्रारंभ में काफी काम आई, और जनसंख्या नियंत्रण के लिए चीन को आदर्श के रूप में स्थापित किया जाने लगा। परंतु जल्द ही ये वरदान अभिशाप बनने लगा। अब स्थिति यह है कि चीन में न केवल युवा समुदाय की काफी कमी है, बल्कि महिलाओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले बहुत कम है।

चीन के नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स [NBS] के अनुसार, “NBS के वर्तमान डेटा के अनुसार, चीन में लड़कों और लड़कियों के बीच का लिंग अनुपात 119.1 प्रतिशत हो चुका है, और 15 से 19 वर्ष के लड़के और लड़कियों के बीच का लिंग अनुपात 2019 के अंत तक 118.39 प्रतिशत पहुँच चुका है। इसका अर्थ यह है चीनी लड़कियों के मुकाबले चीनी लड़कों की कुल संख्या 20 प्रतिशत से भी ज्यादा है।”

अब चूंकि चीनी परिवारों में लड़कों को ही अधिक तवज्जो दी गई है, इसलिए वन चाइल्ड नीति के कारण की परिवारों ने गर्भपात के जरिए लड़कियां होने की संभावना को रोकने का प्रयास किया। लेकिन इसके कारण लिंग अनुपात में नकारात्मक बढ़ोत्तरी होने लगी, जिसके कारण अब लड़कियों की ही कमी होने लगी है। ऐसे में अब चीनियों को महिलाओं की कमी पाटने के लिए विदेश से महिलायें खरीदनी पड़ रही है, यानि अब चीन में मानव तस्करी को बढ़ावा दिया जा रहा है।

लेकिन ये लड़कियां आ कहाँ से रही है? सूत्रों की माने, तो कभी वियतनाम से महिलाओं को अगवा किया जा रहा है, तो कभी पाकिस्तान से महिलाओं को इस दलदल में झोंका जा रहा है। पाकिस्तान में स्थिति ऐसी है कि हिन्दू और ईसाई लड़कियों को चुन चुन के चीन को बेचा जा रहा है। जैसा कि TFI Post ने पहले रिपोर्ट किया था, चीन में दुल्हनों की तस्करी व्याप्त है, जिसका एक प्रमुख सोर्स है पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय, विशेषकर हिन्दू और ईसाई लड़कियां। उन्हें चीन में इसलिए धकेला जा रहा है, क्योंकि उनके पीछे कोई नहीं है, और उनके देश में उनके विरुद्ध बेहिसाब अत्याचार ढाया जा रहा है।”

शायद इसलिए अब इस मामले पर अमेरिका भी ध्यान दे रहा है। अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के अमेरिकी दूत सैमुएल ब्राउनबैक ने इस स्थिति को न सिर्फ स्वीकारा है, बल्कि अपनी चिंता भी जताई है। उनके अनुसार, जितने भी लोग ईश निन्दा के लिए जेल में हैंउनमें से आधे से अधिक पाकिस्तानी जेलों में बंद है।”

जिस वन चाइल्ड नीति की कभी चीन दुहाई देते नहीं थकता था, अब उसी वन चाइल्ड नीति के कारण उत्पन्न लिंगानुपात के संकट से उबरने के लिए अब चीन महिलाओं की तस्करी को बढ़ावा देने में लग गया है। वुहान वायरस के कारण एक-एक करके चीन के सभी पाप दुनिया के समक्ष प्रकट हो रहे हैं, और अप्रत्यक्ष रूप से ही सही, पर चीन के इस काले सच से भी अब दुनिया रूबरू हुई है।

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