किसानों और केंद्र सरकार के बीच बातचीत का रास्ता एक बार फिर से खुल गया लगता है, मोदी सरकार की ओर से किसानों को चिट्ठी लिखी गई है लेकिन किसान अब भी कुछ बातों को लेकर अपनी आपत्ति जाहिर कर रहे हैं । पिछले एक महीने से जारी किसान आंदोलन का अंत होता अब भी नहीं दिख रहा है, कड़ाके की ठंड में भी किसान दिल्ली की सीमा पर जमे हुए हैं । हजारों किसान अपना घर-बार-जमीन छोड़कर इन कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं, अब एक बार फिर सरकार ने किसानों को बातचीत का न्यौता भेजा है ।
आपको बता दें किसानों और सरकार के बीच कृषि कानून के मसले पर अबतक 6 से ज्यादा राउंड की बातचीत हो चुकी है, लेकिन किसी भी राउंड में चर्चा किसी नतीजे पर नहीं पहुंची । किसान जब कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े रहे तो बातचीत रुक गई, लेकिन अब केन्द्र सरकार ने फिर से चर्चा को आगे बढ़ाने की कोशिश की है । गुरुवार को कृषि मंत्रालय की ओर से एक बार फिर किसानों को चिट्ठी लिखी गई ।
चिठ्ठी में कहा गया है कि, किसान संगठनों द्वारा सभी मुद्दों का तर्कपूर्ण समाधान करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है । इस चिट्ठी में बीते दिनों लिखित संशोधन प्रस्ताव का भी जिक्र किया गया है, इसके अलावा आवश्यक वस्तु अधिनियम पर सफाई दी गई हे । कृषि मंत्रालय ने बताया है कि जिन मुद्दों को किसान संगठनों ने उठाया उसका जवाब लिखित में दे दिया गया है लेकिन अन्य मुद्दे भी हैं तो चर्चा के लिए तैयार हैं ।
एमएसपी को लेकर सरकार ने क्या कहा
किसानों को लिखी इस चिट्ठी में स्पष्ट किया गया है कि नए कृषि कानूनों का MSP से कोई मतलब नहीं है, इन कानूनों के लागू होने के बाद MSP पर कोई असर नहीं होगा । सरकार ने MSP पर किसी तरह की नई डिमांड रखने से भी आपत्ति जताई है । सरकार ने विद्युत संशोधन अधिनियम के साथ पराली जलाने के कानूनों को लेकर भी चर्चा का रास्ता खुला रखा है ।
किसान क्या चाहते हैं…
हालांकि सरकार की इस चिठ्ठी के बाद भी कुछ हल निकलने के आसार कम ही है, क्योंकि इससे पहले भी किसान सरकार द्वारा भेजे गए लिखित संशोधनों को नकार चुके हैं । लेकिन अब जब बातचीत का न्योता फिर से भेजा गया है तो किसान उसपर मंथन करेंगे । आज दिल्ली से सटे सिंधु बॉर्डर पर सभी किसान संगठनों की बैठक होनी है । किसान पहले भी ये स्पष्ट कर चुके हैं कि वो सरकार के साथ तभी बात करेंगे जब चर्चा कृषि कानूनों को वापस लेने की होगी ।
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