दिल्ली। देश और सरकार को कोरोना की लड़ाई में उम्मीदें अब वैक्सीन टिकी हैं। भारत बायोटेक की स्वदेशी कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन ने पहले चरण के क्लीनिकल ट्रायल में बेहतर इम्यून रिस्पॉन्स दिखाया है। रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छा देखने को मिला है। ट्रायल के दौरान इस वैक्सीन का वालंटियर पर कोई साइड इफेक्ट देखने को नहीं मिला है। पहले चरण के क्लीनिकल ट्रायल के अंतरिम नतीजों से पता चला है कि सभी आयुवर्ग के समूहों पर कोई गंभीर या प्रतिकूल प्रभाव देखने को नहीं मिला है। सभी आयु वर्ग के लिए बेहतर काम किया है। विदेशी पोर्टल मेडआरएक्सआईवी में दावा किया गया है कि वैक्सीन पूरी तरह से सेफ और इफेक्टिव है। भारत बायोटेक की इस वैक्सीन का पहले चरण का क्लीनिकल ट्रायल सितंबर महीने में ही समाप्त हो गया था जिसके नतीजे अब सार्वजनिक किए गए हैं। साल 2020 अब अपने अंत की ओर है और इसी के साथ कोरोना वायरस के खिलाफ जारी जंग में कुछ अच्छी खबरें आने लगी हैं। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के सहयोग से भारत बायोटेक द्वारा विकसित स्वदेशी कोविड-19 टीका कोवैक्सीन के पहले चरण के क्लीनिकल परीक्षण के अंतरिम नतीजों से पता चला है कि सभी आयुवर्ग के समूहों पर कोई गंभीर या प्रतिकूल प्रभाव देखने को नहीं मिला है। यह वैक्सीन पूर्णतः स्वदेशी है। परिणाम के मुताबिक प्रतिकूल असर का एक गंभीर मामला सामने आया। प्रतिभागी को 30 जुलाई को टीके की खुराक दी गयी थी। पांच दिन बाद प्रतिभागी में कोविड-19 के लक्षण पाए गए और सार्स-कोव 2 से उसे संक्रमित पाया गया। बाद में बताया गया कि यह हल्के किस्म के लक्षण थे लेकिन मरीज को 15 अगस्त को अस्पताल में भर्ती कराया गया। न्यूक्लिक एसिड परिणाम नकारात्मक आने पर प्रतिभागी को 22 अगस्त को अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी। यह मामला टीका के साथ जुड़ा हुआ नहीं था।
टीका से जुड़ा नहीं होने के कारण परीक्षण सफल रहा। इसके परीक्षण के लिए कुल 11 अस्पतालों में अलग-अलग स्थानों पर 375 स्वयंसेवियों को शामिल किया गया था। टीका ने एंटीबॉडी तैयार करने का काम किया। शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ी है। विशेषज्ञों ने औपचारिक रूप से अनुसंधान रिपोर्ट का मूल्यांकन करने के पहले इसे सार्वजनिक तौर पर मेडआरएक्सआईवी पोर्टल पर जारी किया है। कोवैक्सीन की सुरक्षा और प्रभाव के आकलन के लिए पहले चरण का क्लीनिकल ट्रायल किया गया जिसमें कहा गया है कि बीबीवी152 को दो डिग्री सेल्सियस से आठ डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान पर रखा गया। राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के तहत इसी तापमान पर अलग-अलग टीके को रखा जाता है। सरकार भी इसी तापमान पर कोल्ड चेन तैयार कर चुकी है। निष्क्रिय सार्स कोव-2 टीका बीबीवी152 का क्लीनिकल परीक्षण और सुरक्षा चरण एक के मुताबिक पहले टीकाकरण के बाद कुछ प्रतिभागियों में हल्के या मध्यम किस्म का असर दिखा और यह तुरंत ठीक भी हो गया। इसके लिए किसी तरह की दवा देने की जरूरत नहीं पड़ी। दूसरी खुराक के बाद भी यही रूझान देखने को मिला। दोनों को परिणाम डाॅक्टरों ओर विषेशज्ञों के अनुरूप रहा।
रूस द्वारा बनाई गई स्पुतनिक 5 वैक्सीन का डाटा बीते दिन सामने आया जिसमें दावा किया गया है कि वैक्सीन का 91 फीसदी से अधिक का सफलता मिली। रूस द्वारा निर्मित स्पुतनिक-5 वैक्सीन दुनिया की पहली रजिस्टर्ड कोरोना वैक्सीन है। उत्पादन के पहले के फाइनल चरण में कुल 78 कन्फर्म कोरोना मामले पर इसका ट्रायल किया गया। इनमें से 62 पर प्लेसिबो डोज़ और 16 पर वैक्सीन डोज़ दी गई। वैक्सीन का नतीजा 91.4 फीसदी सफलता के तौर पर आया। भारत में हैदराबाद की कंपनी डॉ रेड्डी लैबोरेटरीज के अंतर्गत इस वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है जो दूसरे और तीसरे फेज़ में है। वैक्सीन के ट्रायल के साथ-साथ प्रोडक्शन को लेकर भी तैयारियां की जा रही हैं।
काफी वक्त पहले हैदराबाद की कंपनी डॉ रेड्डी लैबोरेटरीज और रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड के बीच दस करोड़ कोरोना वैक्सीन की खुराक का समझौता हुआ था। इस वैक्सीन को लेकर भारत को ज्यादा उम्मीद है। भारतीय दवा कंपनी हेटरो और रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड के बीच भारत में स्पुतनिक की डोज बनाने का करार हुआ है जिसके तहत भारत में हर साल करीब दस करोड़ डोज़ तैयार की जाएंगी। जनवरी 2021 में बड़े स्तर पर प्रोडक्शन की शुरुआत हो सकती है जिसके बाद वैक्सीन देने का काम शुरू होगा। भारत मंे वैक्सीनेशन का काम शुरू होने वाला है।
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