तिब्बती प्रशासन के चुनावों के लिए डोलमा ग्यारी मैदान में उतरी हैं, लेकिन चीन अभी से कांपने लगा है

 


चीन हमेशा उन नेताओं से ज्यादा नफ़रत करता है जो लोकतंत्र को मजबूती देते हुए काम करने की बात करते हैं। तिब्बत में चुनावों को कमजोर करने के साथ ही अपनी नीतियों को लागू करने के लिए चीन लगातार अपने हाथों की कठपुतलियों वाले नेताओं को तिब्बत के मुख्य पदों पर बैठाना चाहता है लेकिन तिब्बत की सबसे बड़ी और सर्वमान्य नेता डोल्मा ग्यारी ने चुनाव लड़ने का ऐलान करके चीन की नींद उड़ा दी हैं क्योंकि उनके रहते चीन तिब्बत में अपना वर्चस्व स्थापित नहीं कर सकता है। इसीलिए डोल्मा के खिलाफ तिब्बत में चीन ने एक प्रोपेगेंडा चलाना शुरू कर दिया है।

निर्वासित तिब्बत के नए प्रधानमंत्री पद के चुनाव की तारीखें नजदीक आ रही हैं, ऐसे में तिब्बत की बड़ी नेता डोल्मा ग्यारी ने इन चुनावों में अपनी उम्मीदवारी घोषित कर दी है जिससे चीन को एक बड़ा झटका लगा है। इसी के साथ चीनी प्रोपेगैंडा मशीनरी ने इन चुनावों को पारदर्शी बनाने के नाम पर एजेंडा और दुष्प्रचार फैलाना शुरू कर दिया है, क्योंकि चीन हमेशा ही डोल्मा ग्यारी से खौफ खाता है। डोल्मा का व्यक्तित्व हमेशा ही चीन विरोधी रहा है। दूसरी तरफ चीन तिब्बत में लगातार मानवाधिकार की धज्जियां उड़ा रहा है। इसलिए डोल्मा ग्यारी वैश्विक स्तर पर चीन विरोधी एजेंडा चलाती रहीं हैं और ये चीन के लिए चिंताजनक बात रही है।

तिब्बत में चुनाव के ऐलान के साथ ही चाइनीज प्रोपेगेंडा मशीनरी ठीक उसी तरह एक्टिव हो गई है जैसे अमेरिका, हॉन्गकॉन्ग या अन्य देशों के चुनाव में होती है। इस मशीनरी के निशाने पर डोल्मा ग्यारी उसी दिन आ गईं, जब उन्होंने चुनाव में उम्मीदवारी का ऐलान किया था। डोल्मा सत्ता से अलग रहते हुए भी वैश्विक स्तर पर चीन की हकीकत सामने लाती रही हैं। उन्होंने भारत और अमेरिका से लेकर संयुक्त राष्ट्र तक में चीन के काले कारनामों को उजागर किया है।

डोल्मा अपनी युवावस्था से ही चीन के खिलाफ बयान देती रहीं हैं। भारत के अलग-अलग इलाकों में बसे तिब्बती शरणार्थियों के हितों का ध्यान रखने वाली डोल्मा ग्यारी ने हमेशा ही भारत के लिए कहा है कि उसे अपनी चीन नीति पर गहन विचार की आवश्यकता है। तिब्बत के कई ऐसे नेता है जो चीन के दबाव में या तो उसकी कठपुतली बन गए हैं या फिर देश छोड़ चुके हैं, लेकिन डोल्मा ग्यारी  स्थानीय लोगों के बीच हमेशा ही अपनी पकड़ मजबूत करते हुए चीनी तानाशाही के खिलाफ अपनी आवाज उठाती रही हैं। उन्हें विश्व के सभी देश तिब्बत की एक सर्वमान्य नेता के रूप में मान्यता देते हैं। डोल्मा अमेरिका के साथ भी तिब्बत को सकारात्मक दिशा में ले जाने के लिए भी काम कर रही हैं।

डोल्मा ग्यारी का तिब्बत के आम लोगों की बात करते हुए चीन विरोधी रुख चीन के लिए चिंताओं का सबब है। चीन ने अपनी विस्तार वाद की नीतियों के तहत ही तो तिब्बत को अपना उपनिवेश बनाया है, और वहां लोकतन्त्र होने का ढोंग गढ़ता रहता है। जबकि तिब्बत की स्थिति ऐसी ही है जैसी हॉन्गकॉन्ग की है। ऐसे में डोल्मा के चुनाव लड़ने की बात करना चीन के लिए खतरा है, क्योंकि डोल्मा का सत्ता में आना टकराव की स्थिति होगी, जिससे चीन की वैश्विक लानत-मलामत होगी।

विश्लेषकों का मानना है कि जिस तरह से डोल्मा की करिश्माई और चीन विरोधी छवि है, वो तिब्बत पर चीन की पकड़ को कमजोर कर सकती है। इसीलिए पूरी चाइनीज मशीनरी डोल्मा के विरोधी मानसिकता एजेंडा चला रही है और उन्हें एक अमेरिकी एजेंट के रूप में प्रचारित कर रही है, जिससे डोल्मा की साफ छवि पर दाग लग सके। चीन का ये रुख दिखाता है कि असल में वो कट्टर चीन विरोधी तिब्बती नेता डोल्मा ग्यारी से कितना  ज्यादा डरता है।

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