जस्टिन ट्रूडो किसान आंदोलन का समर्थन कर आग से खेल रहे हैं

 


कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने दिल्ली के निकट जारी ‘किसान आंदोलन’ के पक्ष में क्या बोला, उन्हें लेने के देने पड़ गए। अब वो खुद कटघरे में हैं। जिस प्रकार से उन्होंने बिना स्थिति को जाने समझे भारतीय सरकार पर हिंसक होने का आरोप लगाया, उसके बाद लोगों ने धीरे-धीरे उनका दोहरा रूख दुनिया के समक्ष रखना शुरू कर दिया है। इसके साथ ही भारत ने भी सख्त चेतावनी दी है।

हाल ही में जस्टिन ट्रूडो ‘किसान आंदोलन’ के मुद्दे पर अराजकतावादियों का समर्थन करते हुए नजर आए। उन्होंने न केवल भारत में किसानों द्वारा नए कृषि कानूनों के खिलाफ  कथित ‘शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन’ के बारे में चिंता जताई, बल्कि यह भी कहा कि भारत, विशेषकर पंजाब प्रांत के किसान उनपर विश्वास कर सकते हैं।

इस विषय पर जस्टिन ट्रूडो को काफी आलोचना झेलनी पड़ी। जहां विदेश मंत्रालय ने ट्रूडो के बयान को ‘बचकाना और गैर जिम्मेदाराना’ बताया, तो वहीं, ट्विटर पर काफी समय के लिए ‘Canadian Pappu’ के रूप में जस्टिन ट्रूडो ट्रेंड हुए थे। लेकिन उनका दोहरा रूख तब उजागर हुआ जब सोशल मीडिया पर कुछ जागरूक यूज़र्स ने कनाडा द्वारा 2019 में भारत की कृषि नीति को लेकर विश्व व्यापार संगठन (WTO) में उठाए गये सवाल से जुड़े पोस्ट शेयर करना शुरू कर दिया। उस समय इसी कनाडा ने भारत में किसानों को दी जाने वाले सरकारी मदद पर विश्व व्यापार संगठन (WTO) में सवाल उठाए थे और भारत को घेरा था। तब कनाडा समेत अमेरिका और यूरोपीय यूनियन ने ये भी कहा था कि भारत की व्यापार नीति ट्रांसपेरेंट नहीं हैं और कृषि उत्पादों के व्यापार को लेकर और डेटा मांगे थे

आज जस्टिन ट्रूडो जो भारतीय किसानों के हितैषी बन रहे हैं, और उनके MSP यानि न्यूनतम सपोर्ट प्राइस की मांग का समर्थन कर रहे हैं, पिछले वर्ष उन्हीं के नेतृत्व में कनाडा ने भारत के ऊंचे एम एस पी के विरुद्ध अमेरिका के साथ डबल्यूटीओ में मुकदमा दायर किया था। कनाडा और अमेरिका ने आरोप लगाया कि भारत के विभिन्न फसलों के लिय लागू वर्तमान एमएसपी को डबल्यूटीओ द्वारा तय मानक से 26 गुना ज्यादा बताया और इसके विरुद्ध कार्रवाई की भी मांग की थी।

बाद में ये पता चला कि अमेरिका और कनाडा ने यह आंकलन भारतीय मुद्रा के अनुसार किया था, जिसकी अगर अमेरिकी डॉलर के अनुसार तय कीमत से तुलना की जाए, तो जमीन आसमान का अंतर स्पष्ट दिखाई पड़ता है। अब प्रश्न ये उठता है कि जब उस समय कनाडा ने जस्टिन ट्रूडो  के नेतृत्व में भारतीयकिसानों के हितों की रक्षा करने वाली एमएसपी व्यवस्था के विरुद्ध डबल्यूटीओ में आवाज उठाई थी, तो अब वो किस मुंह से अपने आप को भारत के किसानों का हितैषी बता रहे हैं?

कनाडा के पीएम की आदत है खुद को भारतीयों का हितैषी दिखाने की पर पीठ पीछे भारत विरोधी तत्वों को वो न केवल पनाह देते हैं बल्कि प्रमोट भी करते हैं। यही कारण था कि जब वो भारत के दौरे पर आये थे तब भारत ने उन्हें कोई महत्व नहीं दिया था। एक बार फिर वो यही कर रहे हैं।

सच्चाई तो यह है कि जस्टिन ट्रूडो आग से खेल रहे हैं। भारत इसपर एक्शन अवश्य लेगा। अगर भारत अपनी पर आ गया, और आंतरिक मामलों में ट्रूडो की तरह हस्तक्षेप करने लगा तो जस्टिन ट्रूडो की मुश्किलें बढ़ जायेंगी। ऐसे में हम ये अवश्य कहना चाहेंगे कि काश वो महातिर मोहम्मद और अब्दुल्ला यामीन गयूम के उदाहरणों से ही कुछ सीख ले लेते।

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