जोधपुर में पिछले दिनों हुई एक शादी चर्चा में रही । ये शादी डॉक्टर रमेश रलिया और अदिति चौधरी की थी । डॉक्टर रलिया अमेरिका की वाशिंगटन यूनिवर्सिटी में वैज्ञानिक हैं, साथ ही भारत में इफको के अनुसंधान प्रमुख भी है, इनका विवाह हाल ही में जोधपुर निवासी अदिति चौधरी के साथ हुआ । इस शादी की चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि इसमें कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष किसी भी प्रकार के दहेज का लेनदेन नहीं किया गया है । शादी में शगुन के तौर पर डॉ. रलिया ने ससुराल की ओर से एक सिक्के को स्वीकार कर सीख की रस्म पूरी की ।
दहेज और नशीले पदार्थों का विरोध
नवविवाहित वर-वधू ने पहले ही यह तय कर लिया था कि वो शादियों में दहेज और नशीले पदार्थों के उपयोग जैसी सामाजिक बुराइयों का समर्थन नहीं करेंगे । शादी इन बुराईयों के बिना सादगी से करेंगे । दोनों ने अपने फैसले के बारे में परिवार को पहले ही बता दिया था । इस तरह उनका मकसद ये बताना था कि, समाजिक कार्यकर्मों में पैसे का लेनदेन और नशीले पदार्थों के सेवन पर पूर्णतया रोक लगनी चाहिये ।
शगुन की धनराशि का ये किया
डॉ. रमेश रलिया और उनकी पत्नी अदिति ने अपने परिवार और मित्रों से मिले उपहार और शगुन की धन राशि को भी रतकुड़िया, जोधपुर स्थित देवरी धाम मंदिर के महंत रमैयादास जी को समर्पित कर दिया । प्रदेश में इस शादी की खूब चर्चा हो रही है और एक पॉजिटिव संदेश लोगों को मिल रहा है ।
डॉ. रलिया कौन हैं …
डॉक्टर रमेश रलिया ने नैनो खाद बनाने की विधि का अविष्कार किया है । रलिया जोधपुर के खारिया खंगार के निवासी हैं । अपने आविष्कार के लिए उन्हें राष्ट्रीय एवं अन्तराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है । कोरोना काल में शादी होने के कारण यहां आए मेहमानों की संख्या केवल परिवार तक ही सीमित रखी गयी । देश-विदेश में मौजूद दोस्तों ने ये शादी वीडियो कांफ्रेंस के जरिए अटेंड की ।
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