दक्षिण भारत में जिस तरह से बीजेपी से आगे बढ़ रही है, उसका डर कांग्रेस समेत अन्य सभी दलों में देखने को मिल रहा है। यही कारण है कि ये राजनीतिक दल केंद्र सरकार की प्रत्येक योजना और फैसले का विरोध करने लगे हैं। एक ऐसा ही फैसला राजीव गांधी सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी का नाम बदलकर आरएसएस के पूर्व प्रमुख एमएस गोलवलकर के नाम पर रखने का है जिस पर कांग्रेस का विरोध तो लाज़मी है लेकिन केरल की लेफ्ट सरकार का मुखरता से विरोध करना बताता है कि इन सभी पार्टियों को बीजेपी से कितना ज्यादा डर है।
नाम बदलने का फैसला
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री के अंतर्गत आने वाले केरल के बायोटेक्नोलॉजी और रिसर्च सेंटर का नाम बदलने की खबरें हैं। इसकी घोषणा खुद स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने की है। इसका नाम राजीव गांधी से बदलकर श्री गुरुजी माधवराव सदाशिव राव गोलवलकर नेशनल सेंटर फॉर कॉम्प्लेक्स डिजीज इन कैंसर एंड वायरल इंफेक्शन’ रखना प्रस्तावित है। ऐसे में कांग्रेस का विरोध तो लाज़मी है। कांग्रेस नेता शशि थरूर इसको लेकर लगातार केंद्र पर हमलावर हैं। वो चाहते हैं कि इस संस्थान का नाम बदलकर वैज्ञानिक डॉ. पी पाल्पू के नाम पर रखा जाए। वो गोलवलकर का नाम रखने पर आपत्ति जाहिर कर रहे हैं, और सवाल पूछ रहे हैं कि गोलवलकर का योगदान क्या है।
इस मसले पर कांग्रेस से ज्यादा केरल की लेफ्ट सरकार के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन भड़के हुए हैं। उन्होंने इस मसले पर सीधा ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को पत्र लिख दिया और कहा, “पता चला है कि राजीव गांधी सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी का नाम श्रीगुरुजी माधव सदाशिव गोलवलकर के नाम पर प्रस्तावित किया जा रहा है। RGCB पहले केरल सरकार चलाती थी बाद में इसे केंद्र सरकार को सौंपा गया। केरल सरकार चाहती है कि इस कैंपस का नाम अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के किसी भारतीय वैज्ञानिक के नाम पर किया जाना चाहिए। मैं आपसे निवेदन करता हूं कि अगर ये फैसला ले लिया गया है तो इस पर फिर से विचार करें और अगर नहीं लिया गया है, तो कृपया ऐसा न करें। मुझे उम्मीद है, आपका मंत्रालय इस पर विचार करेगा और बेवजह के विवाद से बचेगा।”
भड़क गए विजयन
केरल के मुख्यमंत्री का ये पत्र किसी अनुरोध से ज्यादा एक धमकी लग रही है, जिसमें वो विवाद बढ़ने की बात कह रहे हैं। केरल में अगले वर्ष ही विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में ये सभी इस मुद्दे पर राजनीति कर रहे हैं। दिलचस्प बात ये भी है कि नाम बदलने के इस फैसले को लेकर और राजीव गांधी के नाम को बदलने को लेकर कोई कुछ नहीं बोल रहा है। दोनों ही दल चाहते हैं कि केरल के ही किसी शख्स के नाम पर ही संस्था का नाम रखा जाए। ये दिखाता है कि दोनों ही पार्टियां अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए ही सभी तरह की बयानबाजी कर रही हैं।
बीजेपी के खिलाफ एकजुट
बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस समेत मुख्यमंत्री पिनारई विजयन एक साथ टूट पड़े हैं। बीजेपी अपने इन्हीं एजेंडों के चलते हैदराबाद में जनाधार स्थापित कर चुकी है। ऐसे में सभी पार्टियां जानती हैं कि यदि राज्य में बीजेपी अपना एजेंडा आगे बढ़ाने लगी तो इन दोनों ही दलों के लिए राजनीतिक संकट खड़ा हो जाएगा। इसीलिए ये दोनों ही पार्टियां बीजेपी को रोकने के लिए एकजुटता दिखा रही हैं।
बीजेपी हैदराबाद से लेकर तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश तक में अपना जनाधार धीरे-धीरे बढ़ा रही है। इसी कड़ी में उसका अगला लक्ष्य केरल है जो कि लेफ्ट और कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। इसीलिए ये दोनों दल बीजेपी को रोकने के लिए एक जुट हो गए हैं, क्योंकि हैदराबाद का चुनाव इन्हें डरावने सपने की तरह लगने लगा है।
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