भारत से दोस्ती निभाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता सऊदी, अब पाकिस्तानी इमामों को अपने देश से निकाला

 


आज कल आए दिन सऊदी अरब पाकिस्तान को किसी न किसी बहाने दुलत्ती देता रहता है। इस बार सऊदी अरब ने भारत के सेना प्रमुख जनरल नरवाने की यात्रा के दौरान ही सऊदी अरब ने पाकिस्तान के प्रोपोगेंडा फैलाने वाले इमामों को देश से बाहर निकालने का इंतजाम कर दिया है।

रिपोर्ट के अनुसार सऊदी अरब ने प्रमुख वाणिज्यिक परिसरों में प्रार्थनाओं की अध्यक्षता करने के लिए अब अपने स्वयं के नागरिकों को इमाम के रूप में नियुक्त करने का फैसला किया है। सऊदी के इस्लामी मामलों के मंत्रालय ने प्रमुख वाणिज्यिक संगठनों के प्रार्थना हॉल में इमाम और मुअज़्ज़िन (प्रार्थना करने के लिए) की नौकरियों में पूरी तरह से सऊदी अरब के लोगों की नियुक्ति करने की योजना पर काम कर रहे हैं। पहले से ऐसे इमामों की भूमिका में पाकिस्तान से आए लोगों को नौकरी पर रखा जाता था। अब इस योजना के बाद उनकी नौकरी और वीजा दोनों खतरे में है।

सऊदी अरब के इस कदम को उठाने का समय महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत के सेना प्रमुख सऊदी अरब और UAE की यात्रा पर हैं, जिससे भारत और सऊदी के बीच मिलिट्री सम्बन्धों के और बढ़ने की आशा है। यही नहीं, आशंका यह है कि अगर सऊदी इजरायल को स्वीकार कर लेता है, तो मक्का और मदीना से एक प्रतिक्रिया हो सकती है, जहां पाकिस्तान मूल के इमाम बड़ी संख्या में हैं, इसलिए, ऐसी किसी भी संभावित प्रतिक्रिया को उठने से पहले ही समाप्त करने के लिए सऊदी ने यह कदम उठाया है।

यह एक सर्वविदित तथ्य है कि काबा के इमाम का धर्मोपदेश सऊदी सरकार द्वारा प्रदान किया जाता है, लेकिन सैकड़ों अन्य मस्जिद भी हैं, जहां पाकिस्तानी इमाम प्रार्थना करते हैं। वो किसी प्रकार की समस्या खड़ी न करे उसे देखते हुए सऊदी अरब ने पाकिस्तान के इमामों के खिलाफ ये कदम उठाया है।

वास्तव में, यह कदम सऊदी अरब में नौकरी कर रहे एक लाख से अधिक पाकिस्तानी मुसलमानों के लिए भी है कि अगर उन्होंने सऊदी अरब के खिलाफ किसी भी तरह का प्रोपोगेंडा किया तो उन्हें भी देश से बाहर करने में समय नहीं लगाया जाएगा। यह विडम्बना ही है कि खाड़ी के इस्लामिक देश पाकिस्तान को इस तरह से दुल्लती दे रहे हैं। कुछ ही दिनों पहले UAE ने 3000 से ज्यादा पाकिस्तानियों के नौकरी वीजा रद्द कर दिए हैं। यह पाकिस्तान की आदतों के कारण ही किया जा रहा है।

कुछ दिनों पहले ही सऊदी ने पाकिस्तान को रियाद में भारत के खिलाफ प्रोपोगेंडा फैलाने के मंसूबों पर पानी फेर दिया था। रियाद में मौजूद पाकिस्तान का दूतावास 27 अक्टूबर को कश्मीर के मुद्दे पर “काले दिवस” के रूप में मनाने की तैयारी कर रहा था। इसको लेकर पाकिस्तानी दूतावास एक सार्वजनिक कार्यक्रम के आयोजन कराने की फिराक में भी था। हालांकि, इस खबर के आते ही तुरंत सऊदी प्रशासन एक्टिव हुआ और पाकिस्तानी दूतावास को आसान भाषा में यह समझा दिया गया कि वे ऐसे किसी कार्यक्रम का आयोजन रियाद में नहीं कर सकते।

अब भारत के सेना प्रमुख की यात्रा के दौरान ही इस तरह से पाकिस्तानी इमामों के खिलाफ एक्शन पाकिस्तान की अरब में घटती साख को भी दर्शाता है। अब सऊदी अरब पाकिस्तान को कोई भाव नहीं देना चाहता। इजरायल के साथ संबंध वापस शुरू होने(जिसकी बहुत हद तक उम्मीद की जा रही है) और भारत के साथ रिश्ते मजबूत होने के बाद पाकिस्तान की वैसे भी कोई जरूरत नहीं रह जाएगी। फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, “कतर, UAE और सऊदी अरब सहित खाड़ी क्षेत्र के देशों ने भारत और रूस के सहयोग से विकसित ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने में रुचि व्यक्त की है। भारत और अरब देशों के बीच, खास कर सऊदी अरब के साथ बढ़ते संबन्ध पाकिस्तान के लिए किसी खतरे की घंटी से कम नहीं है।

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