ट्रम्प का डर ऐसा है कि चीनी जासूस अमेरिका छोड़ भाग रहे हैं

 


डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन के खिलाफ जितने बड़े फैसले लिए शायद ही किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने लिए होंगे। चीनियों के अंदर ट्रम्प का खौफ इतना बढ़ गया था कि बड़ी संख्या में वे अमेरिका छोड़ वापस चीन जाने लगे थे, खास कर वे जो CCP के लिए अमेरिका में रह कर काम करते थे।

The Epoch Times ने न्यायिक विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से बताया कि 1,000 से अधिक चीन के सैन्य शोधकर्ताओं ने अमेरिका छोड़ वापस चीन का रुख किया है। दरअसल अमेरिकी अधिकारियों ने कई संदिग्ध अंडरकवर चीनी सैन्य अधिकारियों को गिरफ्तार किया था जिसके बाद अमेरिका में रहने वाले अन्य चीनी जासूसों के अंदर भय पैदा हो गया था और वे वापस चीन जाने के लिए मजबूर हुए।

रिपोर्ट के अनुसार इस वर्ष की शुरुआत में, कम से कम चार चीनी शोधकर्ताओं को पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सदस्यों के रूप में अपनी स्थिति के बारे में कथित तौर पर झूठ बोलने के लिए गिरफ्तार किया गया और उन पर वीजा धोखाधड़ी का आरोप भी लगाया गया था। उन शोधकर्ताओं में से एक को जुलाई में गिरफ़्तारी से कई हफ्ते पहले सैन फ्रांसिस्को में चीनी वाणिज्य दूतावास में भी जाते हुए देखा गया था।

इसी तरह जनवरी में भी अमेरिका में एक चीनी छात्र पर ऐसा ही आरोप लगाया गया था।

राष्ट्रीय सुरक्षा सहायक अटॉर्नी जनरल John C. Demers ने कहा कि ये गिरफ्तारियाँ आइसबर्ग के सिर्फ ऊपरी भाग हैं।” इसके बाद एक विशेष जांच की गई और संदिग्ध अंडरकवर PLA शोधकर्ताओं के एक विशाल नेटवर्क को उजागर किया गया।

Aspen Cyber Summit के दौरान Demers ने बताया कि उसके बाद FBI ने कई गिरफ्तारियाँ की, दर्जनों साक्षात्कारों किए थे, और फिर, अंततः, Houston Consulate को चीन के विदेशी प्रभाव और आर्थिक जासूसी गतिविधि, दोनों को बाधित करने के लिए बंद कर दिया गया। इसके बाद ही PLA से जुड़े 1,000 से अधिक चीनी शोधकर्ताओं ने अमेरिका छोड़ दिया।

उन्होंने बताया कि “वे चीनी सरकार का हिस्सा थे जिन्हें पहचान छुपा के यहाँ भेजा गया था।” Demers ने कहा कि अमेरिकी अधिकारियों द्वारा गिरफ्तारी और जांच के जवाब में, चीनी प्रशासन ने अपने शोधकर्ताओं को निर्देश दिया था कि वे अपने पीएलए कनेक्शनों को किसी भी तरह छिपा कर रखें।

जुलाई में दायर किए गए अदालती दस्तावेजों में कहा गया था कि चीनी सरकार PLA से जुड़े छात्रों को साक्ष्य मिटाने के निर्देश दे रही थी और अमेरिकी अधिकारियों के शिकंजे के बाद उन्हें अमेरिका से बाहर निकालने के प्रयासों भी कर रही थी।

बता दें कि ट्रम्प प्रशासन ने जुलाई में ह्यूस्टन स्थित चीनी वाणिज्य दूतावास को बंद करने का आदेश दिया था और आरोप लगाया था कि यह जासूसी का सबसे बड़ा केंद्र है।

नेशनल काउंटर इंटेलिजेंस एंड सिक्योरिटी सेंटर के निदेशक William Evanina ने बताया कि इन 1,000 पीएलए से जुड़े शोधकर्ताओं में से उन्हें स्नातक स्तर के छात्रों से खतरे की अधिक चिंता है। उन्होंने कहा कि, “वे सभी चीनी सरकार के इशारे पर खुफिया सेवाओं के लिए यहां आ रहे हैं। ये छात्र उन विशिष्ट क्षेत्रों का अध्ययन करने के लिए विशिष्ट विश्वविद्यालयों में जाते हैं जो चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और PLA की मदद कर सके।”

PLA और चीन द्वारा अमेरिकी प्रौद्योगिकी की लगातार चोरी के खिलाफ भी, ट्रम्प ने मई में स्नातक स्तर के उन चीनी छात्रों पर रोक लगा दी थी, जो चीनी सरकार की ” military-civil fusion strategy” के समर्थन करने वाले संस्थानों से संबन्धित थे। अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेन्ट ने जून से लेकर सितंबर तक सैन्य लिंक वाले कम से कम 1,000 से अधिक चीनी छात्रों के वीजा को निरस्त किया था।

डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान न सिर्फ चीन के ऊपर ट्रेड वार से आक्रमण किया बल्कि उसके जासूसों को भी अपने देश वापस भेजने पर मजबूर किया। जिस तरह से ट्रम्प ने चीनी समस्या को जड़ से समझा और उसके खिलाफ कड़े कदम उठाए, चाहे वो रणनीतिक हो या आर्थिक या फिर सुरक्षात्मक कदम, वे निसंदेह प्रशंसनीय है । भविष्य में किसी भी अन्य राष्ट्रपति के लिए इस तरह के कदम उठाना आसान नहीं होगा।

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