पिछले दो वर्षों में कानून व्यवस्था को सुचारु रूप से लागू करने में योगी आदित्यनाथ ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। उन्होंने किसी भी अपराध के लिए अपराधियों को नहीं बख्शा है, और अब स्थिति ऐसी है कि सरकार की कार्रवाई के डर से अपराधी या तो स्वयं आत्मसमर्पण कर रहे हैं, या फिर अपनी अवैध संपत्ति ध्वस्त कर रहे हैं, जैसे अभी विजय मिश्रा के परिवार ने किया।
भदोही से विधायक विजय मिश्रा कई अपराधों के चलते जेल में इस समय बंद है। अभी हाल ही में उनके परिवार वालों द्वारा प्रयागराज में एक अवैध शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बनवाया जा रहा था, जिसे अभी उन्होंने ही स्वयं ध्वस्त करवाया।
नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, “बाहुबलियों में अब सरकारी बुलडोजर को लेकर इतना भय समा गया है कि वे खुद ही अपने अवैध निर्माण गिराने लगे हैं। ताजा उदाहरण भदोही के विधायक विजय मिश्र के अवैध शॉपिंग कॉम्प्लेक्स से जुड़ा है।”
विजय मिश्र के परिजन प्रयागराज में बने अपने कॉम्प्लेक्स को पूरी तरह ध्वस्त होने से बचाने के लिए उसकी ऊपरी दो मंजिलों को खुद ही गिरवाने लगे हैं। विजय मिश्र के करोड़ों रुपये का सरकारी बंगला पहले ही जमींदोज हो चुका है।
अल्लापुर स्थित विजय मिश्र का आलीशान बंगला गिराने के बाद यहीं बना शॉपिंग कॉम्प्लेक्स भी प्रदेश सरकार के राडार पर था और उसे जल्द गिराया जाना था पर कानूनी दांवपेच के चक्कर में ये रुका हुआ था।
लेकिन समस्या क्या थी? रिपोर्ट में ही आगे बताया गया, “प्रयागराज विकास प्राधिकरण (पीडीए ) से दो मंजिला का नक्शा पास करवाया गया था, लेकिन विजय मिश्रा ने अपने बाहुबल के दम पर दो मंजिला से अधिक इमारत और नीचे शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बनवा लिया था जिसे पीडीए ने अवैध करार दिया” –
लेकिन ये स्वावलंबी कदम यूं ही नहीं उठाया गया है। पिछले कई महीनों से योगी सरकार ने जेल में बंद बाहुबलियों की संपत्ति पर भी करार प्रहार किया है, जिससे वे जेल में रहकर भी अपनी मनमर्जी न करने पाए।
उदाहरण के लिए ग़ाज़ीपुर और मऊ पर कभी दबदबा रखने वाले मुख्तार अंसारी की कई संपत्तियों को ध्वस्त किया गया है, और ऐसा ही प्रयागराज की जेल में बंद बाहुबली अतीक अहमद के साथ भी किया गया। मजे की बात तो यह है कि इन सब का खर्चा भी ऐसे ही अपराधियों को चुकाना पड़ रहा है।
इस सफल अभियान की नींव 2019 में ही पड़ चुकी थी, जब अराजकतावादियों ने भारत सरकार द्वारा पारित नागरिकता संशोधन अधिनियम का विरोध करने के नाम पर देशभर में हिंसक प्रदर्शन करने का प्रयास किया, जिसकी आंच उत्तर प्रदेश पर भी पड़ी।
हालांकि इससे पहले कि ये प्रदर्शन उत्तर प्रदेश का बंगाल जैसा हाल करता, योगी आदित्यनाथ ने तुरंत मोर्चा संभालते हुए न सिर्फ प्रशासन को ऐसे असामाजिक तत्वों से निपटने की पूरी छूट दी, अपितु प्रारम्भिक आगजनी और हिंसा से हुई सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान को पाटने हेतु अपराधियों को पकड़ने के अलावा उनकी निजी संपत्ति भी जब्त करनी शुरू कर दी।
इसका असर ऐसा हुआ कि बुलंदशहर के अल्पसंख्यक वर्ग ने स्वयं आगे आकर सरकार को शहर में हुए नुकसान की भरपाई के लिए करीब छह लाख का एक चेक सौंपा।
ऐसे में जिस प्रकार से विजय मिश्रा के परिवार ने स्वयं बिना किसी निर्देश के अवैध निर्माण ध्वस्त करवाया है, वो सिद्ध करता है कि राज्य में योगी सरकार का प्रभाव कितना है। नागरिकता संशोधन अधिनियम के नाम पर हिंसा को रोकने से लेकर हाथरस हत्याकांड को एक हिंसक दंगे में न बदलने देने तक योगी ने असामाजिक तत्वों की हवा टाइट करके रखी है।
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