इस प्रसिद्ध कोरियोग्राफर, अभिनेता के पिता आज भी बेचते हैं चाय

 

dharmesh

मुम्बई। जिन्दगी को बुलंदी पर पहुंचाने के लिए भाग्य, मेहनत के साथ कठिन परिश्रम आवश्यक है। सफलता पाने के लिए छोटे काम से शरूआत कर मंजिल को पाया जा सकता है। कोरियोग्राफर, अभिनेता धर्मेश येलांदे ने बाॅलीवुड सफलता परिश्रम के रास्ते को ही अपनाया। उन्हें यह पहचान को बनाने में बहुत संघर्ष करना पड़ा। रिएलिटी शो डांस इंडिया डांस से धर्मेश को जबरदस्त प्रसिद्धि मिली। इसके बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। धर्मेश ने परिवार की आर्थिक समस्या और अपने अपने जीवन के संघर्षों के बातें साझा कीं। धर्मेश ने कहा कि जब म्युनिसिपैलिटी ने मेरे पिता की दुकान को ध्वस्त कर दिया था तब हमारा जीवन मुश्किल से घिर गया। इसके बाद उन्होंने पिता के साथ टी स्टॉल खोला। वह रोजाना 50 से 60 रुपये कमाते थे। ऐसे में 4 लोगों के परिवार को खिलाना भी मुश्किल होता था। पापा हमेशा कहते थे कि पढ़ाई कभी नहीं छोड़नी चाहिए। वह एक-एक पैसा हमारी पढ़ाई के लिए बचाते थे। धर्मेश ने बताया कि आर्थिक संकट होने के बावजूद पिता ने उनके नृत्य की क्षमता को पहचाना।

छठी कक्षा में डांस कॉम्पिटिशन जीतने के बाद पिता ने धर्मेश का डांस क्लास में प्रवेश दिलाया। धर्मेश ने कहा कि मैं 19 साल का था जब मैंने कॉलेज छोड़ दिया। बतौर चपरासी काम करना शुरू कर दिया और बच्चों को डांस भी सिखाया करता था। बच्चों को डांस सिखाने का 1600 रुपये मिलने लगे। जैसे ही मैं सीनियर बैच में पहुंचा तो मैंने नौकरी छोड़ दी और डांस पर ही लक्ष्य किया। उन्होंने कहा कि एक फिल्म में बैकअप डांसर के रूप में काम किया जो अच्छा लगा। इसके बाद अपना सपना पूरा करने के लिए मुंबई पहुंच गया। डांस रिएलिटी शो बूगी वूगी में भाग लिया जिसमें विजेता बना। पुरस्कार के 5 लाख से अपने पिता के कर्ज को चुकाया।

वह फिल्मों में काम के लिए कोशिश करते रहे लेकिन कुछ काम नहीं मिला। दो साल बाद धर्मेश के पैसे खत्म हो गए और ऐसे में उन्हें अपने घर को लौटना पड़ा। उन्होंने बताया कि अभिनेता बनने का सपना तब पूरा हुआ जब रेमो डिसूजा ने उन्हें फिल्म ऑफर की। मेहनत किया और मिले पैसे एक घर खरीदा। पिता अभी भी टी स्टाल चलाते हैं। कई बार पापा को टी-स्टाल से काम नहीं करने को कहा लेकिन उन्होंने मना कर दिया। मुझे लगता है कि कभी न हार मानने वाला जिद्द मुझे उनसे ही मिला है। क्योंकि मैंने मुश्किलों के बावजूद हमेशा अपने दिल की सुनी है।

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