जब साड़ी पहनकर पहली बार इंदिरा गांधी से मिली थी सोनिया, कांपने लगे थे पैर, जाने दिलचस्प किस्सा

 

Sonia Gandhi birthday

कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) आज अपना 74वां जन्मदिन मना रही हैं। सोनिया गांधी राजनीति में कभी आना नहीं चाहती थी, लेकिन मजबूरन उन्हें राजनीति में आना पड़ा। आज देश भर में कांग्रेस बुरे दौर से गुजर रही है, ऐसे में पार्टी के कई नेता सोनिया गांधी की तरफ देख रहे हैं। सभी को सोनिया से गहरी उम्मीदें हैं। आखिरकार वह राजनीति की सफलत बहू जो हैं। कांग्रेस के अधूरे अंश को भरने का काम सोनिया बखूबी कर सकती हैं। आज सोनिया का जन्मदिन है, इस अवसर पर आज हम आपको सोनिया के इटली से भारत की राजनीति में आने तक के सफर की बात करेंगे..

राजनीति में नहीं थी दिलचस्पी
दिसंबर 1946 को लुसियाना इटली में जन्मी सोनिया गांधी को शुरुआत से ही राजनीति में कोई खास दिलचस्पी नही रही। यहां तक कि, इंदिरा गांधी के सुपुत्र और सोनिया के पति राजीव गांधी को ये बखूबी पता था, इसलिए उन्होंने कई दिनों तक सोनिया से ये बात छुपाई रखी कि वह राजनीति जगत से ताल्लुक रखते हैं। सोनिया तो यह भी नहीं चाहती थी कि राजीव प्रधानमंत्री बने, उन्हें डर था कि इंदिरा गांधी की तरह कहीं उन्हें भी मार दिया जाए।

राजीव की मां को जानती थी इंदिरा
राजीव और सोनिया की मुलाकात कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में हुई थी। दोनों कॉलेज स्टडी करने आए थे। इस दौरान राजीव को सोनिया से मोहब्बत हो गई। सोनिया नहीं जानती थी कि राजीव भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे हैं और न ही राजीव ने सोनिया से कभी इस बारे में जिक्र किया था। हालांकि, कुछ समय बाद राजीव ने सोनिया को सब बता दिया था। राजीव ने जब सोनिया के बारे में अपनी मां इंदिरा को बताया तो वह सोनिया से मिलने भी पहुंची थी।

इंदिरा के सामने कांपने लगी थी सोनिया
जब इंदिरा गांधी पहली बार सोनिया गांधी से मिलने पहुंची थी, उस वक्त सोनिया गांधी ने पहली बार साड़ी पहनी थी। इस दौरान उनके पैर तेजी से कांप रहे थे। इंदिरा गांधी के मानने के बाद राजीव और सोनिया ने एक दूसरे संग शादी कर ली थी। सोनिया और राजीव के प्यार के चर्चें उस वक्त काफी सुर्खियां बटोरते थे। सोनिया को जब भारत की तेज गर्मी पसंद नहीं होती थी, तब राजीव अपने काम जल्दी से निपटाकर सोनिया को लेकर दिल्ली घुमाने निकल जाते और इंडिया गेट पर उन्हें आइस्क्रीम खिलाते। इस दौरान की उनकी कई फोटो सुर्खियों में रहती थी।

गैरकानूनी कागजात पर कर दिया था साइन
राजीव गांधी सोनिया को हर चीज में कवर करते। एक बार जब राजीव गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी ने मारुती कार की फैक्ट्री सोनिया को कंपनी का हिस्सेदार बना दिया था तब राजीव गांधी बेहद नाराज हुए थे। उन्होंने सोनिया से कहा था कि उन्हें पता रहता था कि उन्होंने किन कागजात पर साइन किया है। तब सोनिया ने कहा था कि संजय ने उनके साइन लिए थे। राजीव ने कहा था कि ये गैरकानूनी है। कोई भी विदेशी महिला भारतीय कंपनियों में हिस्सेदारी नहीं कर सकती है।

टेस्ट ड्राइव से डर गई थीं सोनिया
ऐसा ही एक किस्सा एक समय का है जब संजय गांधी सोनिया को मारुति कार की टेस्ट ड्राइव पर ले गए थे। गाड़ी डब्बे के आकार का था और कार के इंजन इतने गर्म हो गए थे कि कार में अंदर भीषण गर्मी पैदा हो गई थी। सोनिया इस टेस्ट ड्राइव के बाद काफी डर गई थीं, जिसका पता लगते ही राजीव काफी नाराज हो गए थे। राजीव सोनिया को हर जगह प्रोटेक्ट करते थे।

राजीव के PM बनने से नाखुश थीं सोनिया
सोनिया गांधी अपने बच्चों और परिवार को संभालने में बिजी रहती थी। राजनीति में क्या हो रहा, क्या नहीं इससे सोनिया को कोई मतलब नहीं था। कभी कभार इंदिरा गांधी डायनिंग टेबल पर सोनिया को राजनीति का पाठ पढ़ाती थी, लेकिन फिर भी सोनिया को कुछ समझ नहीं आता था। सोनिया कभी नहीं चाहती थी कि राजीव प्रधानमंत्री बने, लेकिन एक रोज इंदिरा गांधी की हत्या हुई तो राजीव को मजबूरन प्रधानमंत्री का पद संभालना पड़ा था, क्योंकि संजय गांधी की पहले ही मौत हो चुकी थी।

डर असलियत में बदला
ऐसे में इंदिरा गांधी के निधन के बाद सभी पार्टी नेताओं और देश की जनता राजीव गांधी की ओर देख रही थी। राजीव गांधी ने प्रधानमंत्री का पद संभाला, और सोनिया राजीव की चिंता में हमेशा परेशान रहती। उन्हें डर लगता कि कहीं राजीव को भी न मार दिया जाए और ये एक डर एक दिन सही साबित हुआ। तमिलनाडु की एक चुनावी रैली में शामिल राजीव की आतंकी संगठन लिट्टे ने हत्या कर दी थी। राजीव के जाने से सोनिया को गहरा धक्का लगा था।

लाख समझाने बाद भी नहीं आई राजनीति में 
राजीव गांधी के जाने के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी की तरफ देखने लगे। पार्टी कार्यकर्ता और नेता सोनिया को अध्यक्ष के तौर पर देखना चाहते थे, लेकिन सोनिया गांधी ने साफ इनकार कर दिया था। एक वरिष्ठ नेता और कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) के प्रवक्ता ने आकर सोनिया गांधी को सूचना दी कि, सोनिया जी CWC ने नरसिम्हा राव के नेतृत्व में आपको पार्टी अध्यक्ष चुन लिया, लेकिन सोनिया ने इस फैसले को नहीं स्वीकारा। उन्होंने साफ कहा कि राजनीति उनकी दुनिया नहीं है।

बाद में UPA का किया नेतृत्व
पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने सोनिया गांधी को समझाया कि उनके नाम के पीछे गांधी है। ये कोई आम बात नहीं है और ये यकीनन सच था। कांग्रेस उस वक्त की सबसे मजबूत पार्टी हुआ करती थी। ऐसे में एक सोनिया ही थी जोकि राजीव के छोड़े पद को भर सकती थी, लेकिन सोनिया नहीं मानी और उस पद पर नरसिंग राव को अध्यक्ष चुना गया। हालांकि, कुछ समय यानि 1997 में सोनिया ने पार्टी की बागडोर संभालने का फैसला किया। इसके बाद 2004 में उनके नेतृत्व वाले यूपीए ने सत्ता में वापसी की और 10 सालों तक सत्ता में कांग्रेस की सरकार रही।

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