प्रणब ने अपनी आत्मकथा में कांग्रेस पर उठाए कई सवाल, लिखा- पार्टी दिशा से भटक गई

 

नई दिल्ली। देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की किताब द प्रेसिडेंशियल इयर्स अभी बाजार में तो नहीं आई है लेकिन किताब ने अभी से सुर्खिया बटोरना शुरू कर दिया है। इस किताब में उन्होंने अपने जीवन के सफर को दर्शाया है। प्रणब मुखर्जी ने लिखा है कि, जब वो देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर चुने गए तो उसके बाद उनकी पार्टी कांग्रेस अपनी राजनीतिक दिशा से भटक गई। वर्ष 2014 में कांग्रेस की मिली हार को भी लेकर किताब में जिक्र है और लिखा है कि, कुछ पार्टी के ही मेंबर्स का ये मानना था कि, अगर वो पीएम होते वर्ष 2004 से 2014 तक तो कांग्रेस को चुनाव में हार न मिलती। निधन से पहले पूर्व राष्ट्रपति अपनी किताब द प्रेसिडेंशियल ईयर्स’ लिख चुके थे। वर्ष 2021 जनवरी माह में ये किताब बाजार में आएगी लेकिन इतना तय माना जा रहा है कि, किताब को लेकर विवाद जरूर उठेगा।

प्रणब मुखर्जी का निधन 31 जुलाई को हुआ था, उन्हें पहले कोरोना संक्रमण हुआ और फिर उसके बाद स्वास्थ्य संबंधी परेशानी होने की वजह से उनका 84 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वर्ष 2014 के बाद ही कांग्रेस का प्रदर्शन लगातार ख़राब चल रहा है, वहीं प्रणब मुखर्जी का अपनी किताब में ये कहना कि, कांग्रेस राजनीतिक दिशा से भटक गई है। इसके बाद कांग्रेस पार्टी में तूफान आना तय हैं, प्रणब पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक थे। ये कहना भी गलत नहीं है कि, वो पीएम पद के दावेदार भी थे।

किताब में मुखर्जी लिखते हैं कि, मैं इस राय से कोई इत्तेफाक नहीं रखता लेकिन वर्ष 2014 के चुनाव में मिली हार के बाद कुछ पार्टी मेंबर्स का मानना था कि, अगर मनमोहन सिंह के स्थान पर वो दस वर्ष पीएम पद पर होते तो पार्टी की लोक सभा चुनाव में इतनी करारी हार न होती। उन्होंने लिखा कि, मेरे राष्ट्रपति बनने के बाद ही कांग्रेस ने लीडरशिप की राजनीतिक दिशा ही खो दी। पार्टी के मामलों को सोनिया गांधी संभालने में असमर्थ थी। वहीं सदन में लंबे वक़्त तक
मनमोहन सिंह की अनुपस्थिति की वजह से सांसदों के साथ व्यक्तिगत संपर्क पर रोक लग गई।

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