इंडोनेशिया अपनी नौसैनिक सीमाओं बढ़ाने में जुटा है, और ये चीन के लिए बैड न्यूज़ है

 


हिन्द महासागर और दक्षिण चीन सागर में भारत और उसके साथी मिलकर लगातार चीन को choke करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। इसी क्रम में अब इंडोनेशिया ने एक ऐसा कदम उठाया है, जो हिन्द महासागर में चीन के प्रभुत्व की महत्वाकांक्षाओं पर पानी फेर सकता है। दरअसल, अब इंडोनेशिया ने आधिकारिक तौर पर UN में एक अर्जी दायर कर दी है, जिसके तहत उसने अपने सुमत्रा द्वीप के दक्षिण-पश्चिम के समुद्र में मौजूदा 200 नॉटिकल माइल्स की बजाय 350 नॉटिकल माइल्स तक अपने दावे को बढ़ा दिया है। UN में अगर इंडोनेशिया के इन दावों को स्वीकार कर लिया जाता है, तो यह सुरक्षा और आर्थिक तौर पर क्षेत्र में चीन के लिए कई बड़ी मुश्किलें खड़ी कर सकता है।

इंडोनेशिया पिछले कई सालों से सुमत्रा द्वीप के दक्षिण में United Nations Convention for the Law of the Sea के तहत अपनी जल-सीमा को बढ़ाने की कोशिश में जुटा हुआ है। UNCLOS के नियमों के तहत अभी हर देश को अपनी ज़मीन से लेकर समुद्र में 200 नॉटिकल माइल्स तक Exclusive Economic Zone मिलता है, जहां पर सिर्फ वही देश आर्थिक गतिविधियों को अंजाम दे सकता है। हालांकि, अगर कोई देश समुद्र में अपने Continental Shelf होने के दावों को पुष्ट कर देता है तो Exclusive Economic Zone की सीमा को 200 नॉटिकल माइल्स से बढ़ाकर 350 नॉटिकल माइल्स भी किया जा सकता है। इंडोनेशिया अब इसी प्रावधान का फायदा उठाना चाहता है। अगर इंडोनेशिया अपनी कोशिशों में कामयाब रहता है, तो उसे अपने सुमत्रा द्वीप के दक्षिण-पश्चिम के समुद्र में 350 नॉटिकल माइल्स तक Exclusive Economic Zone का अधिकार मिल सकता है।

अब यह चीन के लिए बुरी खबर क्यों होगी, वो भी समझ लेते हैं। दरअसल, इंडोनेशिया के सुमत्रा द्वीप रणनीतिक तौर पर काफी अहम हैं। इसके उत्तर में दुनिया के सबसे अहम ट्रेडिंग रूट्स में से एक मलक्का स्ट्रेट है, तो वहीं दक्षिण में दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के लिए हिन्द महासागर का द्वार खुलता है। मलक्का स्ट्रेट के अलावा यह क्षेत्र का दूसरा सबसे अहम ट्रेडिंग रूट है। ऐसे में अगर भविष्य में चीन के लिए मलक्का में कोई समस्या खड़ी होगी, तो उसके लिए अब यह दूसरा ट्रेडिंग रूस इस्तेमाल करना भी मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि इस क्षेत्र में इंडोनेशिया का Exclusive Economic Zone स्थापित हो जाएगा। इंडोनेशिया के प्रस्तावित Exclusive Economic Zone के दक्षिण में ही ऑस्ट्रेलिया के Cocos द्वीप भी मौजूद हैं, जहां भारत और ऑस्ट्रेलिया मिलकर पहले ही एक military base स्थापित कर चुके हैं। ऐसे में क्षेत्र में चीन के लिए बड़ी सुरक्षा चिंतायें खड़ी होना लाज़मी है। इंडोनेशिया के इस कदम के बाद भारत और अन्य देशों के लिए क्षेत्र में चीन में choke करना और आसान हो जाएगा।

चूंकि, यह इलाका हिन्द महासागर के प्रवेश द्वार के तौर पर भी काम करता है, इसलिए यहाँ अक्सर चीनी PLA की गतिविधि भी देखने को मिलती रहती हैं। इंडोनेशिया की जल सीमा में अक्सर चीनी नेवी के drones और अन्य उपकरण देखने को मिलते रहे हैं। उदाहरण के तौर पर हाल ही में Indonesia के Selayar द्वीप के आसपास इंडोनेशिया के मछुआरों को पानी के अंदर चलने वाले चीनी drones बरामद हुए थे, जिन्हें हिन्द महासागर में निगरानी रखने के लिए छोड़ा गया हो सकता है।

अब चूंकि क्षेत्र में इंडोनेशिया अपने Exclusive Economic Zone की सीमा को बढ़ाने के लिए UN में अपील दायर कर चुका है, ऐसे में यह ना सिर्फ चीन के वैकल्पिक ट्रेडिंग रूट के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है, बल्कि यह क्षेत्र में चीन की जासूसी गतिविधियों पर भी लगाम लगा सकता है। इंडोनेशिया पिछले कुछ समय में जापान और भारत जैसे देशों के नजदीक आया है और जापान के प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा भी अपने पहले विदेश दौरे पर वियतनाम और इंडोनेशिया के दौरे पर ही आए थे। ऐसे में समझा जा सकता है कि इंडोनेशिया का यह कदम चीन विरोधी Quad समूह की सहायता से भी चला गया हो सकता है, जो भविष्य में चीन की चुनौतियों में इजाफा करने वाला है।

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