क्रिसमस को राष्ट्रीय अवकाश घोषित करो”, सत्ता खोने से पहले संयम खोती जा रही हैं ममता

 


पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव की आहट और बीजेपी का वहां पर बढ़ता जनाधार देख कर राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का दिमागी संतुलन बिगड़ने लगा है। ममता सार्वजनिक रैलियों पर ऐसे बयान दे रही हैं जिससे उनका ही मजाक बन रहा है। ममता ने अब बीजेपी पर धार्मिक नफरत की राजनीति करने का आरोप लगाया है और कहा है कि क्रिसमस पर देश में राष्ट्रीय अवकाश क्यों नहीं होता है। एक संवैधानिक पद पर बैठी महिला का इतना अजीबोगरीब बयान देना दिखाता है कि वो खुद अब धार्मिक नफरत की राजनीति कर रही हैं, क्योंकि चुनाव की हार सामने देख उनका दिमागी संतुलन बिगड़ चुका है।

ममता बनर्जी ने बंगाल के चुनावी समर में अब धार्मिक रंग देना शुरू कर दिया है। उन्होंने बंगाल के एलन पार्क के क्रिसमस कार्निवल का उद्घाटन करते हुए कहा, आखिर क्यों जीसस क्राइस्ट (Jesus Christ) के बर्ड-डे पर राष्ट्रीय अवकाश नहीं होता हैईसाई समुदाय ने आखिर ऐसा क्या किया हैक्या भारत में सेक्युलरिज्म हैमुझे ये कहते हुए दुख हो रहा है कि भारत में ठेठ धार्मिक नफरत की राजनीति चल रही है।’’ ममता बनर्जी ने इस पूरे मामले के लिए केंद्र सरकार और बीजेपी को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि बीजेपी देश में नफरत की धार्मिक राजनीति फैलाती है जो कि आपत्तिजनक बात हैं।

राजनीति और चुनावों से इतर बात करें तो ममता बनर्जी को क्रिसमस पर राष्ट्रीय अवकाश चाहिए, जबकि हकीकत यह है कि राष्ट्रीय अवकाश साल में केवल 3 बार होता है। 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस, 15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जन्म जयंती की तारीख 2 अक्टूबर को राष्ट्रीय अवकाश का दर्जा दिया गया है। इसके अलावा सभी अवकाश केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा समय-समय पर कम या ज्यादा किए जाते हैं। सभी धर्म के लोग अपने त्योहारों के अनुसार सरकारों से अवकाश की स्वीकृति लेते हैं। यह नियम कोई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2014 में सत्ता में आने के बाद नहीं बना है ये प्रकिया हमेशा से ही ऐसी ही रही है।

ऐसे में इस अवकाश के मुद्दे पर राजनीति करके ममता बनर्जी बीजेपी को निशाना बनाने की कोशिश तो कर रही है लेकिन असल में वह खुद निशाना बन रही हैं। ममता की लड़खड़ाती जुबान, क्षणिक बदलते उनके तेवर और बेतुकी बयानबाजी साफ जाहिर कर रहे हैं कि ममता बनर्जी को विधानसभा चुनाव में अपनी हार साफ-साफ दिखने लगी है और इसीलिए वो सत्ता जाने के डर समेत बीजेपी के बंगाल में बढ़ते राजनीतिक जनाधार से खौफ के कारण अपना मानसिक संतुलन खो बैठीं हैं। वो अपने ही नेताओं के पार्टी छोड़ने से सदमें में आ चुकी हैं, दूसरी ओर दस साल की सत्ता विरोधी लहर के कारण उनके लिए जनता के बीच जाना भी एक मुश्किल समय है। इसीलिए दीदी अब बौखलाहट में अजीबो-गरीब बातें उछाल रहीं हैं जिसका हालिया उदाहरण उनका क्रिसमस को राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने की मांग करना है।

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