कुमारस्वामी अब केवल BJP का साथ देंगे, कर्नाटक में कांग्रेस की वापसी के सपने पर पानी फिर गया है

 



काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती! कांग्रेस के गठबंधन सहयोगियों का हाल भी कुछ ऐसा ही है जो एक बार गठबंधन करने के बाद उससे सदा के लिए दूरियां बना लेते हैं। कुछ ऐसा ही हाल कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और जेडीएस नेता एच डी कुमारस्वामी का भी है जो कह चुके हैं कि उन्हें कांग्रेस के जाना भारी पड़ा है। कुमारास्वामी अब बीजेपी से अच्छे संबंध रखना चाहते हैं। ऐसी स्थिति में बीजेपी के लिए कर्नाटक एक बड़ा गढ़ बन गया है क्योंकि कुमारस्वामी की इस भाषा के बाद अब कांग्रेस की वापसी लगभग असंभव नजर आ रहे हैं और ये दक्षिण की राजनीति में बीजेपी के लिए सकारात्मक संकेत है।

कुमारस्वामी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन को अपनी गलती बताया उन्होंने ये भी कहा कि उन्होंने ये फ़ैसला अपने पिता और पूर्व प्रधानमंत्री एच देवगौड़ा की भावनाओं में आकर ले लिया था और यही फैसला अब उन पर और उनकी पार्टी पर भारी पड़ रहा है। उन्होंने कहा, मेरी पार्टी को अपनी मजबूती खोकर उसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है…मैं देवगौड़ा की भावनाओं के चलते जाल में फंस गया थाजिसका खामियाजा स्वतंत्र रूप से 28-40 सीटें जीतने वाली मेरी पार्टी को बीते तीन साल में हुए चुनाव के दौरान भुगतना पड़ा है।‘”

विधानसभा चुनाव में नंबर तीन बनने वाली पार्टी जेडीएस के कांग्रेस के साथ गठबंधन को लेकर कुमारस्वामी हमेशा ही खफा रहे थे। उनकी सरकार आधा कार्यकाल भी पूरा न कर सकी। इसको लेकर उन्होंने कहा कि बीजेपी से अच्छे संबंध न होने का पार्टी को नुकसान हुआ। उन्होंने बीजेपी के साथ अपने रिश्तों और अपने रोने को लेकर कहा, अगर हमारे भाजपा से अच्छे रिश्ते बने रहतेतो मैं अब भी मुख्यमंत्री होता। पर 2018 में सीएम बनने के एक महीने बाद ही मैं क्यों रोयामैं जान गया था कि क्या हो रहा है। भाजपा ने 2008 में मुझे उस तरह चोट नहीं पहुंचाईजिस तरह कांग्रेस ने 2018 में किया।”

गठबंधन के इस खेल में कांग्रेस को एक बार फिर लताड़ ही मिली है। नंबर तीन की पार्टी के सदस्य को मुख्यमंत्री बनाने के बावजूद कांग्रेस को अब लानत-मलामत ही मिल रही है, जो दिखाता हे कि कांग्रेस क्षेत्रीय पार्टियों पर एक बोझ बन गई है। कांग्रेस क्षेत्रीय पार्टियों के लिए खतरनाक साबित होती है। उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा, बिहार में आरजेडी कोई भी पार्टी कांग्रेस के साथ एक बार गठबंधन करने के बाद उसे खरी खोटी सुनाती है। कुमारस्वामी को कांग्रेस ने मुख्यमंत्री तो बनाया लेकिन उन्हें कांग्रेस के इशारे पर ही एक-एक कदम रखने पर मजबूर होना पड़ रहा था। ऐसी स्थिति में सरकार तो टूटी ही, बल्कि अब भविष्य में कांग्रेस के लिए कर्नाटक में गठबंधन के रास्ते बंद हो गए हैं।

कुमारस्वामी ने कांग्रेस को फटकार लगाने के साथ ही बीजेपी की तारीफ की है जो दिखाता है कि कर्नाटक की एक मात्र क्षेत्रीय पार्टी अब कांग्रेस के साथ कभी  नहीं जाएगी। ऐसी स्थिति में पहले ही कांग्रेस वेंटिलेटर पर है लेकिन अब राज्य में कांग्रेस पूरी तरह खत्म हो जाएगी क्योंकि कोई भी क्षेत्रीय दल उससे गठबंधन तक नहीं करेगा। ऐसी स्थिति में कर्नाटक जहां से कांग्रेस के डीके शिवकुमार, सिद्धारमैया जैसे नेता आते हैं। वहां कांग्रेस विलुप्त होने की कगार में में आ जाएगी।

कर्नाटक के इस पूरे प्रकरण में बीजेपी के लिए ही फायदा निकल कर सामने आया है क्योंकि कर्नाटक में उसका एक विरोधी (कांग्रेस) हाशिए पर है तो दूसरा  (जेडीएस) उससे दोस्ती करने को आतुर है। ऐसे में दक्षिण की राजनीति के लिहाज से बीजेपी के लिए सबसे मजबूत माने जाने वाले कर्नाटक में अब बीजेपी अजेय होने की स्थिति में है जो कि पूरे दक्षिण भारत की राजनीति के लिहाज से उसके लिए सकारात्मक ही होगा।

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