ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव के लिए 1 दिसंबर को मतदान होना है! हैदराबाद के अंदर निकाय चुनाव को लेकर बीजेपी की पार्टी ने इसे लोकसभा चुनाव का रूप दे दिया है जिसके चलते यहां पर अपनी पूरी ताकत को झोंक दिया है! हैदराबाद के अंदर अपनी पार्टी की मौजूदगी दर्ज कराने के लिए बड़े-बड़े दिग्गजों चुनाव प्रचार में जुटे रहे हालांकि बीजेपी को इस बात का भी आवास है कि टीआरएस और ओवैसी के गढ़ में झंडा फहराना इतना आसान काम नहीं है!
अगले साल 2016 के चुनाव की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी को गठबंधन में यहां सत्तारूढ़ दल टीआरएस के 99 और ओवैसी के 44 सीटों के मुकाबले महज 5 सीटों पर ही जीत दर्ज हुई थी! भारतीय जनता पार्टी के नेता भले ही जनसभाओं में यह बड़ा दावा कर रहे हो कि शहर के अंदर अगला में बीजेपी से होगा लेकिन पार्टी के सूत्रों का कहना है कि वह इस बात से भी अवगत है कि निकाय चुनाव में बहुमत हासिल करना इतना आसान नहीं होगा!
हैदराबाद निकाय चुनाव में बीजेपी इतनी कोशिश क्यों कर रही है?
भूपेंद्र यादव का कहना है कि कई लोग बार-बार पूछ रहे हैं कि बीजेपी नगर निकाय चुनाव में इतना निवेश क्यों कर रही है? सच कहें तो, बीजेपी देश के लोगों की सेवा के सभी मौके में निवेश करती है, चाहे चुनाव किसी भी जगह हों! जो पूछ रहे हैं कि आखिर क्यों, उनके लिए जवाब है- क्यों नहीं!
क्या है बीजेपी का लक्ष्य?
मिली जानकारी के अनुसार हैदराबाद में भारी-भरकम चुनाव प्रचार के पीछे बीजेपी पार्टी का लक्ष्य इसे पूरे तेलंगाना में एक फैक्टर के रूप में स्थापित करना हो सकता है! पार्टी के रणनीतिकार का मानना है कि टीआरएस के पतन का कारण उनके नेता और मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव हो सकते हैं क्योंकि उनके ऊपर वंशवाद को बढ़ावा देने का आरोप है इसी के साथ पार्टी में भ्रष्टाचार और प्रशासनिक अक्षमता का बोलबाला है!
टीआरएस के पतन की वजह बीजेपी ने ढूंढ ली?
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के यहां 4 सीट जीतकर कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा हुआ है वहीं कांग्रेस और टीडीपी का विपक्ष के रूप में पतन हुआ है! साल 2016 के GHMC के चुनाव में कांग्रेस में सिर्फ दो वार्ड जीते थे! हम शनिवार को निकाय चुनाव के लिए प्रचार करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने एक नई बहस छेड़ दी है! योगी आदित्यनाथ का कहना है कि कुछ लोग मुझसे पूछ रहे हैं कि अगर हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर किया जा सकता है तो मैंने कहा क्यों नहीं! मैं उनसे कहा कि हमने जब फैजाबाद का नाम अयोध्या और इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किया है तो फिर हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर क्यों नहीं हो सकता!
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