साहित्य जगत में छाया मातम, मंगलेश डबराल ने 72 की उम्र में छोड़ी दुनिया, एम्स में थे भर्ती

 

manglesh dabral passed away

साल 2020 कई बड़ी हस्तियों के लिए ग्रहण बनकर आया है. कई बड़े-बड़े नामी चेहरों ने इस साल दुनिया को अलविदा कह दिया. अब एक बुरी खबर प्रसिद्ध लेखक और कवि मंगलेश डबराल (Manglesh Dabral) को लेकर आई है. उनका कार्डियक अरेस्ट की वजह से निधन हो गया. बताया जा रहा है कि, पिछले कुछ दिनों से उनकी हालत काफी नाजुक बनी हुई थी और गाजियाबाद के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था. बता दें, मंगलेश डबराल साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता, हिंदी भाषा के प्रख्यात लेखक और कवि रहे हैं. इनके निधन की खबर से पूरे साहित्य जगत में शोक छा गया है.

एम्स में भर्ती
मिल रही जानकारी के मुताबिक, पिछले कुछ दिनों से हालत गंभीर थी और जब स्थिति बिगड़ने लगी तो उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया और यहीं उन्होंने 72 की उम्र में आखिरी सांस ली. उत्तराखंड के मूलनिवासी मंगलेश डबराल समकालीन हिंदी कवियों में सबसे चर्चित नाम रहे हैं. मंगलेश डबराल की पढ़ाई देहरादून से हुई है और इनका जन्म 14 मई 1949 को टिहरी गढ़वाल, के काफलपानी गांव में हुआ था.

जनसत्ता के साहित्य संपादक
मंगलेश डबराल की शुरू से ही साहित्य में रुचि थी और उन्होंने दिल्ली में कई जगह काम भी किया है. पर दिल्ली के बाद जब वह मध्यप्रदेश गए तो उन्होंने भोपाल में मध्यप्रदेश कला परिषद्, भारत भवन से प्रकाशित होने वाले साहित्यिक त्रैमासिक पूर्वाग्रह में सहायक संपादक का पद संभाला. इसके बाद कुछ दिनों तक अमृत प्रभाव में नौकरी की और 1963 में जनसत्ता में साहित्य संपादक का पदभार संभाला. उनका सफर यहीं नहीं रुका फिर उन्होंने लंबे समय तक सहारा समय में संपादन कार्य किया और इन दिनों वह नेशनल बुक ट्रस्ट से जुड़े थे. मंगलेश डबराल के पांच काव्य संग्रह प्रकाशित हुए हैं. जिनमें पहाड़ पर लालटेन, घर का रास्ता, हम जो देखते हैं, आवाज भी एक जगह है और नये युग में शत्रु शामिल हैं.

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