बीजेपी के शीर्ष नेता तथा केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 4 महीने बाद होने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में कुल 294 सीटों में से 200 प्लस पर पार्टी की जीत का लक्ष्य रखा है, इसके लिये खुद अमित शाह तथा पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा जीतोड़ मेहनत कर रहे हैं, बीजेपी ने चुनावी रणनीति बनाते हुए प्रदेश को 5 चुनावी जोन में बांटा है, हर जोन के लिये एक संगठन महामंत्री को पर्यवेक्षक बनाकर भेजा गया है, साथ ही केन्द्रीय मंत्रियों की फौज भी उतारी गई है।
दीदी के खिलाफ चेहरा
बीजेपी अलग-अलग सियासी हथियारों के जरिये दस साल से बंगाल की सत्ता में काबिज ममता बनर्जी उर्फ दीदी को अपदस्थ करने की कोशिश कर रही है, हालांकि ये बात अलग है कि बीजेपी की ओर से सीएम का चेहरा कौन होगा, ये फिलहाल स्पष्ट नहीं है, पार्टी का मूल मकसद प्रदेश में सत्ता हासिल करना है।
बंगाली पुर्नगौरव के बहाने हिंदुत्व के तीर
पिछले महीने नवंबर के शुरुआत में जब अमित शाह दौरे पर आये थे, तो उन्होने स्पष्ट कहा था कि बंगाल के पुनर्गौरव की स्थापना करने की लड़ाई लड़ रहे हैं, उन्होने कहा कि पश्चिम बंगाल में तुष्टीकरण की राजनीति ने राष्ट्र की आध्यात्मिकता चेतना को बनाये रखने की अपनी पुरानी परंपरा को चोट पहुंचाई है, इसी के साथ उन्होने ना सिर्फ चैतन्य महाप्रभु, स्वामी विवेकानंद के गुणगान किये बल्कि जगतपुरी के दक्षिणेश्वर मंदिर में भी माथा टेका, सदियों पुराने मंदिर के गर्भगृह में गये, वहां शंख बजाकर उनका स्वागत किया गया। हालिया दो दिन के दौरे की शुरुआत भी अमित शाह ने रामकृष्ण आश्रम से की, यानी शाह हिदुत्व के रास्ते पर चलकर बंगाल में हिंदू मतों के ध्रुवीकरण की शुरुआती कोशिशों में जुटे हैं, जो चुनाव आते-आते आक्रामक हार्डकोर हिंदुत्व की राह पकड़ सकता है, इस काम में आरएसएस का भी साथ मिल रहा है, क्योंकि प्रदेश में 70 फीसदी हिंदू वोटर हैं, जबकि 27 फीसदी मुलसमान हैं, जो टीएमसी के कैडर वोटर समझे जाते हैं।
दलितों-ओबीसी को लुभाने की कोशिश
70 फीसदी हिंदू वोटरों में करीब 34 फीसदी अनुसूचित जाति तथा जनजाति के हैं, जो बड़ा हिस्सा है। बीजेपी लगातार इसे अपने पाले में करने की कोशिश करती रही है, 2014 लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी कुछ हद तक इसमें कामयाब होती दिख रही है, तभी तो 2011 में बीजेपी को सिर्फ 4 फीसदी वोट मिले थे, जो 2016 में 17 फीसदी हो गया, लिहाजा पार्टी का मानना है कि एससी, एसटी और ओबीसी समुदाय को अपने पाले में किया जाए। जिसके लिये बीजेपी लगातार कोशिश कर रही है। पिछले दौरे में अमित शाह ने सिर्फ बांकुड़ा में आदिवासियों के प्रतीक महापुरुष बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि दी, बल्कि दलितों के घर जाकर भोजन भी किया था, बीजेपी अगले चरण में कई ओबीसी तथा दलित नेताओं की फौज बंगाल में उतारने जा रही है, इनमें कई केन्द्रीय मंत्री तथा राज्य के प्रभावी नेता हैं।
बागियों को अपने पाले में लाने की कोशिश
बीजेपी ममता बनर्जी के विरोधियों तथा टीएमसी के बागियों को अपने पाले में कर लोगों को संदेश देना चाह रही है कि अब ममता बनर्जी से लोग ऊब चुके हैं, इसी कड़ी में अमित शाह की मौजूदगी में शनिवार को टीएमसी के कद्दावर नेता शुभेन्दु अधिकारी बीजेपी में शामिल हुए, सालभर के अंदर करीब दर्जन भर प्रभावशाली नेता टीएमसी छोड़ चुके हैं।
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