इस खतरनाक रोग से पाकिस्तान में हर साल हो जाती है 40 हजार महिलाओं की मौत

 

नई दिल्ली। पुरानी कहावत है कि जो दूसरे के लिए कुंआ खोदता है उसके लिए खाई पहले से तैयार रहती है। भारत का पड़ोसी मुल्क इसी कहावत का जीता जागता उदाहरण है। भारत की तरफ से उसे बार—बार सुधरने का मौका दिया जाता रहा है, बावजूद इसके वह भारत को नुकसान पहुंचाने से बाज नहीं आ रहा है। देखा जाए तो पाकिस्तान की बदहाली का यही सबसे बड़ा कारण भी है। आर्थिक तंगी के चलते पाकिस्तान में स्वास्थ्य सेवाएं और चिकित्सा क्षेत्र का बुरा हाल है। यहां ब्रेस्ट कैंसर की दर पूरे एशिया में सबसे ज्यादा है। इस बात से आपको थोड़ी हैरानी हो सकती है कि पाकिस्तान में हर वर्ष करीब 90 हजार महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर की बीमारी की चपेट में आती हैं। इनमें से हर वर्ष इलाज के अभाव में लगभग 40 हजार महिलाओं की मौत हो जाती है।

ये आंकड़े न सिर्फ पाकिस्तान सरकार के लिए बल्कि दुनियाभर के लिए चिंता का विषय का विषय है। साथ ही ये आंकड़े ब्रेस्ट कैंसर के लिए जागरूकता फैलाने वाली संस्थाओं के लिए चिंता बढ़ाने वाली है। पाकिस्तान के समाचार पत्र डॉन ने एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। इस रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में ब्रेस्ट कैंसर से ग्रसित महिलाओं से जुड़े आंकड़ों से खुलासा हुआ है कि यहां हर 10वीं महिलाओं में से एक महिला को जीवन में कभी न कभी स्तन कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझना पड़ सकता है। बता दें कि इन आंकड़ों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी से संबंधित आयोग ‘कॉमसैट्स’ की तरफ से आयोजित वेबिनार ‘ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस: गिव होप, सेव लाइव्स’ में प्रसारित किया गया था।

गौरतलब है कि इस वेबिनार में शिरकत कर रहीं पूर्व राजदूत एवं ‘कॉमसैट्स’ में सलाहकार फौजिया नसरीन ने कहा कि समाज में कैंसर से संबंधित जागरुकता बढ़ाने और समुचित सुविधाएं उपलब्ध कराए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया। वहीं इसी वेबिनार में पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के रेडियोलॉजी विभाग में कार्यरत डॉक्टर फरहीन रजा ने भी बढ़ते ब्रेस्ट कैंसर को लेकर समुदाय आधारित स्वास्थ्य शिक्षा की बढ़ती जरूरतों की बात को दोहराई। इसी क्रम में वेबिनार में शामिल स्वास्थ्य सेवा अकादमी में पूर्व एसोसिएट प्रोफेसर और डब्ल्यूएचओ पाकिस्तान में सलाहकार समीना नईम ने बीमारी से जुड़ी रूढ़ियों को समाप्त करने जोर दिया।

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