इस वर्ष मई के बाद से ही भारत और चीन के बीच भीषण तनाव देखने को मिल रहा है। विस्तारवादी नीति का अनुसरण करने वाला चीन अब भारत पर भी हावी होना चाहता है, ताकि एशिया में उसके प्रभुत्व को कोई चुनौती पेश ना कर सके। हालांकि, अब भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन को उसकी जगह बताते हुए कहा है कि वह भारत ही है, जो पिछले 2 हज़ार वर्षों से चीन की संस्कृति पर अपना प्रभाव जमाता आया है। इसके माध्यम से राजनाथ सिंह ने चीन को यह भी संदेश भेजा है कि सॉफ्ट पावर के मामले में भारत-चीन के बीच कोई मुक़ाबला है ही नहीं, और आज दुनिया के अधिकतर देशों में भारत को लेकर सकारात्मक छवि है, जबकि चीन के मामले में चीज़ें एक दम विपरीत हैं।
राजनाथ सिंह ने यह बड़ा बयान पर्यटन मंत्रालय की ओर से आयोजित ‘पर्यटन पर्व’ के समापन समारोह में दिया। उन्होंने यह दावा चीनी क्रांति के दौरान पेकिंग विश्वविद्यालय के कुलपति रहे हु शिह के हवाले से किया। राजनाथ सिंह ने कहा “बिना एक भी सैनिक भेजे भारत ने 2,000 वर्ष से भी अधिक समय तक चीन पर सांस्कृतिक रूप से नियंत्रण एवं वर्चस्व बनाये रखा है। यही भारत का प्रभाव है अगर चीन पर सांस्कृति रूप से नियंत्रण कोई देश करता है तो वह भारत है और इस तथ्य को हू शिह ने स्वीकार किया था।”
बता दें कि भारत और चीन ऐतिहासिक रूप से एक दूसरे के बेहद करीबी व्यापारिक साझेदार रह चुके हैं। चीन में कम्युनिस्ट शासन आने से पहले यह देश भारत का आदर्श पड़ोसी हुआ करता था। सांस्कृतिक तौर पर भी दोनों देशों के बीच में करीबी रिश्ते थे। भारत और चीन के बीच करीब तीन हजार साल पुराने सांस्कृतिक संबंध हैं। इन संबंधों की शुरुआत व्यापार के माध्यम से होती है लेकिन इनमें स्थायित्व बौद्ध धर्म ने प्रदान किया था। पहली शताब्दी में चीन के हान वंशीय शासक मित्रंदी के आमंत्रण पर धर्मरक्ष और कश्यप मातंग बौद्ध संन्यासी चीन पहुंचे थे। उसके बाद भी भारत की ओर से चीन में कई विद्वान जाते रहे और जाकर चीन पर भारतीय संस्कृति छाप छोड़ते रहे।
यहाँ तक कि चीन का मशहूर यात्री फ़ाहियान भी भारतीय संस्कृति से काफी प्रभावित था। फ़ाहियान पांचवी शताब्दी में भारत पहुँचे थे और वे भारत में करीब 10 साल तक रहे, जहां वे बौद्ध धर्म से प्रेरित हुए थे। यह दिखाता है कि भारत कैसे बिना अपना एक भी सैनिक भेजे, या कहिए बिना अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन किए भी दुनिया को प्रभावित करता रहा है, जिसमें चीन भी शामिल है।
राजनाथ सिंह ने अपने बयान से चीन पर कटाक्ष भी किया है। आज चीन अपने पैसे और सैन्य ताकत के बल पर दुनिया पर अपना वर्चस्व जमाना चाहता है और दुनिया को जबरदस्ती अपने प्रभाव में लेना चाहता है। राजनाथ सिंह ने चीन को यह संदेश भेजा है कि प्रभाव और सॉफ्ट पावर बढ़ाने के लिए किसी देश को बड़ी सेना की ज़रूरत नहीं है, बल्कि उसे प्रभावी मूल्यों की आवश्यकता है।
वैश्विक प्रभाव के लिए आज चीन debt trap डिप्लोमेसी, आक्रामक सेना, wolf warrior डिप्लोमेसी, घुसपैठ और जासूसी करने जैसे हथकंडों का इस्तेमाल करता है। हालांकि, ऐसे तरीके अपनाए बिना भारत सदियों से दुनिया पर अपना प्रभाव जमाता आया है। राजनाथ सिंह ने चीन को अपने एक बयान से वह सच दिखाया है, जिसे खुद चीन के कम्युनिस्ट प्रोपगैंडावादी लोग भी झुठला नहीं सकते हैं।
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