1971 के युद्ध में लापता हुए थे लांस नायक मंगल सिंह, 49 साल बाद मिली जिंदा होने की खबर

 

1971 के युद्ध में लापता हुए थे लांस नायक मंगल सिंह, 49 साल बाद मिली जिंदा होने की खबर

1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान कई परिवार अपने बेटों से बिछड़ गए । कई की लाशें घर पहुंचीं तो कुछ की सिर्फ खबर । लांस नायक मंगल सिंह के घर भी उनके मरने की बस खबर ही पहुंची थी । लेकिन मंगल सिंह के परिवार को उम्‍मीद थी कि एक दिन वो जरूर लौटेंगे । उनकी 75 साल की पत्‍नी सत्‍या आज भी पति की तस्‍वीर हाथ में लेकर उन्‍हें याद किया करती हैं । उन्‍हें जरा भी अंदाजा नहीं था कि जिस खुशखबरी का इंतजार वो इतने बरसों से कर रही हैं, वो खुशी उन्‍हें मिलने वाली है ।

विदेश मंत्रालय से आई उम्‍मीदों वाली चिठ्ठी
जालंधर के दातार नगर की रहने वालीं 75 साल की सत्या देवी को हाल ही में पति के जिंदा होने की खबर मिली है । उनके पति मंगल सिंह 1971 की जंग में लापता हो गए थे, जिन्‍हें बाद मे पाकिस्तानी सेना ने गिरफ्तार कर लिया था । तब उनी उम्र महज 27 साल थी, पत्‍नी की गोद में दो बेटे थे । कई दश्‍कों से उनका इंतजार कर रहीं सत्या को अब विदेश मंत्री द्वारा एक चिट्ठी मिली है, जिसमें उनके पति की सलामती की खबर आई है ।

बांगलादेशी मोर्चे पर लगी थी ड्यूटी
लांस नायक मंगल सिंह 1962 के आसपास भारतीय सेना मे भर्ती हुये थे, 1971 में उन्‍हें रांची से कोलकाता ट्रांसफर कर दिया गया। वहां से बांग्लादेश के मोर्चे पर उनकी ड्यूटी लग गई । कुछ दिन बाद उनके परिवार को सेना की ओर से टेलीग्राम आया कि बांग्लादेश में सैनिकों को ले जा रही एक नाव डूब गई और उसमें सवार मंगल सिंह समेत सभी सैनिक मारे गए । तब से अब तक सत्या अपने पति की वापसी की राह देख रही थी ।

बेटों को भी पिता का इंतजार
49 साल बाद पिछले सप्ताह राष्ट्रपति और विदेश मंत्रालय कार्यालय की तरफ से खत भेजकर सत्या को उनके पति के जिंदा होने की जानकारी दी गई है । विदेश मंत्रालय की ओर से बताया गया है कि मंगल सिंह, पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में बंद हैं । पाकिस्तान सरकार से बात कर उनकी रिहाई की कोशिश की जाएगी । सत्या और उनके दो बेटे पिछले 49 साल से मंगल को देखने के लिए तरस रहे हैं । गौरतलब है कि, भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में युद्ध हुआ था, इस युद्ध के बाद ही पाकिस्तान दो हिस्सों में बंटा और बांग्लादेश का जन्म हुआ । युद्ध की शुरुआत 3 दिसंबर 1971 को हुई और ये लड़ाई 16 दिसंबर 1971 तक चली । सैन्य इतिहास में इस युद्ध को फॉल ऑफ ढाका भी कहते हैं ।

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