म्यांमार सरकार के इस फैसले के बाद करीब 16 कंपनियों ने Bidding Process में शामिल होने के लिए अर्जी दी थी, जिसमें से अब 9 कंपनियों को चुन लिया गया है। इन 9 कंपनियों में भारत की सरकारी कंपनी NTPC भी शामिल है। इससे पहले इस नए शहर को gas supply करने से संबन्धित एक समझौते को भारतीय कंपनी पहले ही पक्का कर चुकी है। पिछले वर्ष भारत की Indraprastha Gas Limited and Gail Consortium ने इस Contract को जीता था। अब अगर सब कुछ सही रहता है तो भारत की NTPC को इस शहर का यह महत्वपूर्ण कान्ट्रैक्ट मिल सकता है।
इस प्रक्रिया में चुनी जाने वाली कंपनी को 3 sq किमी में एक Industrial Zone को विकसित करना होगा, और इसके साथ ही Yangon नदी के ऊपर एक पुल भी बनाना होगा। पहले इस प्रोजेक्ट पर खर्चे का अनुमान करीब 1.5 बिलियन डॉलर रखा गया था, लेकिन अब इस घटाकर 800 मिलियन कर दिया गया है। चीन के इंफ्रास्ट्रक्चर में अत्यधिक निवेश के उत्साह को देखते हुए म्यांमार (Myanmar) की सरकार में ये डर जाहिर होने लगा है कि कहीं उनके देश की हालत भी पाकिस्तान और श्रीलंका जैसी न हो जाए। पाकिस्तान और श्रीलंका ने चीन की ऋण-जाल नीति के आगे घुटने टेक दिए हैं और इन दोनों की गलती से अब म्यांमार सीख लेता दिखाई दे रहा है।
जब म्यांमार ने भी COVID-19 रिकवरी प्लान जारी किया, तो उसमें किसी भी चीनी infrastructural प्रोजेक्ट को मदद करने की अनुमति नहीं दी, जो BRI के तहत विकसित किया जा रहा है, यह देश में चीन विरोधी लहर का ही नतीजा था। दूसरी ओर, म्यांमार में भारत द्वारा बनाए जा रहे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को इस तरह की बाधाओं का सामना नहीं करना पड़ता। वास्तव में, म्यांमार भारतीय परियोजनाओं में तेजी ला रहा है। इसी कारण चीन चिढ़ा हुआ है और भारत तथा म्यांमार (Myanmar) को अस्थिर करने के लिए उग्रवादियों और अराकान आर्मी जैसे संगठनों को धन मुहैया कराता है। अराकान आर्मी को मिलने वाले 95% फंड्स चीन से ही आते हैं। इसके अलावा अराकान आर्मी Myanmar में चुन-चुन कर भारत से जुड़े प्रोजेक्ट्स को निशाना बनाती है। यही नहीं, वे Myanmar सेना को भी निशाना बनाते हैं। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने आतंकी समूहों को हथियार और गोला-बारूद की आपूर्ति जारी रखी है, जो भारत के महत्वपूर्ण 484 मिलियन डॉलर के कलादान मल्टी-मॉडल ट्रांजिट परियोजना के लिए खतरा बना हुआ है। इस प्रोजेक्ट के माध्यम से भारत अपने नॉर्थ ईस्ट के राज्यों को म्यांमार के सितवे पोर्ट से जोड़ना चाहता है।
पिछले कुछ समय में भारत ने म्यांमार की सेना के साथ सम्बन्धों को और मजबूत किया है, जिसके कारण अब म्यांमार सेना को भी अपने यहाँ चीनी प्रभाव को कम करने की कोशिशें तेज करनी पड़ी हैं। अपने महत्वपूर्ण Yangon City Project से चीनी कंपनी को बाहर करना इसी बात का सबसे बड़ा प्रमाण है।
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