मुकेश अंबानी vs जेफ बेजोस: अंबानी के साथ अब साल्वे, दोनों मिलकर देंगे Amazon को सबसे बड़ा झटका

 


मुकेश अंबानी एक बार फिर सुर्खियों में है, पर इस बार कुछ अलग कारणों से। इस बार उनके प्रतिद्वंदी कोई और नहीं, बल्कि ई कॉमर्स के क्षेत्र में वर्चस्व जमाए एमेजॉन और उसके मालिक जेफ बेजोज़ हैं। दोनों के बीच का विवाद अब न्यायालय पहुंच चुका है, और यहीं से कहानी अब एक दिलचस्प मोड़ लेने वाली है, क्योंकि मुकेश अंबानी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं पूर्व सॉलिसिटर जनरल एवं प्रसिद्ध अधिवक्ता हरीश साल्वे।

टेलिकॉम के क्षेत्र में तहलका मचाने के बाद रिलायंस अब रिटेल क्षेत्र में अपनी धाक जमाना चाहता है। इसकी शुरुआत ई कॉमर्स क्षेत्र में जियो मार्ट के माध्यम से उसने पहले ही कर दी है, और अब इसी दिशा में एक अहम उठाते हुए वह प्रसिद्ध रिटेल उद्यम फ्यूचर ग्रुप की संपत्ति को खरीदना चाहता है।

तो इसमें एमेजॉन का क्या काम? दरअसल रिलायंस फ्यूचर ग्रुप को खरीदने का अकेला दावेदार नहीं है, और एमेजॉन भली भांति जानता है कि यदि ये डील सफल हुई, तो भारत में उसके रिटेल क्षेत्र में वर्चस्व जमाने के इरादों पर पूर्णविराम लग जाएगा। लाइवमिंट की रिपोर्ट के अनुसार, “एमेजॉन ने दिल्ली हाई कोर्ट में रिलायंस और फ्यूचर ग्रुप के बीच की संभावित डील के विरुद्ध याचिका दायर की है, क्योंकि उनके अनुसार फ्यूचर ग्रुप ने उनके प्रतिद्वंदी के साथ डील कर उनके [एमेजॉन] साथ अपने अनुबंध का उल्लंघन किया है”।

अब इस विवाद के कारण न केवल दुनिया के दो सबसे कद्दावर उद्योगपतियों में तनातनी उत्पन्न हुई है, बल्कि अब मुद्दा ‘स्वदेशी बनाम विदेशी’ हो चुका है। इसी परिप्रेक्ष्य में जहां एमेजॉन का प्रतिनिधित्व गोपाल सुब्रह्मण्यम कर रहे हैं, जो कांग्रेस शासन में अटर्नी जनरल रह चुके हैं, तो वहीं रिलायंस का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं हरीश साल्वे, जिन्होंने कोर्ट में सुनवाई के दौरान एमेजॉन की मनमानी को जगजाहिर करते हुए कंपनी को आड़े हाथों लेने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

एमेजॉन ने अपनी ओर से दलील दी है कि इस विवाद में व्यवसायिक अधिनियमों को लागू करते हुए फ्यूचर ग्रुप और एमेजॉन के बीच का अनुबंध यथावत रखा जाए, अन्यथा दुनिया को यह संदेश जाएगा कि भारत में निवेश करना खतरे से खाली नहीं है।

लेकिन सच्चाई तो यह है कि फ्यूचर ग्रुप और रिलायंस के बीच का सौदा रद्द कर एमेजॉन रिलायंस को रिटेल क्षेत्र में अपना वर्चस्व जमाने से रोकना चाहता है। आज भी ऐसे कई लोग हैं, जो ऑनलाइन शॉपिंग न करके दुकानों पर जाना पसंद करते हैं। यदि रिलायंस और फ्यूचर ग्रुप के बीच की डील सुनिश्चित हुई, तो एमेजॉन का भारत में वर्चस्व जमाने का सपना हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा।

लेकिन रिलायंस एमेजॉन को अपनी मनमानी करने देने के लिए भी तैयार नहीं है, और अब उसने राष्ट्रवाद को एक असरदार हथियार के रूप में एमेजॉन के विरुद्ध उपयोग करने का निर्णय लिया है। फ्यूचर ग्रुप का प्रतिनिधित्व कर रहे हरीश साल्वे ने कहा, “एमेजॉन 21वीं सदी के ईस्ट इंडिया कंपनी की तरह व्यवहार कर रहा है कि या तो उससे व्यापार करने दो नहीं तो अपना व्यापार बंद करो।”

लेकिन हरीश साल्वे वहीं पर नहीं रुके। उन्होंने एमेजॉन को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “एमेजॉन का फ्यूचर रिटेल में कोई निवेश नहीं है। अब रिलायंस यदि फ्यूचर ग्रुप से कुछ डील करना चाहता है, तो क्या अमेरिका में बैठे बिग ब्रदर से परमीशन लेनी पड़ेगी? एक विदेशी कंपनी को भारत के कंपनी के बिजनेस डीलिंग्स कंट्रोल करने का अधिकार किसने दिया है?”

हरीश साल्वे ने पिछले कुछ वर्षों में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए कई अहम न्यायिक मामलों में भारत की प्रतिष्ठा का मान रखा है। चाहे वह अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में कुलभूषण जाधव के मृत्युदंड पर रोक लगवानी हो, या फिर अनुच्छेद 370 निरस्त करने एवं नागरिकता संशोधन कानून के कानूनी पक्षों को सरलता से देश को समझाना हो, हरीश साल्वे ने सदैव भारत के प्रति अपनी प्रतिबद्धता स्पष्ट की है। अब जब उन्होंने एमेजॉन के विरुद्ध मोर्चा संभाल लिया है, तो इतना तो स्पष्ट है कि अब एमेजॉन क्या, किसी भी ऐसे एमएनसी की व्यापार के नाम पर दादागिरी नहीं चलेगी।

आपको ये पोस्ट कैसी लगी नीचे कमेंट करके अवश्य बताइए। इस पोस्ट को शेयर करें और ऐसी ही जानकारी पड़ते रहने के लिए आप बॉलीकॉर्न.कॉम (bollyycorn.com) के सोशल मीडिया फेसबुकट्विटरइंस्टाग्राम पेज को फॉलो करें।

0/Post a Comment/Comments