ब्राज़ील, कम्बोडिया, Taiwan और Philippines: US चुनाव के बाद दुनिया को अस्थिर करने वाले चार बड़े बदलाव

 


डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने चुनाव अभियान में कई बार इस बात को उठाया था कि अगर बाइडन ये चुनाव जीत गए, तो यह सीधे तौर पर चीन की जीत होगी! अफसोस यह है कि उनके US चुनाव हारने के महज़ तीन दिन के अंदर ही यह सच साबित होता दिखाई भी दे रहा है। ताइवान, कंबोडिया, फिलीपींस और ब्राज़ील से लगातार ऐसी खबरें आ रही हैं जिसे सुनकर चीन को बहुत खुश होगा, लेकिन लोकतान्त्रिक दुनिया के लिए यह किसी झटके से कम नहीं है।

उदाहरण के लिए ब्राज़ील को ही ले लीजिये! अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दबाव में ब्राज़ील चीन की विवादित कंपनी हुवावे को डंप करने की कगार पर पहुँच चुका था। ट्रम्प प्रशासन के समय ही US के export-Import bank और ब्राज़िली प्रशासन के बीच एक MOU पर भी हस्ताक्षर हुए थे, जिसमें ब्राज़ील में 5G के विकास के लिए 1 बिलियन डॉलर तक के निवेश की बात की गयी थी। ब्राज़ील में हुवावे खात्मे की ओर बढ़ ही रहा था कि तभी US में बाइडन की जीत की खबर आती है और चीन दोबारा खेल में नज़र आने लगता है। अब हालिया खबर में ब्राज़ील की सभी Telecom कंपनियों ने 5G के मुद्दे पर बात करने आ रहे अमेरिकी अधिकारी का ही बहिष्कार कर दिया!

दरअसल, ब्राज़ील में मौजूद अमेरिकी दूतावास की ओर से सभी telecom कंपनियों को अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेन्ट के under secretary से मुलाक़ात के लिए एक निमंत्रण पत्र दिया गया था। हालांकि, इन सभी telecom कंपनियों ने यह कहते हुए मुलाक़ात करने से मना कर दिया कि इस मुलाक़ात की स्थिति free मार्केट के सिद्धान्त से मेल नहीं खाती है!

बाइडन की जीत के बाद चीन अब UN में भी अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है। यह इस खबर से स्पष्ट हो गया कि अब WHO की एक अहम बैठक में ताइवान को दोबारा आमंत्रित नहीं किया गया है। सोमवार को Covid-19 के मुद्दे पर ही WHO में एक अहम बैठक शुरू हो रही है और ताइवान पिछले काफी समय से यहाँ अपनी सदस्यता के मुद्दे को उठा रहा था। हालांकि, ताइवान को आमंत्रित ना किए जाने के साथ ही यह निश्चित हो गया है कि चीन अब दोबारा UN पर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर सकता है।

बाइडन की जीत के बाद कंबोडिया से भी अमेरिका के लिए एक बेहद बुरी खबर आई है। कंबोडिया ने Ream Naval Base पर अमेरिका द्वारा बनाई गयी एक और facility को तोड़ दिया है। इसे सिर्फ तीन साल पहले ही बनाया गया था। इससे पहले कंबोडिया सरकार अमेरिका द्वारा बनाई गयी एक अन्य facility को भी तोड़ चुकी है। ऐसा तब हो रहा है जब इस देश पर बहुत तेजी से चीन का प्रभाव बढ़ रहा है। माना जा रहा है कि चीन के दबाव के कारण ही कंबोडिया सरकार ऐसा कर रही है।

इसी प्रकार अब फिलीपींस भी दोबारा चीन के पाले में जाता दिखाई दे रहा है। अपने हालिया फैसले में फिलीपींस ने ऐलान किया है कि ICJ में जज के चुनाव के लिए वह चीन के एक प्रत्याशी का समर्थन करेंगे! वर्ष 2016 में राष्ट्रपति बनने के बाद से ही Duterte चीन और अमेरिका के बीच फ्लिप-फ्लॉप करते रहे हैं। हालांकि, पिछले कुछ महीनों में वे ज़रूर अमेरिका और भारत के पाले में आते दिखाई दे रहे थे, लेकिन अब बाइडन की जीत के बाद सब दोबारा पानी में जाता दिखाई दे रहा है।

साफ है कि बाइडन की जीत ने चीन को एक नयी उम्मीद और नया हौसला प्रदान किया है, जिसके बाद अब चीन ज़्यादा आक्रामकता के साथ Quad और US के हितों के खिलाफ काम करना शुरू कर चुका है। ट्रम्प के जाने के बाद अब चीन विरोधियों को डर है कि बाइडन उतनी मजबूती के साथ उनका साथ नहीं दे पाएंगे। बाइडन की हार के बाद अब चीन जीतता दिखाई दे रहा है। चुनावों से पहले ट्रम्प का यह बयान महज़ चुनावी जुमला लग रहा था लेकिन अब यह सच्चाई में तब्दील हो चुका है!

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