भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर दक्षिण एशिया में चीन की नींद उड़ाने के लिए लगातार पड़ोसी देशों के साथ भारत के रिश्तों को सकारात्मक बनाने के लिए काम कर रहे हैं। इसी कड़ी में अब वो सेशल्स की यात्रा पर निकलेंगे और भारत के साथ सेशल्स के सुस्त पड़े रिश्तों को ऊर्जा देने में अब उनकी इस दौरे की बड़ी भूमिका होगी। उनके इस सेशल्स दौरे को उनके पिछले साल अचानक हुए श्रीलंका दौरे की तरह ही देखा जा रहा है जिससे न केवल भारत और श्रीलंका के रिश्ते सही दिशा में आगे बढ़े बल्कि चीन की दोनों देशों के बीच कटुता बनाने की नीति को झटका लगा था।
दरअसल, भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर 27 और 28 नवंबर को सेशल्स की यात्रा पर होंगे। इस दौरान भारत और सेशल्स के रिश्तों को लेकर जितनी बातें दोनों देश के कूटनीतिज्ञों के मन में होंगी, उतनी ही व्याकुलता की स्थिति चीन के लिए भी होगी। इस यात्रा को लेकर विदेश मंत्रालय की तरफ से दिए गए बयान में कहा गया, “विदेश मंत्री अपनी सेशल्स यात्रा के दौरान वहां के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति वावेल रामकलावन को भारत दौरे के लिए आमंत्रित करेंगे, जिससे वो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ मिलकर नई सरकार की नीतियों के अनुसार भारत और सेशेल्स के मजबूत द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ा सकें।”
गौरतलब है कि कोरोनावायरस की त्रासदी से लेकर सेशल्स के मुश्किल वक्त में उबरने तक भारत ने उसका साथ दिया है। यहां के इन्फ्रास्ट्रक्चर को बनाने में और सेशल्स की अर्थव्यवस्था को लेकर भारत ने उसकी काफी मदद की है, लेकिन पिछले कुछ वक्त से दोनों देशों के बीच रिश्तों में तनाव आ गया था जिसके चलते चीन ने सेशल्स के साथ नजदीकियां बढ़ाना शुरू कर दिया है, यही कारण है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर का ये दौरा अहम माना जा रहा है।
एस जयशंकर की इस सेशेल्स यात्रा को ठीक उसी तर्ज पर देखा जा रहा है जैसे उनकी गोटबाया राजपक्षे की जीत के बाद श्रीलंका की विदेश यात्रा को देखा गया था। गोटाबाया के आने से पहले भारत के श्रीलंका के साथ रिश्ते काफी उदासीन हो गए थे। नतीजा ये हुआ कि चीनी कूटनीतिज्ञों ने यहां काम करना शुरू किया, और भारत के साथ श्रीलंका के रिश्ते में तनाव की स्थिति आ गई थी। हालांकि, भारत और श्रीलंका के रिश्तों में मजबूती तब आई जब श्रीलंका की सरकार बदली, गोटाबाया के सत्ता संभालते ही भारतीय कूटनीति सक्रिय हो गई।
भारत ने इस मामले में इतनी सक्रियता दिखाई थी कि गोटाबाया के राष्ट्रपति बनने के बाद एस जयशंकर पहले ऐसे विदेशी थे जिन्होंने गोटबाया से मुलाकात की थी । इसका कारण ये था कि भारत ने श्रीलंका के साथ अपने रिश्तों को महत्व दिया और चीन से आगे निकलने की कोशिश में चीन के दो कदम चलने से पहले ही भारत 6 कदम आगे बढ़ चुका था। नतीजा ये हुआ कि अब भारत के श्रीलंका के साथ रिश्ते पहले की तरह कटु नहीं हैं। दोनों देशों के बीच मतभेदों की संभावनाएं भी खत्म होती जा रही हैं वहीं, महत्वपूर्ण बात ये भी है कि गोटाबाया का राष्ट्रपति बनने के बाद पहला विदेश दौरा भी भारत ही था और ये दोनों देशों के लिए द्विपक्षीय रिश्तों के लहाज से काफी अहम था।
कुछ ऐसे ही अब जयशंकर की सेशेल्स यात्रा भी महत्वपूर्ण है जो चीन के करीब जाते सेशल्स को सत्ता बदलते ही अपनी ओर झुकाने की कोशिश कर रहे हैं। जयशंकर के रिश्ते सुधारने के रिकॉर्ड को देखकर कोई भी कह सकता है कि वो एक बार फिर अपने मिशन में कामयाब होंगे और ये चीन के लिए एक बड़ा झटका साबित होगा। चीन से निपटने के लिए भारत के साथ सेशल्स का रहना आवश्यक है क्योंकि इससे भारतीय नौसेना के लिए लाभ की स्थितियां बनेंगी, जिससे चीन का सैन्य घेराव करने में भारत को सहजता होगी। जो चीन समुद्री क्षेत्र पर अपनी गुंडागर्दी करता रहता है उस पर भी भारतीय नौसेना की सक्रियता से लगाम लगेगी। चीन भारत के पड़ोसी देशों को अपनी तरफ रखकर भारत के खिलाफ इस्तेमाल करता है, लेकिन भारतीय कूटनीति उसके इरादों पर हर बार चोट कर देती है, सेशल्स के मजबूत होते भारत के रिश्ते इसका नया उदाहरण बनेंगे।
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