Jinping vs Jack Ma यह एक ऐसा युद्ध है जो चीन को अपने घुटनों पर ला देगा

 


चीन में कॉर्पोरेट दिग्गजों का उदय चीनी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा तिरस्कार के साथ देखा जाता है। हालांकि, पूर्व चीनी राष्ट्रपति Jiang Zemin ने बहुत सुधार किया था और ‘पूंजीपतियों’ को CCP की के साथ मिल कर काम करने की अनुमति दी थी। परंतु अब ऐसा लगता है कि CCP के वर्तमान महासचिव शी जिनपिंग चीन के प्राइवेट सेक्टर को तहस-नहस कर अपने पूर्ववर्तियों के सभी कार्यों को पूर्ववत करने के मिशन पर लग चुके हैं।

शी जिनपिंग के इसी डर के सबसे पहले निशाने पर ई-कॉमर्स दिग्गज अलीबाबा ग्रुप के संस्थापक जैक मा आ चुके हैं और CCP के अत्याचारों का सामना कर रहे हैं। इसका कारण कुछ और नहीं बल्कि पिछले महीने उनका एक विवादास्पद बयान है। चीन के नियामक ढांचे पर जैक मा ने कहा था कि देश के वित्तीय विनियमन पुराने और आउटडेटेड है।

अलीबाबा संस्थापक ने कहा, “अच्छा इनोवेशन रेगुलेशन से नहीं डरता है, बल्कि आउटडेटेड रेगुलेशन से डरता है।” इसके बाद अब यह आशंका जताई जा रही है कि जैक मा के चीन से बाहर जाने पर प्रतिबंध लग गए हैं और संभवत: सार्वजनिक उपस्थिती पर भी प्रतिबंध लग जाए।

चीनी ई-कॉमर्स पावरहाउस अलीबाबा ग्रुप के संस्थापक जैक मा ने इस साल के World Internet Conference में भी उपस्थित नहीं हुए थे। चीनी सरकार द्वारा आयोजित इस कॉन्फ्रेंस में कई अधिकारियों के साथ हाई-प्रोफाइल तकनीकी अधिकारी भी जुटते हैं। पहले जैक मा कई मौकों पर एक नियमित सहभागी थे। लेकिन इस बार, अली बाबा का प्रतिनिधित्व अलीबाबा के अध्यक्ष और सीईओ Daniel Zhang कर रहे थे जिनके पास CCP द्वारा बनाए गए नियमों का प्रशंसा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।

अगर देखा जाए तो जैक मा की टिप्पणी किसी अन्य देश में असहमति के रूप में भी  देखा जाता लेकिन यह चीन था जहां विरोध करने से पहले ही व्यक्ति को गायब कर लिया जाता है। जैक मा के टिप्पणियों को अब चीन के तकनीकी क्षेत्र, और कॉर्पोरेट स्ट्रक्चर को जिनपिंग के सामने घुटनों पर झुकाने के लिए प्रतिशोध के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।

वास्तव में, अगर ताजा घटनाक्रम को देखा जाए तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि शी जिनपिंग देश के निजी क्षेत्र को नष्ट करने के मार्ग पर चल रहे हैं। उन्हें डर सता रहा है कि कहीं पूंजीपति स्वायत्तता प्राप्त कर देश की कम्युनिस्ट विचारधारा और पार्टी से बगावत पर न उतर जाएँ।

जिनपिंग ने हाल ही में अलीबाबा के संस्थापक जैक मा के Ant Group Co के शंघाई और हांगकांग में 35 बिलियन डॉलर के आईपीओ को रोककर इंटरनेट दिग्गजों के खिलाफ अपना शुद्धिकरण शुरू किया था। सिर्फ यही नहीं, बीजिंग ने यह भी सुनिश्चित किया कि शंघाई स्टॉक एक्सचेंज अपने स्टार बाजार से Fintech Solutions Company के आईपीओ को निलंबित कर जैक मा को एक बड़ा झटका दे जिससे वे उबर ही न पाये।

इसके बाद, उन्हें चीनी अधिकारियों द्वारा पूछताछ के लिए तलब भी किया गया था। ऐसा लगता है कि शी जिनपिंग अब उस प्रगति को पूर्ववत कर रहे हैं जो प्रगति में चीन ने पूँजीपतियों को एक आम मनुष्य की तरह स्वीकार कर किया था। CCP अलीबाबा ग्रुप पर सिर्फ जैक मा को सबक सिखाने के लिए हमले नहीं कर रही है बल्कि सीसीपी के लिए एक बार फिर से देश के निजी क्षेत्र को अपने शिकंजे में कसने के लिए कर रही है।

इससे स्पष्ट होता है कि शी जिनपिंग के मन में चीन के निजी क्षेत्रों के लिए कैसी भावना है। वह नहीं चाहते हैं कि किसी भी उद्योगपति को किसी भी प्रकार की छूट मिले। यह कुछ और नहीं बल्कि जिनपिंग का डर है जो उन्हें सता रहा है कि कोई बगावत कर उन्हें चुनौती दे देगा। वर्चस्ववाद की एक गलत भावना के साथ अहंकार और साम्यवाद में लिपटे शी जिनपिंग अब पूरी तरह से चीन के निजी क्षेत्र को उसी तरह घुटने पर लाने की राह पर हैं जैसे एक पश्चिमी मालिक अपने दासों को लाता था।

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