सड़क किनारे ठंड से ठिठुर रहा था भिखारी, DSP ने पास जाकर देखा तो पाया खुद के बैच का अधिकारी

  

सड़क किनारे ठंड से ठिठुर रहा था भिखारी, DSP ने पास जाकर देखा तो पाया खुद के बैच का अधिकारी

सड़क पर बैठा ठंड से ठुठरता हुआ एक भिखारी, राह चलते डीएसपी ने जब उसकी मदद करनी चाही और उसे पास पहुंचे तो ये देखकर चौंक गए कि वो भिखारी कोई और नहीं बल्कि एक जमाने में उनका बैचमैट रहा शख्‍स है । अधिकारी उसे इस हाल में देखकर निशब्‍द हो गए । एकदम फिल्‍म सी लग रही ये कहानी ग्‍वालियर की सच्‍च्‍ी घटना हैं । जहां अपनी गाड़ी से घर जा रहे डीएसपी ने ठंड से ठिठुरते एक भिखारी को देखकर उसकी मदद करनी चाहती तो पता चला कि वो भिखारी, उनके ही बैच का ऑफिसर है ।

ये है पूरा मामला
मिली जानकारी के अनुसार ग्वालियर उपचुनाव की काउंटिंग के बाद डीएसपी रत्नेश सिंह तोमर और विजय सिह भदौरिया झांसी रोड से गुजर रहे थे । जब दोनों बंधन वाटिका के फुटपाथ से होकर गुजरे तो सड़क किनारे एक अधेड़ उम्र के भिखारी को ठंड से ठिठुरता हुए देखा । गाड़ी रोककर दोनों अफसरों ने भिखारी की मदद की ठानी और उसे जूते और अपनी जैकेट दे दी । इसके बाद जब दोनों ने उस भिखारी से बातचीत शुरू की, तो दोनों हैरान रह गए । वह भिखारी डीएसपी के बैच का ही अफसर निकला ।

10 साल पहले हो गये थे लापता
कौन है ये भिखारी, दरअसल भिखारी के रूप में मिला ये शख्‍स पिछले 10 सालों से लापता है । नाम मनीष मिश्रा है जो कभी पुलिस अफसर थे और अचूक निशानेबाज भी । मनीष ने 1999 में पुलिस की नौकरी जॉइन की थी, वो 2005 तक सर्विस में थे । अंतिम पोस्टिंग दतिया में बतौर थानाप्रभारी की थी । लेकिन फिर उनकी मानसिक स्थिति खराब होती चली गई । घरवाले भी उनसे परेशान होने लगे । इलाज के लिए कई जगह ले जाया गया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ । एक दिन वह परिवारवालों की नजरों से बचकर भाग गये, बहुत तलाश किया गया लेकिन वो नहीं मिले । पत्‍नी भी घर छोड़कर चली गई और बाद में तलाक भी ले लिया । वहीं मनीष की मानसिक स्थिति खराब होने के कारण वो सड़क पर ही रह गए और भिखारियों की तरह 10 साल गुजार दिए ।

दोस्‍त करवा रहे हैं इलाज
अब मनीष के दोस्‍तों ने उन्‍हें सड़क से उठाकर एक एनजीओ में भेजा है, जहां उनका इलाज होगा । डीएसपी साथियों ने बताया कि मनीष उनके साथ साल 1999 में पुलिस सब इंस्पेक्टर की पोस्ट पर भर्ती हुए थे, वो सोच भी नहीं सकते कि मनीष एक दिन इस हाल में उन्हें मिलेंगे । वो दोनों मनीष को अपने साथ ले जाना चाहते थे लेकिन मनीष साथ जाने को राजी नहीं हुए । इसके बाद दोनों अधिकारियों ने उन्‍हें समाजसेवी संस्था में भिजवाया है । आपको बता दें भिखारी बनकर 10 साल से रह रहे डीएसपी मनीष के भाई भी थानेदार हैं, पिता और चाचा एसएसपी के पद से रिटायर हुए हैं । मनीष की पत्नी, भी न्यायिक विभाग में पदस्थ हैं ।

आपको ये पोस्ट कैसी लगी नीचे कमेंट करके अवश्य बताइए। इस पोस्ट को शेयर करें और ऐसी ही जानकारी पड़ते रहने के लिए आप बॉलीकॉर्न.कॉम (bollyycorn.com) के सोशल मीडिया फेसबुकट्विटरइंस्टाग्राम पेज को फॉलो करें।

0/Post a Comment/Comments