योगी सरकार ने निकाली CAA के नाम पर दंगा करने वालों को पकड़ने के लिए बड़ी स्कीम


योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार इस समय फुल फ़ॉर्म में है। जन कल्याण हो, राज्य को निवेश और आर्थिक प्रगति के लिए एक आदर्श निवेश स्थल बनाना हो, या अपराध पर नियंत्रण रखना हो, आप बोलते जाइए और योगी सरकार वो सभी काम करने को तैयार है। इसी दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए योगी आदित्यनाथ की सरकार ने अब CAA के विरोध के नाम पर उपद्रव करके भागने वाले अपराधियों को पकड़ कर लाने के लिए एक लुभावनी स्कीम निकाली है।

दरअसल योगी सरकार ने हाल ही में घोषणा की है कि जो भी CAA के विरोध के नाम पर उत्पात मचाने वाले भगोड़े अपराधियों के बारे में सही जानकारी देगा, या फिर जो भी उन्हें पकड़वाने में उत्तर प्रदेश पुलिस की सहायता करेगा, उसे उत्तर प्रदेश पुलिस नकद पुरस्कार देगी।

डीएनए की रिपोर्ट के अनुसार, “उत्तर प्रदेश प्रशासन ने 14 भगोड़े अपराधियों के बारे में कोई भी जानकारी देने के लिए नकद पुरुस्कार देने की घोषणा की है। इन अपराधियों पर CAA के विरोध के नाम पर दंगा भड़काने का आरोप है, और इनमें से आठ दंगाई गैंगस्टर एक्ट के अंतर्गत नामजद है। इनके घरों के बाहर पोस्टर भी लगाए थे।”

दरअसल जब 2019 के अंत में संसद से सर्वसम्मति से नागरिक संशोधन अधिनियम पारित किया गया था, जिसके अंतर्गत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए शरणार्थियों को धार्मिक प्रताड़ना के आधार पर भारत की नागरिकता प्राप्त करने में सहूलियत मिलती, तो विरोध के नाम पर विपक्षी पार्टियों ने कट्टरपंथी मुसलमानों को भड़काना शुरू कर दिया था, जिन्होंने दिल्ली, बंगाल जैसे राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों में उत्पात मचाया।

हालांकि जब दंगाइयों ने यही काम उत्तर प्रदेश में दोहराने का प्रयास किया, तो योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश पुलिस को खुली छूट देते हुए न केवल उनके इरादों पर जबरदस्त पानी फेरा, बल्कि दंगाइयों द्वारा घातक हमले करने पर पुलिस को आत्मरक्षा में गोली चलाने की भी पूरी छूट दी।

लेकिन योगी आदित्यनाथ केवल उतने पर ही सीमित नहीं रहे। पुलिस को खुली छूट देने के बाद योगी सरकार ने नौकरशाही को काम पर लगाते हुए उन सभी क्षेत्रों को चिन्हित किया, जहां दंगाइयों ने सबसे अधिक उत्पात मचाया था। जहां-जहां भी सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया, वहाँ प्रशासन ने ढूंढ-ढूंढ कर न देवल दंगाइयों को पकड़वाया, बल्कि उन्हीं से सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई करवाई। यदि दंगाइयों के पास पैसे नहीं होते, तो उनके परिवार वालों से, नहीं तो उनकी संपत्तियाँ कुर्क कर यह रकम वसूली जा रही थी।

ये कुछ भी नहीं था, तो योगी सरकार ने एक कदम आगे बढ़ते हुए अपराधियों के नाम, पता और उनके फोटो सहित उनके पोस्टर्स शहर भर में लगाना शुरू कर दिए। इससे बौखलाए हुए वामपंथी ब्रिगेड ने इलाहाबाद हाईकोर्ट पर दबाव बनाकर योगी सरकार का यह निर्णय रद्द कराने पर जोर दिया, लेकिन योगी सरकार अपने इरादों से टस से मस नहीं हुई।

अब जिस प्रकार से भगोड़े अपराधियों के लिए योगी सरकार ने नकद पुरस्कार की घोषणा की है, उससे एक बात तो स्पष्ट है कि ये योगी आदित्यनाथ का उत्तर प्रदेश है – यहाँ पर केवल कानून का राज चलेगा, और जो ज्यादा खलीफा बनेगा, वो पुलिस की लात और डंडे दोनों खाएगा।

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